Who Is Gauri Sawant: वेब सीरीज़ “ताली- बजाऊंगी नहीं, बजवाऊंगी” (Taali Web Series) जल्द ही OTT प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ होने जा रही है. सुष्मिता सेन स्टारर इस वेब सीरीज़ की कहानी एक ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट “गौरी सावंत” की है. सुष्मिता हमेशा से अपने यूनिक रोल के लिए जानी जाती हैं. वहीं सुष्मिता इसमें किन्नर की भूमिका में दिखने वाली हैं. उनके फर्स्ट लुक को भी सोशल मीडिया पर बहुत प्यार मिल रहा है.
इस सीरीज़ के निर्देशक मराठी फ़िल्ममेकर रवि जाधव हैं. ये कहानी गौरी की असल ज़िन्दगी से जुड़ी है. चलिए इसी क्रम में आज हम मुंबई के NGO (Sakhi Char Chowghi Trust) की संस्थापक गौरी सावंत की ज़िन्दगी के बारे में कुछ बातें जानते हैं.
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चलिए जानते हैं ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ बातें- (Who Is Gauri Sawant)
गौरी का जन्म पुणे में हुआ था.
पूरे देशभर में जानी-मानी गौरी सावंत का असली नाम “गणेश नंदन” था. उनका जन्म एक बहुत ही छोटे से मराठी परिवार में हुआ था. उनकी मां का देहांत 7 वर्ष की आयु में ही हो गया था. जिसके बाद उनकी दादी ने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया था.
उनके पिता एक पुलिस अधिकारी थे. गौरी ने बचपन से अपनी ज़िन्दगी में बहुत दुख और पीड़ा झेली हैं. उन्हें बचपन से अपनी पसंद-नापसंद के बारे में पता था. लेकिन वो कभी खुलकर अपने पिता के सामने अपनी बात रख नहीं पाई. इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर गौरी सावंत रख लिया. “गौरी” मां पार्वती का भी नाम था. शायद इसलिए वो आज उस हर इंसान के लिए भगवान हैं. जिन्हें उनकी ज़रूरत है.
2014 में देश की पहली ट्रांसजेंडर बनीं, जिन्होंने गोद लेने के अधिकार को कोर्ट में याचिका दायर की
क्या आपको Vicks India की गौरी सावंत याद हैं? गौरी NALSA ( National Legal Services Authority) मामले में अपनी मांग की याचिका दायर करने वाली पहली ट्रांसजेंडर थीं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकारों को ये निर्देश दिया कि उन्हें मेनस्ट्रीम में शामिल करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं. साथ ही उनके अधिकार के लिए, टॉयलेट और वेलफ़ेयर स्कीम में शामिल करने का भी कदम उठाया जाये. कड़े निर्णय के बाद गौरी क़ानूनी तौर से पहली ट्रांसजेंडर मां बनीं.
2001 में गौरी ने एक बच्ची को गोद लिया था. जिसका नाम ‘गायत्री’ है. विक्स इंडिया के दिखाए गए विज्ञापन में गौरी के साथ उनकी बेटी गायत्री ही है. गायत्री की मां एक सेक्स वर्कर थीं. जिनकी मौत AIDS की बीमारी से हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने उस 5 साल की बच्ची को गोद लिया. जिसे लोग सेक्स के धंधे में धकेलना चाहते थे. गौरी ने इन बच्चियों को ही नहीं, बल्कि बहुत से लोगों की मदद की है.
भारत की पहली ट्रांसजेंडर इलेक्शन एम्बेसडर बनीं
2019 में भारत के इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया (Election Commission Of India) ने गौरी सावंत को महाराष्ट्र के 12 इलेक्शन एम्बेसडर में से एक के रूप में नियुक्त किया.
जिसके बाद गौरी LGBTQIA+ समुदाय से यह पद संभालने वाली पहली महिला बनीं थी. एक रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि, “मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि, प्रत्येक व्यक्ति जाए और वोट करे; न केवल गृहिणियां बल्कि महिलाएं भी जो इस देश में सेक्स वर्कर और ट्रांसजेंडर हैं“
देश में गौरी सावंत जैसे और लोगों की सख़्त ज़रूरत है. जो देश के हित में काम करें और इस देश को रहने की एक बेहतर जगह बनाए.