दशकों से हम टीवी पर महिला केंद्रित धारावाहिक देखते आ रहे हैं. हालांकि, अब समय बदल चुका है और धारावाहिकों की सोच भी. पहले के सीरियल अब पुराने हो चुके हैं, लेकिन उन्हें देख कर समझ आता है कि धारावाहिकों की सोच काफ़ी नई थी. वहीं मॉर्डन ज़माने के शोज़ में दकियानूसी कहानियां देखने को मिलती है. आज औरतें बुलेट से लेकर प्लेन तक उड़ा रही हैं, लेकिन धारावाहिकों की महिलाएं अब भी किचन और पति तक सीमित हैं.  

टीवी पर आने वाले कई धारावाहिक तो ऐसे हैं, जिन्होंने महिलाओं को नीचा दिखाने में कोई क़सर नहीं छोड़ी. उदाहरण के लिये आपके सामने पेश कर रहे हैं टीवी पर टीआरपी देने वाले कुछ पॉपुलर शोज़.  

ये भी पढ़िये: धारावाहिकों में सभी सास साज़िशें नहीं चलती, ये हैं वो 8 सास जिन्होंने बहुओं को ख़ूब प्यार दिया है 

1. बैरिस्टर बाबू 

‘बैरिस्टर बाबू’ Colors TV के पॉपुलर शोज़ में से एक है. शो की कहानी अमीर बैरिस्टर बाबू और एक युवा लड़की की ज़िंदगी पर आधारित होती है. अमीर बैरिस्टर बाबू एक बच्ची को जल्द विधवा होने से बचाने के लिये उससे शादी कर लेते हैं. बाल विवाह ग़लत है, लेकिन आज भी देश के हिस्सों में बाल विवाह होते हैं. अगर प्रोड्यूर्स बाल विवाह की समस्या को दिखाना ही चाहते थे, तो कम से कम सही तरीक़ा तो अपनाते. जिस तरह से धारावाहिक की कहानी को पर्दे पर गढ़ा गया, वो तरीक़ा बेहद ग़लत है.  

blogspot

2. भाभीजी घर पर हैं 

‘भाभीजी घर पर हैं’ टीवी का लोकप्रिय शो है. कई लोगों को इस शो में कॉमेडी और फन नज़र आता है, लेकिन अगर क़रीब से देखेंगे तो सिर्फ़ फूहड़पना दिखेगा. कहानी दो ऐसे पुरुषों के ईद-गिर्द घूमती है, जो एक-दूसरे की पत्नियों को लुभाने की कोशिश करते हैं. इस दौरान कई बार वो अपनी हदें पार करते हुए भी दिखाई देते हैं. कमाल की बात ये है कि दर्शकों की तालियों और वाहवाही ने इसे हिंदुस्तान का बेहद पॉपुलर शो बना दिया.  

zee5

3. तारक मेहता का उल्टा चश्मा 

‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ टीवी का वो धारावाहिक है, जिसकी फ़ैन फ़ॉलोइंग काफ़ी बड़ी है. हम में से अधिकतर लोग डिनर टेबल पर बैठ कर सीरियल एंजॉय करते हैं, लेकिन कभी ये नहीं देख पाते कि उसमें महिलाओं की छवि को कितना ग़लत दिखाया जा रहा. सीरियल में महिला को हमेशा अपने पति के आगे-पीछे घूमता देखा जाता है. पत्नियों की यही आदत पतियों को परेशान करती है, जिस वजह से वो दूसरी महिलाओं से फ़्लर्ट करते नज़र आते हैं.  

क्या सच में आज महिलाओं की ज़िंदगी सिर्फ़ पति तक सीमित रह गई है?

jagranimages

4. पिंजरा ख़ूबसूरती का 

कम समय में शो ने कई दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ली है. धारावाहिक की कहानी एक ऐसी लड़की की ज़िंदगी पर आधारित है, जो चाहती है कि लोग उसे उसकी सुंदरता नहीं, बल्कि उसकी सफ़लता से जानें. अफ़सोस उसकी शादी एक ऐसे लड़के होती है, जो उसकी चाहत में उसके ही चेहरे पर निशान दे देता है.  

5. कुंडली भाग्य 

शो में एक ऐसी औरत की कहानी को दिखाया गया है, जो अपने पूर्व प्रेमी को ये समझाने की कोशिश करती है कि उसने ग़लत महिला से शादी की है. क्या सच में आज के दौर में किसी महिला के पास ये सब करने का फ़ालतू समय है? 

ytimg

6. अपना भी टाइम आयेगा 

शो की कहानी शाही परिवार में कार चलाने वाले ड्राइवर की बेटी की लाइफ़ पर आधारित होती है. वो बेटी जो जीवन में आगे बढ़ने के सपने देखती है, लेकिन उसके साथ लोग बुरा बर्ताव करते आते हैं. शो का प्लॉट अच्छा था, लेकिन इतना सोचना चाहिये कि कहानी में किसी इंसान की गरिमा को ठेस न पहुंचे. शो में जिस तरह ड्राइवर की बेटी के कैरेक्टर को लिखा गया है, वो सही नहीं था.  

bollywoodhungama

7. नमक इश्क़ का  

शो की कहानी एक डांसर पर आधारित है, जिसे अपने पेशे के कारण काफ़ी बेज्ज़ती झेलनी पड़ती है. लॉन्च होने से पहले शो की टैग लाइन थी कि क्या एक नचनिया को आप अपने घर की बहू बनायेंगे? पहली बात नचनिया क्या होता है? आज डांसिग प्रोफ़ेशन की वजह से कितने लोग मशहूर हो गये और क्या शादी जैसा रिश्ता किसी के काम को देख कर जोड़ा जाना चाहिये? जिस शो की टैगलाइन इतनी घटिया हो. उस शो का कॉन्सेप्ट कैसा होगा ख़ुद ही सोच लीजिये.  

8. अनुपमा  

‘अनुपमा’ टेलीविज़न का नबंर वन शो, लेकिन अफ़सोस की कहानी में कोई लॉजिक नहीं है. अनुपमा सीरियल की कहानी एक महिला के जीवन पर आधारित है, जो अपने परिवार के लिये तमाम कुर्बानियां देती है, लेकिन फिर भी जिसे देखो उसे मुंह पर सुना कर चला जाता है. अनुपमा का पति दूसरी महिला से प्यार करता है और अनुपमा पति को उसके प्यार से मिलाने के लिये तलाक़ दे देती हैं. यही नहीं, पति, पत्नी और अनुपमा एक ही घर में भी रहने लगते हैं.  

यार इतना बड़ा दिल कहां से आया और क्या सच में कोई महिला ऐसे करेगी?

newmovieinhindi

टीवी पर आने वाले इन सारे शोज़ की कहानी में ऐसा दिखाया जाता है, जैसे महिलाएं तो अपमान सहने के लिये ही बनी हैं. बच्चे हो या पति हर कोई घर की महिला को ऐसे ट्रीट करता है, जो वो नौकर हो. महिलाएं भी धारावाहिकों में बलिदान देती दिखती हैं और एक हमारी मम्मी हैं, जब तक दिन में दस ताने न दें उनकी रोटी हजम नहीं होती.  

Please अगर सच दिखना है, तो कुछ लॉजिक के साथ दिखाओ.