बड़ा मुक़ाम हासिल करना है तो बड़ा हौसला भी चाहिए. ताकि लोग कितने ही दीवारें खड़ी करें, आपके हौसले का हथौड़ा उन्हें तोड़ता चला जाए. आज जिस शख़्सियत की तस्वीर आपको पहचानने के लिए कह रहे हैं, उन्होंने अपनी ज़िंदगी इसी शानदार नज़रिए से गुज़ारी है.
जिस दौर में महिलाओं को घर से निकलने पर भी पाबंदी थी, उस वक़्त इन्होंने सभी रीति रिवाज़ और बंधन को तोड़कर फिल्म इंडस्ट्री में दस्तक दी. दशकों तक इन्होंने अपनी एक्टिंग से सबको एंटरटेन किया और आखिरी वक्त तक अपनी ज़िंदगी ज़िंदादिली से जीती रहीं.
यूपी के सहारनपुर में साल 1912 में इनका जन्म हुआ था. फ़िल्मों में आने से पहले इनका नाम साहिबजादी जोहरा मुमताज उल्लाह खान था और इनका संबंध रामपुर रियासत से था.
पिता जल्दी शादी ना करा पाएं, इसलिए वो 10वीं में लगातार तीन बार फ़ेल हो गयींं. जबकि वो पढ़ने में काफ़ी अच्छी थीं. शादी की भी तो अपनी मर्ज़ी से, वो भी 8 साल छोटे डांसर कामेश्वर सहगल से. उनके प्यार की वजह से दंगे तक की नौबत बन गई थी. हालांकि, दोनों ने ही इस बात की परवाह नहीं की.
इन्होंने ‘धरती के लाल’ फ़िल्म से अपने करियर की शुरुआत की. इसके अलावा ‘भाजी ऑन द बीच’, ‘दिल से, ‘ख्वाहिश’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, से लेकर ‘वीर-जारा’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया.
सिनेमा जगत में इनके योगदार को देखते हुए पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्म विभूषण, राष्ट्रीय कालिदास सम्मान जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
शायद ही आप इन पुरानी तस्वीरों से पहचान पाए हों. इसलिए बता दें, ये मशहूर एक्ट्रेस ज़ोहरा सहगल हैं.
वाक़ई, उम्र के साथ इंसान की शक्ल और शख़्सियत दोनों काफ़ी बदल जाती है.
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