भारत एक पुरुष प्रधान देश है, लेकिन आज की शक्तिशाली महिलाएं ज़माने की इस रूढ़िवादी सोच को बदलती नज़र आ रही हैं. भारतीय महिलाएं दुनियाभर में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ रही हैं. इसी क्रम में देश का क़ानून भी आता है. एक समय था जब इसे पुरुष वर्चस्व वाला मैदान कहा जाता था. पर इन प्रतिभाशाली 12 वकीलों ने इस फ़ील्ड में कदम रख, नई पीढ़ी के लिए एक नई राह बना दी.

1. मेनका गुरुस्वामी

मेनका सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं, जो कॉर्पोरेट, क्रिमिनल और Constitutional क्षेत्र से जुड़े मुद्दों के लिए काम करती हैं. दिल्ली की इस वकील ने धारा 377 के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दायर कर 6 सितबंर को सितंबर को ऐतिहासिक जीत हासिल की है. इस क़ानून के तहत भारत में अब सहमति से बने समलैंगिक संबंध ग़ैरक़ानूनी नहीं है.

2. फ़्लेविया अगनीस

फ़्लेविया अगनीस, मुंबई स्थित संगठन ‘मजलिस’ की डायरेक्टर और जेंडर राइट्स की लड़ाई लड़ने वाली जानी-मानी वकील हैं. इसके अलावा वो अल्पसंख्यकों और क़ानून, लिंग और क़ानून, और क़ानून पर कई लेख भी लिख चुकी हैं. घरेलू हिंसा के अनुभव ने फ़्लेविया को महिलाओं के हित में लड़ने के लिए प्रेरित किया.

3. करुणा नंदी

करुणा सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. संवैधानिक कानून, कॉमर्शियल मुकदमे, मीडिया क़ानून और लीगल पॉलिसी के कई मामलों में विजय प्राप्त करने वाली इस वकील को फ़ोर्ब्स मैगज़ीन द्वारा ‘माइंड दैट मैटर्स’ में जगह मिल चुकी है. इसके अलावा उन्हें भोपाल गैस त्रासदी और ऑनलाइन फ्री स्पीच आदि मुद्दों के लिए भी जाना जाता है. नंदी वही वकील हैं, जिन्होंन दिल्ली के निर्भया रेप केस को लड़ा था. साथ ही महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के मुद्दे को गंभीरता से उठाया.

4. पिंकी आनंद

डॉक्टर पिंकी आनंद सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाली दूसरी महिला वकील है, उन्हें फ़िक्की और भारत निर्माण क़ानून में उत्कृष्टता के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

5. इंदिरा जयसिंह

इंदिरा जयसिंह सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं, जो मानव अधिकारों के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ती हैं. यही नहीं, 2018 में उन्हें फ़ॉर्च्यून पत्रिका द्वारा दुनिया के 50 महानतम नेताओं की सूची में 20 वें स्थान पर रखा गया.

6. कामिनी जयसवाल

कामिनी सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास कर रही भारतीय वकील हैं. इसके अलावा वो Committee On Judicial Accountability समिति की सदस्य भी हैं. ये समिति प्रतिष्ठित वकीलों का ऐसा समूह है, जो न्यायाधीशों की जवाबदेही में सुधार का काम करता है.

7. रेबेका जॉन

रेबेका जॉन क्रिमिनल लॉ में वरिष्ठ वकील बनने वाली पहली महिला वकील हैं, उन्होंने 1988 में बतौर वकील अपने करियर की शुरूआत की, इससे पहले मानवअधिकार मामलों में भाग लेने वाली कोई महिला वकील नहीं थी.

8. ज़िया मोदी

ज़िया मोदी की पहचान कॉर्पोरेट लॉ में निर्विवाद नेता के रूप में है. वहीं उनकी फ़र्म AZM & Partners को विलय और अधिग्रहण के लिए शीर्ष लॉ फ़र्मस में पहला स्थान हासिल है. यही नहीं, बिज़नेस टुडे ने उन्हें भारत में 25 सबसे शक्तिशाली व्यवसायियों में से शामिल किया.

9. दीपिका सिंह रजावत

दीपिका, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में वकील हैं. दीपिका पहली ऐसी शख़्स थी, जिन्होंने जम्मू के कठुआ रेप केस के लिए याचिका दायर की और नन्ही सी आसिफ़ा को न्याय दिलाने के लिए सराहनीय काम किया.

10. वृंदा ग्रोवर

वृंदा ग्रोवर, हाई कोर्ट में वकालत करने वाली भारत की मशहूर वकील हैं. वो सिख़ दंगों को लेकर चर्चा में आई. इसके अलावा उन्होंने मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ़ लंबी और शानदार लड़ाई भी लड़ी है.

11. सुधा भारद्वाज

सुधा ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और वकील हैं. साथ ही छत्तीसगढ़ के PUCL (People’s Union for Civil Liberties) में बतौर जनरल सेक्रटरी भी काम करती हैं. उन्होंने दलितों और जनजातीय अधिकारों समेत कई गंभीर मुद्दों पर काम किया.

12. मीनाक्षी अरोड़ा

2013 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से मीनाक्षी को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया. वो पांचवी ऐसी महिला वकील थी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में काम करने का सम्मान प्राप्त हुआ था. मीनाक्षी ने यौन उत्पीड़न समेत कई मुद्दों पर मसौदे तैयार किये हैं.

हमें उम्मीद है कि ये महिलाएं आगे भी इसी तरह कार्य कर देश को गौरवांवित कराती रहेंगी.