इतिहास के महान योद्धाओं में समुराइयों की भी गिनती होती है. ये जापनी योद्धाओं का एक ख़ास वर्ग था, जिन्हें तलवार बाज़ी में महारथ हासिल थी. बिजली की रफ़्तार से तलवार चलाने वाले समुराई दुश्मन को मिनटों में ख़त्म करने की क़ाबिलियत रखते थे. माना जाता है कि 12वीं शताब्दी में ये एक बड़ी शक्ति बनकर सामने आए और मेइजी पुनर्स्थापन (1868) तक सरकार पर हावी रहे. समुराइयों की शक्ति उनकी तलवार में बसती थी. तलवार बाज़ी ही उनकी पहचान थी. समुराई कुछ चुनिंदा तलवारों का इस्तेमाल करते थे, जिनमें ‘कटाना’ उच्च स्तर की तलवार थी. आइये, इस ख़ास लेख में हम आपको बताते हैं समुराई तलवार कटाना से जुड़े दिलचस्प तथ्य.  

1. एक पारंपरिक तलवार 

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समुराई जिस तलवार का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल करते थे वो थी कटाना. ये पारंपरिक तरीके से बनाई जाती है. आज भी जापान में लाइसेंस धारी तलवार बनाने वाले कटाना तलवार को बनाते हैं.  

2. कैसे आई कटाना सामने  

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पहले सीधी ब्लेड वाली तलवारों का इस्तेमाल किया जाता था, जो चीन और कोरिया से आयात की जाती थीं. कर्व्ड यानी थोड़ी घुमावदार ब्लेड वाली तलवार तब बननी शुरु हुईं जब समुराइयों ने घोड़े पर बैठकर लड़ाई करनी शुरु की.  

3. समुराइयों की पहचान

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कटाना सिर्फ़ तलवार नहीं थी बल्कि समुराइयों से एकदम गहराई से जुड़ी थी. एक वक़्त ऐसा भी था जब कटाना को रखने का अधिकार सिर्फ़ समुराइयों को था. वहीं, निम्न योद्धा अगर कटाना को लिए पकड़ा जाता था, तो उसे दंड दिया जाता था.  

4. शुद्धिकरण  

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तलवारों का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. राजा-महाराजाओं के अपने तलवार बनाने के कारख़ाने हुआ करते थे. लेकिन, कटाना का निर्माण कार्य काफ़ी अलग था. इससे बनाने वाला पूरे रीति रिवाज़ों का पालन कर इन्हें बनाता था. इसे बनाने वाले को अपना शुद्धिकरण करना होता था. शुद्धिकरण करने के लिए उपवास, संभोग क्रिया से दूर रहना और मंदिर जाना शामिल था. तलवार बनने तक इन सभी बातों का ध्यान रखा जाता था. 

5. पवित्र रस्सी का इस्तेमाल

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माना जाता है कि तलवार बनाने वाला निर्माण स्थल को पवित्र रस्सी से घेर देता था. तलवार बनने तक पवित्रता को बनाए रखा जाता था. इसके लिए रोज़ाना तलवार बनाने वाले को झरने के नीचे नहाते हुए मंत्र उच्चारण करना होता था. झरना न होने की स्थिति में ठंडे पानी से भरी बाल्टियां अपने ऊपर पलटनी होती थीं.  

6. तलवार के सभी भाग अहम होते थे 

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तलवार का अहम भाग तलवार की ब्लेड ही होती है और उसका ही अधिक मूल्य होता है. लेकिन, कटाना से साथ ऐसा नहीं है. कटाना की ब्लेड के साथ-साथ उसके अन्य भाग जैसे हैंड गार्ड और स्कैबर्ड्स यानी म्यान भी अहम होते थे. कई बार कटाना के हैंड गार्ड को इस तरह सज़ाकर बनाया जाता कि ब्लेड के बराबर ही उसका मुल्य होता था. इस तलवार की ख़ासियत इस बात से पता लगाई जा सकती है कि एक डैमेज कटाना सामान्य तलवार से कहीं ज्यादा मूल्यवान होती थी.  

7. ख़ास पॉलिश  

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कटाना को ख़ास बनाने में सही पॉलिशिंग प्रक्रिया से गुज़ारना होता था. इस काम में विभिन्न चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें ख़ास पत्थर भी शामिल थे. 

8. इंसानी मांस पर कटाना की टेस्टिंग  

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कटाना के बनने के बाद इसे टेस्टिंग प्रक्रिया से भी गुज़ार जाता था. जानकर हैरानी होगी कि इसे इंसानी मांस और हड्डियों पर वार करके टेस्ट किया जाता था. इसके लिए अपराधियों के मृत शरीर को एक के ऊपर एक रखकर कटाना चलाई जाती थी. वहीं, कई बार जघन्य अपराध करने वाले ज़िंदे अपराधियों पर भी ये टेस्ट किया जाता था.  

9. पुरानी तलवार ज़्यादी सही मानी गईं

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माना जाता है कि गुणवत्ता के मामले में 1530 से पहले जो कटाना तलवार बनाई गईं वो बाद में बनाई गईं कटाना से कहीं ज़्यादा सही थीं. इसके पीछे का मुख्य कारण आधुनिक नए हथियारों का सामने आना था.  

10. तलवार बनाने की कला धीरे-धीरे ग़ायब हो रही है 

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आधुनिक तलवार और विभिन्न अलग क्षेत्रों में दिलचस्पी की वजह से पारंपरिक तलवार बनाने की कला धीरे-धीरे ग़ायब होती जा रही है. जापान में बहुत ही कम लोग रहे गए हैं, जो पारंपरिक और पूरी विधि के साथ ऐसी तलवारों का निर्माण करते हैं. इस वजह से तलवार की गुणवत्ता में भी कमी आई है.