African Breeder Pata Seca: अफ़्रीकियों पर ग़ुलामी एक ऐसा श्राप रही है, जिसे उन्होंने सदियों तक झेला है. विदेशी लोग अफ़्रीकियों से काम करवाने के लिए उन्हें गुलाम बनाते थे. मगर आज हम आपको एक ऐसे गुलाम के बारे में बताएंगे, जिसे बच्चे पैदा करने के लिए क़ैद किया गया था. इस गुलाम का नाम Pata Seca था और उससे जबरन 200 से ज़्यादा बच्चे पैदा करने के लिए मजबूर किया गया था.

आइए जानते हैं क्या थी बच्चे पैदा करने वाले इस गुलाम की कहानी-

Pata Seca बना बच्चे पैदा करने वाला गुलाम

Breeding Slave Pata Seca का असली नाम Roque Jose Florencio था. 19वीं सदी में उसे ब्राज़ील के ज़मींदार ने गुलाम बना लिया था. पाटा सेका की लंबाई 7 फ़िट 2 इंच थी और वो बहुत ताकतवर भी था. कहते हैं कि वो 130 सालों तक ज़िंदा रहा. मगर उसकी ये लंबी उम्र एक ऐसे गुलाम के रूप में बीती, जिसका काम अपने मालिक के लिए बच्चे पैदा करने का था.

दरअसल, पाटा सेका की कद-काठी के कारण ज़मींदार ने उसे ‘ब्रीडर’ का काम करने को मजबूर किया. हर दिन उसे कई अलग-अलग महिलाओं के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता था. ताकि उससे पैदा होने वाली औलादें बेहद मज़बूत हो और वो खेतों में ज़्यादा काम कर सकें. साथ ही, गुलामों की संख्या भी कम न पड़े.

पाटा सेका की नियमित जांच होती थी. उसे अच्छा खाना खिलाया जाता था. बिल्कुल एक पशु की तरह उसे ब्रीडर के रूप में काम पर लगाया गया.

200 से ज़्यादा बच्चों का पिता बना

पाटा सेका ने अपनी पूरी ज़िंदगी में कितनी महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाए, इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है. हालांकि, एक अनुमान के मुताबिक, उसने 200 से ज़्यादा बच्चे पैदा किए, जिन्हें गुलामी अपने पिता से विरासत में मिली. जी हां, पाटा सेका के बच्चे भी गुलाम बने. कुछ को लाभ के लिए बेच दिया गया और बाकियों को अपने मालिकों के बागानों में मेहनत करने के लिए मजबूर किया गया.

बता दें, जब 1888 में ब्राज़ील में दास प्रथा समाप्त हुई तो पाटा सेका को आज़ादी मिल गई. साथ ही, ज़िंदगी गुज़ारने के लिए कुछ ज़मीन भी मिली. आज़ाद होने के बाद पाटा सेका को पामिरा नाम की एक लड़की से प्यार हो गया, जिससे उसने शादी कर ली. दोनों के नौ बच्चे भी हुए. ज़मींदार से मिली ज़मीन पर उसने खेती कर अपने परिवार को पाला. साल 1958 में 130 साल की उम्र में पाटा सेका की मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ें: पंजाब का ‘सुरीला गांव’, जहां बच्चा-बच्चा है शास्त्रीय संगीत का उस्ताद, 100 साल पुरानी है ये परंपरा