Connaught Place History: भारत की राजधानी दिल्ली की गिनती आज दुनिया के टॉप मेट्रो सिटीज़ में होती है. पिछले 2 दशकों में दिल्ली काफ़ी बदल चुकी है. दिल्ली अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए दुनियाभर में मशहूर है. लेकिन इस शहर की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये आज ऐतिहासिक और मॉर्डन युग की पहचान बन चुका है. इसके मॉर्डन युग की असल शुरुआत सन 1933 में हुई थी. आज अगर देश का दिल ‘दिल्ली’ है तो दिल्ली का दिल ‘कनॉट प्लेस’ है. पिछले क़रीब 90 सालों से कनॉट प्लेस (Connaught Place) दिल्ली के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है.

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दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस (Connaught Place) की नींव Connaught And Strathearn के प्रथम ड्यूक प्रिंस आर्थर ने रखी थी. उनके नाम पर ही इसका नाम Connaught Place रखा गया है. सन 1920 के दशक में ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने ‘कनॉट प्लेस’ का डिज़ाइन तैयार किया था. जबकि इसका निर्माण कार्य सन 1929 में शुरू किया गया था. सन 1933 में ‘कनॉट प्लेस’ बनकर तैयार हो गया था.

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कनॉट प्लेस का इतिहास

आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने प्रिंस आर्थर के सामने जिस जगह पर आज ‘सेंट्रल पार्क’ वहां पर ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन’ बनाने का प्रताव रखा था. लेकिन प्रिंस आर्थर ने इसे ‘लुटियंस दिल्ली’ के शोपीस के रूप में एक प्रमुख व्यापार केंद्र के तौर विकसित करना चाहते थे. इसलिए उनके कहने पर ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन’ रेलवे स्टेशन का प्रस्ताव पहाड़गंज शिफ़्ट किया गया था.

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प्रिंस आर्थर और आर्किटेक्ट रॉबर्ट रसेल का मानना था कि किसी भी मार्किट के बीच पार्क होना बेहद ज़रूरी है, ताकि शॉपिंग के बाद लोग वहां आराम कर सकें. इसी सोच की वजह से ‘सेंट्रल पार्क’ का बनना तय हुआ. अब बारी थी Connaught Place के इनर सर्किल, मिडिल सर्किल और आउटर सर्किल बनाने की. डिज़ाइन तैयार होने के बाद कनॉट प्लेस को खड़ा करने की जिम्मेदारी देश के मशहूर लेखक खुशवंत सिंह के पिता सरदार सोबा सिंह को मिली.

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सरदार सोबा सिंह वही शख़्स थे जिन्होंने ‘राष्ट्रपति भवन’, ‘सिंधिया हाउस’, ‘रीगल बिल्डिंग’, ‘वॉर मेमोरियल’ समेत कई ऐतिहासिक भवनों का निर्माण किया था. इस दौरान Connaught Place के निर्माणकार्य के लिए ख़ासतौर पर राजस्थान से मज़दूर बुलाए गए थे, जिन्हें प्रतिदिन 1 की मज़दूरी मिलती थी.

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दिल्ली के दिल Connaught Place में A से लेकर P तक कुल 13 ब्लॉक बनाये गए हैं. इनर सर्किल में 6 ब्लॉक (A,B,C,D,E,F) बनाए गए हैं और आउटर सर्किल में भी 6 ब्लॉक (G,H,K,L,M,N) बनाए गए हैं. सन 1933 तक यहां 12 ब्लॉक बनकर तैयार हो गए थे. जबकि बाद में P ब्लॉक बना था. लेकिन आपने गौर किया होगा कि यहां पर I, J, O ब्लॉक नहीं बनाए गए हैं. आख़िर ऐसा क्यों?

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ये है असल वजह

अब सवाल उठता है कि आख़िर Connaught Place में I, J, O ब्लॉक क्यों नहीं बनाए गए हैं? हालांकि, किसी के भी पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं है. यहां तक कि इसके पीछे कोई ऐतिहासिक कारण भी नहीं बताया गया है, लेकिन आर्किटेक्ट इसके पीछे की असल वजह I, J, O और 1, 7, 0 को सामान दिखना मानते हैं. इसी तरह दुनिया के अधिकतर देशों में भी I, O, Z ब्लॉक नहीं बनाये जाते हैं.

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दरअसल, 20वीं सदी में नंबर्स कम्प्यूटराईज नहीं हुआ करते थे. लिखाई के सभी कार्य हाथों से ही हुआ करते थे. सभी नंबर्स एक एक करके हाथों से लिखे जाते थे. ऐसे में अधिकतर लोग जल्दबाज़ी में I, J, O, Z को 1, 7, 0, 2 समझ बैठते थे. यही कारण है कि भारत में अक्सर बैंक अपने ग्राहकों को भेजे जाने वाले अल्फ़ान्यूमेरिक पासवर्ड में आमतौर पर I या O अक्षरों और 1 या 0 अंकों का उपयोग नहीं करते हैं.

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