मराठा योद्धाओं का वो अचूक हथियार दांडपट्टा: भारत हमेशा से ही शूरवीरों की धरती माना जाता रहा है. भारतीय इतिहास में ऐसे सैकड़ों योद्धा हुए हैं, जिन्होंने समय-समय पर अपने शौर्य और कौशल के दम पर दुश्मनों से इस देश की रक्षा की है. मराठाओं से लेकर राजपूत योद्धाओं के साहस और जज़्बे के क़िस्सों से इतिहास की किताबें भरी पड़ी हैं. भारतीय इतिहास में जितने भी वीर योद्धा हुए हैं उन्हें वीर योद्धा बनाने में उनके हथियारों का मुख्य योगदान रहा है.

ये भी पढ़ें: जानिए कौन थीं ‘रानी मल्लम्मा’ जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज से ’27 दिनों’ तक किया था युद्ध

india.com

भारतीय इतिहास में जितने भी महान मराठा या राजपूत योद्धा हुए हैं. युद्ध में इस्तेमाल होने वाले उनके हथियार भी उतने ही मशहूर हुए हैं. भारत में उस दौर में एक से बढ़कर एक हथियार बने थे. आज भले ही बम और मिसाइल के दम पर किसी सेना की ताक़त आंकी जाती हो, लेकिन पहले के जमाने में वही सेना ज़्यादा ताक़तवर मानी जाती थी, जिसके पास अस्त्र-शस्त्र चलाने में माहिर योद्धा होते थे. महाराणा प्रताप की ‘तलवार’ से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘वाघ नख’ तक. इन ख़ास हथियारों ने कई योद्धाओं का युद्ध में अंत तक साथ निभाया था.

wikipedia

आज हम जब भी वीर मराठा योद्धाओं की बात करते हैं तो हमें उनके साहस और समर्पण के साथ-साथ उनके प्रमुख हथियार भी याद आते हैं. मराठा योद्धाओं को क्षमता से अधिक ताक़तवर बनाने वाला एक ऐसा ही हथियार दांडपट्टा (Dandpatta) भी था. इस ख़ास तरह की तलवार को ‘पाटा’ भी कहा जाता है. ये किसी ज़माने में मराठा योद्धाओं का पसंदीदा हथियार हुआ करता था. ये दिखने में एक साधारण सी ‘तलवार’ लगती है, लेकिन इसके काम होश उड़ा देने वाले थे. 

Pinterest

आख़िर क्या था ये दांडपट्टा?

अगर भारतीय युद्ध इतिहास के हथियारों को देखें तो दांडपट्टा (Dandpatta) मुगलों से लेकर राजपूतों तक सभी के पास मौजूद था. लेकिन इस पर जितना नियंत्रण मराठा योद्धाओं का था उतना किसी का भी नहीं था. दरअसल, मराठा योद्धाओं के पास इस शस्त्र को चलाने की एक ख़ास स्किल थी. वो इसे चलाने में अन्य योद्धाओं से ज़्यादा कुशल थे. इस तलवार की ब्लेड आम तलवारों से ज़्यादा लंबी और लचीली होती है, जिसे मोड़ना बहुत ही कौशल का काम है. केवल मराठा योद्धाओं के पास ही इस ब्लेड को ठीक से मोड़ने का कौशल था.

wikipedia

दरअसल, मराठी भाषा में ‘पटाईत’ नाम का एक शब्द होता है, जिसका मतलब ‘कौशल’ होता है. इसी ‘पटाईत’ शब्द को ‘पट्टा’ भी कहा जाता है. मराठी में ‘कुशल’ व्यक्ति को ‘धारकरी’ भी कहा जाता है. इसका मतलब एक ऐसे व्यक्ति से है जो तलवार के साथ-साथ भाला, धनुष और तीर समेत 5 से 6 हथियारों को चलाने में निपुण माना हो. लेकिन ‘पट्टा’ चलाने वाले कुशल व्यक्ति को ‘पट्टेकरी’ कहा जाता था, जिसे ’10 धारकरी’ के बराबर माना जाता था. इससे आप अंदाज़ा  लगा सकते हैं कि ‘दांडपट्टा’ कितना महत्वपूर्ण हथियार था. 

wikipedia

दांडपट्टा की अनोखी बनावट

इस तलवार की अधिकतम लंबाई क़रीब 5 फ़ीट तक, जबकि इसकी ब्लेड की लंबाई 4 फ़ीट तक होती थी. इसमें एक अनोखी बनावट वाला ‘हैंडल’ भी लगा होता था, जो 1 फ़ीट लंबा होता था. इसकी ब्लेड लचीला होने के बावजूद काफ़ी तेज़ होती थी. इस तलवार को ख़ास बनाने का काम इसका अनोखा ‘हैंडल’ करता था. आम तलवारों में जहां ‘हैंडल’ की तरफ़ हाथ बिना ढके होते हैं वहीं इसका हैडल पूरी से ढ़का हुआ होता था.इसकी वजह से युद्ध के दौरान दुश्मन के वार से हाथ पर हमला होने का ख़तरा भी नहीं रहता था. 

wikipedia

छत्रपति शिवाजी महाराज का पसंदीदा हथियार

ऐतिहासिक कहानियों के मुताबिक़, छत्रपति शिवाजी महाराज का पसंदीदा हथियार दांडपट्टा ही हुआ करता था. जब मुगल सम्राट अफ़ज़ल ख़ान के अंगरक्षक बड़ा सैयद ने ‘प्रतापगढ़ की लड़ाई’ में शिवाजी महाराज पर तलवारों से हमला किया था तो इस दौरान उनके प्रमुख अंगरक्षक जिवा महाला ने सैयद का एक हाथ धड़ से अलग कर उसे मार गिराया था. छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने एक अन्य सेनापति बाजी प्रभु देशपांडे को भी ‘पाटा’ के उपयोग में प्रशिक्षित किया था. बाजी प्रभु देशपांडे ने भी पावनखिंड में लूटपाट को रोकने के लिए ‘दांडपट्टा’ तलवार का ही इस्तेमाल किया था.

tfipost

ये घातक ‘तलवार’ मुगल काल के दौरान बनाई गई थी. इसे 17वीं व 18वीं शताब्दी के दौरान हुए युद्धों में मराठा योद्धाओं द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया गया था.

ये भी पढ़ें: वो 10 प्रसिद्ध महान शासक और योद्धा जिनकी वीरता की गाथाएं भारत के शक्तिशाली इतिहास का सबूत हैं