भारतीय राजनीति (Indian Politics) शाम-दाम दंड-भेद सब कुछ अपना कर राजनीतिक दलों के उम्मीदवार हर साल जनता से लुभावने वादे करते हैं, लेकिन जीत हासिल करने के बाद नेता जी ग़ायब हो जाते हैं. इसके बाद नेताजी टीवी डिबेट्स में आकर अपनी भौकाली दिखाते हैं और जनता हमेशा की तरह ख़ुद को ठगा हुआ महसूस करती है. राजनीतिक रैलियों और टीवी डिबेट के दौरान एक दूसरे के खून के प्यासे नज़र आने वाले हमारे देश के राजनेता असल ज़िंदगी में एक दूसरे की जिगरी यार होते हैं. आज हम आपको भारतीय राजनेताओं की ऐसी ही दोस्ती के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में एक मिसाल है. इनमें से कुछ एक ही पार्टी से हैं तो कुछ अच्छे मित्र होने के बाद आज दूसरी पार्टियों में हैं.

चलिए जानते हैं भारतीय राजनेताओं की वो दोस्ती जो आज लोगों के लिए एक मिसाल है-

1- महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के इन सबसे बड़े नायकों के बीच बेहद गहरी दोस्ती थी. गांधी जी उम्र में 20 साल बड़े होने के बावजूद नेहरू को उनके आज़ादी के मकसद के लिए काफ़ी पसंद करते थे. दिसंबर 1916 में जब जवाहरलाल नेहरू (Mahatma Gandhi) पहली बार महात्मा गांधी (Jawaharlal Nehru) से मिले, तो वो उनके प्रसंशक बन गये. ‘स्वतंत्रता संग्राम’ के दौरान इन दोनों नेताओं के कई विषयों पर व्यापक रूप से भिन्न विचार थे. एक समय में तो उन्हें एक दूसरे का प्रतिद्वंद्वी तक माना जाता था. लेकिन सन 1936 में गांधीजी के ‘सेवाग्राम आंदोलन’ ने इन दोनों के बीच के उलट विचारों को बदल दिया और ये आज़ादी के लक्ष्य के लिए एक दूसरे के क़रीब आ गये.

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2- अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी

अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishn Advani) ने सन 1950 के दशक में एक साथ ‘भारतीय जनसंघ’ के सदस्यों के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. ‘भारतीय जनसंघ’ ही बाद में ‘भारतीय जनता पार्टी’ के रूप में खड़ी हुई. सन 1970 के दशक में ‘आपातकाल विरोधी आंदोलन’ के दौरान अटल और आडवाणी की इसी जोड़ी ने इंदिरा गांधी के ‘इमरजेंसी’ के फ़ैसले का जोरदार विरोध किया था. आज बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है. इसका श्रेय अटल और आडवाणी को जाता है. साल 1999-2004 के बीच वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान आडवाणी ने गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री (2002-04) के रूप में कार्य किया.

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3- राजीव गांधी और राजेश पायलेट

देश की राजनीति में 80 के दशक में दो युवा नेताओं की जोड़ी काफी चर्चित रही. ये जोड़ी थी राजीव गांधी और राजेश पायलट की. भारतीय सेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद पर कार्यरत राजेश पायलट (Rajesh Pilot) ने सन 1979 में राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के कहने पर राजनीति में कदम रखा था. राजनीति में कदम रखने से पहले राजीव गांधी भी एक ट्रेंड पायलट हुआ करते थे. राजेश पायलेट ने सन 1980 अपना पहला चुनाव भरतपुर लोकसभा से लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद वो दौसा से लगातार 5 बार सांसद चुने गए. दौसा में ही एक सड़क हादसे में राजेश पायलट की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उनकी पत्नी रमा पायलट और बीटा सचिन पायलट दौसा लोकसभा सीट से सांसद बने.

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4- नरेंद्र मोदी और अमित शाह

नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) के बारे में कौन नहीं जनता. पीएम और गृह मंत्री की ये जोड़ी आज की नहीं, बल्कि दशकों पुरानी है. अमित शाह भले ही नरेंद्र मोदी से छोटे हों, लेकिन ‘RSS’ में इन दोनों ने साथ ही काम किया था. इसके बाद गुजरात की राजनीति में भी इन दोनों की दोस्ती ख़ूब रंग जमाई थी. नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने के पीछे अमित शाह की ही मेहनत थी. आज बड़े भाई और छोटे भाई के तौर पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की ये जोड़ी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के तौर पर भारत पर राज कर रही है.

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5- लालू प्रसाद यादव और नितीश कुमार

भारतीय राजनीति में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और नितीश कुमार (Nitish Kumar) को एक दूसरे के कट्टर दुश्मन माना जाता है, लेकिन ये दोनों कद्दावर नेता आज से नहीं, बल्कि छात्र राजनीति से ही एक दूसरे के गहरे मित्र रहे हैं. राम मनोहर लोहिया की विचारधाराओं से प्रेरित होकर इन दोनों ने 1970 के दशक में ‘जेपी आंदोलन’ के दौरान एक साथ अपने करियर की शुरुआत की थी. जनता दल का हिस्सा रहे लालू और नितीश के बीच सन 1997 तक सब कुछ ठीक था, लेकिन जब लालू यादव ने अलग होकर अपना ‘राष्ट्रीय जनता दल’ बनाया तो नीतीश कुमार ने ‘भारतीय जनता पार्टी’ के साथ गठबंधन कर लिया और 1 साल बाद ही वो केंद्रीय रेल मंत्री बन गए. आज भी इनकी दोस्ती कभी दुश्मनी तो कभी गहरी दोस्ती में बदलती रहती है.

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6- जयललिता और शशिकला

तमिलनाडु के भूतपूर्व मुख्यमंत्री रहीं जे. जयललिता (J. Jayalalithaa) दक्षिण भारतीय राजनैतिक दल ‘ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम’ की महासचिव थीं. शशिकला नटराजन (Sasikala Natrajan) को जयललिता का सबसे क़रीबी माना जाता था. वो जयललिता के साथ 3 दशकों तक उनकी राजनीतिक सहभागीदार भी रहीं. शशिकला उनकी राजनीतिक सलाहकार, विश्वासपात्र, बहन और सबसे अच्छी मित्र के रूप में हर मुश्किल समय में जयललिता के साथ खड़ी रहीं. AIADMK की वीडियोग्राफ़र के रूप में शुरुआत करने वाली शशिकला बाद में अम्मा की सेकंड-इन-कमांड बन गईं. जयललिता ने शशिकला के भतीजे सुधाकरन को गोद लिया था.

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7- अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया

भारतीय राजनीति में बदलाव लाने के दावे के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) आम आदमी पार्टी के दो कद्दावर नेता हैं. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बीच भी काफ़ी गहरी दोस्ती है. केजरीवाल और सिसोदिया ‘अन्ना के आंदोलन’ से पहले से ही अच्छे दोस्त रहे हैं. आज अपनी इसी गहरी दोस्ती की वजह से ये दोनों दिल्ली के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री हैं.

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8- राहुल गांधी और सचिन पायलट

राजेश पायलट और राजीव गांधी की जोड़ी के बाद नई पीढ़ी में उनके बेटों राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) की जोड़ी भी काफ़ी मशहूर है. राहुल और सचिन असल ज़िंदगी में भी काफ़ी अच्छे दोस्त हैं. राहुल गांधी और सचिन पायलट को कई राजनैतिक मोर्चों पर एक साथ देखा जा सकता है. दरअसल, राहुल गांधी इन दिनों ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लेकर देशभर में भ्रमण कर रहे हैं. बीते 21 सितंबर को सचिन पायलट अपने दोस्त राहुल गांधी का साथ देने केरल जा पहुंचे थे. इस दौरान वो राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में लोगों का समर्थन जुटाते नज़र आये थे.

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ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम अगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे.

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