भारत में बाबू (Babu) शब्द का कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. किसी सरकारी दफ़्तर के अधिकारी से लेकर छोटे बच्चे को अक्सर ‘बाबू’ नाम से ही पुकारा जाता है. यहां तक कि नए ज़माने के निब्बा-निब्बी भी एक दूसरे को प्यार से ‘बाबू’, ‘शोना बाबू’ न जाने क्या-क्या नामों से पुकारते हैं. यूपी बिहार में चले गए तो वहां हर कोई एक दूसरे के लिए ‘बाबू’ है. लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि ये ‘बाबू’ शब्द आख़िर आया कहां से है और किसने इसकी उत्पत्ति की है?
ये भी पढ़ें- क्या आप जानते हैं कहां से आया देश में ‘हब्शी’ शब्द और क्या है इसका इतिहास?
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619b43f08a373a06109ce4bf_e443ecac-fdea-42c6-b3d6-fe686f3a4479.jpg)
चलिए आज इसके पीछे की असल सच्चाई भी जान लीजिये-
दरअसल, हम भारतीयों की हमेशा से ही ये आदत रही है कि हम बिना कुछ सोचे समझे पश्चिम सभ्यता का अनुसरण करने में ख़ुद को श्रेष्ठ समझने लगते हैं. हमें अक्सर लगता है कि जो काम विदेशी कर रहें हैं वही सबसे अच्छा है. विदेशी कपड़े पहनने से लेकर अंग्रेज़ी बोलने तक कुछ लोग इसी में गर्व महसूस करने लगते हैं. भारत में आज भी अगर कोई सूट-बूट पहन कर फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी में बात करे तो लोग आसानी से उससे प्रभावित हो जाते हैं. इसके पीछे का कारण हमारा इतिहास रहा है, क्योंकि ‘बाबू’ शब्द भी इसी बात से जुड़ा हुआ है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619b43f08a373a06109ce4bf_0a4053ef-f59b-4df9-bfe8-0d1628112ce7.jpg)
‘बाबू’ शब्द का इतिहास है बेहद दिलचस्प
इस शब्द के पीछे का इतिहास बेहद पुराना और दिलचस्प है. 18वीं सदी में अंग्रेज़ों ने भारत में कदम रखा था. इस दौरान उन्होंने भारत पर तक़रीबन 200 साल राज किया. ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेज़ अधिकारी अपने घरों में घरेलु सहायक के तौर पर केवल भारतीयों को ही रखते थे. इसके बदले में अंग्रेज़ उन्हें कुछ पैसे के साथ-साथ अपने फटे-पुराने कपड़े भी दे दिया करते थे और घरेलु सहायक इसे ख़ुशी-ख़ुशी रख भी लेते थे.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619b43f08a373a06109ce4bf_31eb2284-fe66-4f86-9cd7-7c88433c4a4a.jpg)
ये भी पढ़ें- पासपोर्ट या अन्य डॉक्यूमेंट में क्यों होता है Middle Name वाला कॉलम, जानिए क्या है इसका इतिहास
अंग्रेज़ उड़ाया करते थे भारतीयों का मज़ाक
अंग्रेज़ों के दिए हुए कपड़े पहनने के बाद ये घरेलु सहायक अक्सर अपने साहब की नकल करने लगते थे और उन्हीं की तरह टूटी फूटी अंग्रेज़ी बोलने का प्रयास भी करते थे. घरेलु सहायकों के इस व्यवहार से अंग्रेज़ ख़ुद का मनोरंजन करते थे. इनकी ढीली-ढाली बेमेल पोशाक और टूटी-फूटी अंग्रेज़ी सुन अंग्रेज़ उन्हें बबून (Baboon) कहकर उनका मज़ाक भी उड़ाया करते थे.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619b43f08a373a06109ce4bf_79dcffb7-449c-48bf-98b3-386b6e971ebc.jpg)
‘बबून’ बन गया ‘बाबू’
हम भारतीयों को लगता था कि अंग्रेज़ अधिकारी और उनकी पत्नियां हमसे बेहद ख़ुश हैं और हमें प्यार से ‘बबून’ बुलाया जा रहा है. लेकिन उन्हें इस शब्द का सही मतलब मालूम ही नहीं था. इसके बाद अंग्रेज़ अधिकारी अपने घर में घरेलु सहायकों को इसी शब्द से पुकारने लगे. समय के साथ यही ‘बबून’ शब्द ‘बाबू’ बन गया. इसके बाद ‘बाबू’ शब्द किसी को प्यार को प्यार से पुकारने का पर्याय बन गया.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619b43f08a373a06109ce4bf_251cfa8b-9c4b-4ac3-92b1-76478c801e59.jpg)
इसके अलावा अंग्रेज़ ‘बबून’ शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए भी करते थे जिनके शरीर से बदबू आती थी. ये अधिकतर भारतीय हो होते थे. क्योंकि उस वक्त अधिकतर मेहनत वाले काम भारतीय ही किया करते थे. इस दौरान अंग्रेज़ उनके पास से पसीने की बदबू आने के चलते उन्हें ‘बबून’ कहते थे. लेकिन 19वीं सदी में ‘बाबू’ शब्द का इस्तेमाल एक अलग तरीके से होने लगा.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619b43f08a373a06109ce4bf_3bf0d9dd-0c9c-40ed-9d77-2319da38185d.jpg)
आज़ादी से पहले से ही भारत में सभी सरकारी काम ‘क्लर्कों’ के माध्यम से होते थे. इस दौरान आम लोगों ने अपने काम निकलवाने के लिए ‘क्लर्कों’ को ख़ुश करने के लिए उन्हें प्यार से ‘बाबू’ बोलना शुरू कर दिया. भारत में धीरे-धीरे इस शब्द का इस्तेमाल सरकारी दफ़्तरों में बड़ी मात्रा में होने लगा. इस दौरान बड़े अधिकारियों को ‘बड़े साहब’ जबकि उनसे छोटे अधिकारियों को ‘बाबू’ नाम से पुकारा जाने लगा.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/11/619b43f08a373a06109ce4bf_aefef907-ecc6-4335-a895-98a676328e34.jpg)
20वीं सदी में ये शब्द आदर और सम्मान का सूचक बन गया, जो आज तक चला आ रहा है. भारत में आज भी कई परिवारों में लोग अपने पिता को ‘बाबूजी’ भी कहकर भी बुलाते हैं. आज़ादी के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा. लेकिन 21वीं सदी में इस शब्द के मायने ही बदल गये. आज के दौर में छोटे बच्चों को प्यार से ‘बाबू’ बुलाया जाता है. इसके अलावा प्रेमी-प्रेमिका भी एक दूसरे को प्यार से ‘बाबू’ ही बुलाते हैं.
क्यों चौंक गये ना!
ये भी पढ़ें- क्या आप जानते हैं ‘हवाई चप्पल’ में ‘हवाई’ शब्द का क्या मतलब है? इसका अपना एक इतिहास है