15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान का बंटवारा कर ब्रिटिश हमेशा के लिए हमारा देश छोड़कर चले गए थे. आज़ादी से पहले जहां पर अंग्रेज़ों का राज था वो हिंदुस्तान कहलता था, लेकिन वो जाते-जाते इस देश का बंटवारा कर गए, जिसकी टीस आज भी इसका दंश झेल चुके लोगों को परेशान करती है.   

यहां ग़ौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान(Pakistan) अपना स्वतंत्रता दिवस हिंदुस्तान से 1 दिन पहले 14 अगस्त को मनाता है. इसके पीछे उसके अपने तर्क हैं, जैसे आज़ादी के समय पाकिस्तान में 14 तारीख़ थी और इसके धार्मिक कारण भी वहां के लोग बताते हैं. ख़ैर अब बात ये है कि हिंदुस्तान तो एक था तो नया देश पाकिस्तान बनाने की बात कहां से आई और ये शब्द आया कहां से. इस पर हमने थोड़ी छानबीन की तो इसकी इसका इतिहास पता चला. पाकिस्तान के नामकरण से जुड़ा यही इतिहास हम आज आपके लिए लेकर आए हैं.  

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पहले ये एक विचारमात्र था

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बात 1920 से शुरू होती है जब मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना(Muhammad Ali Jinnah) ने इंडियन नेशनल कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया. यहीं से एक अलग देश बनाने की सोच जन्म लेती है. पहले ये एक विचारमात्र था बाद में ये एक मांग का रूप ले लेती है. दरअसल, 1930 के दशक में भारत के भाग्य का फै़सला करने के लिए गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत हुई. इसके तीसरे सम्मेलन में अलग मुस्लिम राष्ट्र बनाने की मांग शुरू हुई. तब तक इसका नाम क्या होगा ये किसी ने नहीं सोचा था.

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रहमत अली ने तैयार किया अलग राष्ट्र का खाका  

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उस समय इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे एक मुस्लिम राष्ट्रवादी छात्र चौधरी रहमत अली(Choudhry Rahmat Ali) ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अलग देश की मांग करनी शुरू की. रहमत अली 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में वक़ालत की पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अलग मुस्लिम राष्ट्र का खाका तैयार किया. मसलन उसमें कौन-कौन से प्रांत शामिल होंगे और उसका नाम क्या रखा जाएगा. इसी दौरान वहां ब्रिटिश और भारतीय नेताओं के बीच तीसेर गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ. 

पहली बार इस बुकलेट में हुआ था पाकिस्तान नाम का ज़िक्र 

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इस सम्मेलन में रहमत अली ने अपने इस विचार को लेकर सभी नेताओं से बात करने कोशिश की. साथ में उन्होंने एक बुकलेट भी यहां आए लोगों को बांटना शुरू की जिसमें पाकिस्तान नाम का ज़िक्र था. इस बुकलेट का शीर्षक ‘Now Or Never’ था. इसमें हिंदुस्तान के 3 करोड़ मुसलमानों के लिए अलग देश PAKSTAN बनाने की डिमांड की थी. इसमें उन्होंने ये भी बताया था कि इस नए राष्ट्र में कौन-कौन से राज्य शामिल होंगे. 28 जनवरी 1933 को ये शब्द दुनिया के सामने आया था.(पाकिस्तान नाम )

क्या था पाकस्तान का मतलब

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उन्होंने PAKSTAN शब्द को विस्तारित कर उसमें शामिल राज्यों के नाम भी बताए थे. इसमें P- पंजाब, A- अफ़गानिस्तान, K- कश्मीर, S- सिंध, Tan- बलूचिस्तीन राज्यों को मिलाकर एक नया देश बनाने की बात कही गई थी. इसका ड्राफ़्ट उन्होंने ख़ुद ही तैयार किया था. इसपर रहमत अली को युवा मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साइन लेने में एक महीने का समय लग गया था. इसे उन्होंने गोलमेज संमेलन में प्रचारित किया.

मुस्लिम लीग ने किया नाम में सुधार

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यहीं से मुस्लीम लीग के नेता जिन्ना और अल्लामा इक़बाल ने नए मुस्लिम राष्ट्र का नाम उठा लिया. वो पहले ही लाहौर अधिवेशन में टू नेशन थ्यौरी और अलग मुस्लिम संविधान की मांग कर चुके थे. उनके पास नाम नहीं था तो उन्होंने पाकस्तान नाम इस बुकलेट से ले लिया. उन्होंने इस नाम को थोड़ा आसानी से बोलने के लिए इसमें आई जोड़ दिया. इस तरह Pakistan नाम अस्तित्व में आया. इसमें Pak का मतलब शुद्ध और Stan का मतलब ज़मीन था.(पाकिस्तान नाम ) 

हालांकि, एक कटू सत्य ये भी है कि 1947 में पाकिस्तान के बनने के बाद रहमत अली ख़ान इंग्लैंड से बसने यहां नहीं आए थे.