भारत (India) विभिन्न वर्गों और विभाजनों से भरा हुआ है, लेकिन इस देश की ख़ूबसूरती ये है कि यहां ज़रूरत के समय सभी एक साथ खड़े होते हैं. भारतीय इतिहास ने उतार-चढ़ावों के एक्सट्रीम पॉइंट्स भी देखे हैं. लेकिन इस दुखद समय ने देशवासियों को एक-दूसरे के और क़रीब ला दिया है. हमने एक-दूसरे की मदद की है और पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत स्थिति से उभरे हैं.

ऐसी घटनाएं सुर्खियां बन जाती हैं, कई अपने प्रियजनों को खो देते हैं लेकिन एक चीज़ जो रहती है वो मानवता है, जो सभी बाधाओं को पार कर जाती है. यहां हम आपको 10 त्रासदियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने भारत को प्रभावित किया लेकिन हमें एक साथ रहने में मदद की.

1. जलियांवाला बाग़ हत्याकांड (1919)

देश के इतिहास के सबसे दिल चीर देने वाले अध्यायों में से एक जलियांवाला बाग हत्याकांड, एक ऐसी घटना थी जिसने आज भी हर भारतीय का ख़ून खौलता है. पंजाब का एक खुशहाल शहर, अमृतसर, 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी का त्योहार मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार था, जब हजारों निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का जमावड़ा जनरल डायर के शूट-ऑन-साइट का लक्ष्य बन गया था. इसके बाद मौत, विनाश और ख़ून का नज़ारा हर तरफ़ देखने को मिला और ये देश की सबसे दुखद त्रासदी बन गई. ये साइट, जिस पर अभी भी लगभग एक सदी पहले से गोलियों के निशान हैं, अब ये एक राष्ट्रीय तीर्थस्थल बन गया है. हालांकि, ऐसा कुछ बर्दाश्त करना हम भारतीयों के बस की बात नहीं है. हत्या का बदला लेने के लिए, एक युवा सिख किशोर, उधम सिंह, 1940 में लंदन के कैक्सटन हॉल गए और पंजाब के उपराज्यपाल माइकल ओ डायर की हत्या कर दी, जिन्होंने जनरल डायर के आदेशों का समर्थन किया था.

ये भी पढ़ें: भोपाल गैस त्रासदी का ‘अनजान’ हीरो ग़ुलाम दस्तगीर, जिसकी वजह से बच गयी थी सैंकड़ों जानें

2. गुजरात भूकंप (2001)

26 जनवरी 2001 को जब गुजरात गणतंत्र दिवस मनाने के लिए जागा था, तब उस दिन 7.7 तीव्रता के भूकंप से राज्य हिल गया था. लगभग 20,000 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 4,00,000 घर नष्ट हो गए थे और अन्य 167,000 घायल हो गए थे. इस भूकंप ने भारत में सबसे अधिक तबाही मचाई थी. उपरिकेंद्र के बिंदु से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भुज का उनींदा शहर तबाह हो गया था. ज़रूरत के समय में देश एक साथ आया, और बड़े पैमाने पर राहत कार्य शुरू होते ही डोनेशन की बौछार होने लगी. हमेशा की तरह, भारतीय सेना ने आपातकालीन सहायता देने में तत्परता दिखाई.

3. कश्मीर बाढ़ (2014)

2014 में जम्मू-कश्मीर में लगातार भारी बारिश के कारण प्रकृति ने कहर बरपाया और जान-माल का नुकसान हुआ. आज़ादी के बाद से बाढ़ कथित तौर पर सबसे घातक रही है. भारत के असली नायक रक्षा बल इसके बाद तुरंत हरकत में आए और कई लोगों की जान बचाई. कश्मीर में 60 से अधिक वर्षों में आई सबसे भयानक बाढ़ से लगभग 2,600 गांव प्रभावित हुए. आपदा की भयावहता से स्थानीय प्रशासन सकते में था. बहरहाल, राजनीति को परे रखते हुए सभी लोग बचाव कार्य में जुट गए.

4. उत्तराखंड बाढ़ (2014)

2013 का मानसून उत्तराखंड के लोगों की अपेक्षा के अनुरूप नहीं था. प्रकृति ने अपना कहर बरपाया और सुखद बारिश मौत के मुंह में तब्दील हो गई. पीड़ितों की मदद के लिए कई हजार सैनिक, हेलीकॉप्टर, स्थानीय लोग और स्वयंसेवक एक साथ आए. भोजन, पानी, कपड़े, उनके लिए सब कुछ उपलब्ध कराया गया था। कुछ लोगों ने विशेष रूप से मदद करने के लिए उस स्थान की यात्रा भी की थी.

5. मुंबई आतंकी हमला (2008)

वो मुंबई में एक सामान्य दिन था; लोग काम के लिए दौड़ रहे थे, बच्चे लापरवाही से खेल रहे थे और गेटवे ऑफ इंडिया के सामने पर्यटक पोज़ दे रहे थे. तभी ताजमहल पैलेस होटल के भव्य गुंबद में धुआं भर गया. चंद मिनटों में शहर में दहशत फैल गई. इसके बाद छत्रपति शिवाजी टर्मिनल सहित अगले 4 दिनों तक सिलसिलेवार धमाकों का सिलसिला जारी रहा. लगभग 200 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हो गए. उस दौरान  रक्षा और पुलिस बल से लेकर स्थानीय लोगों और ताज के कर्मचारियों तक हर कोई लोगों की जान बचाने के लिए एकजुट हो गया था.

ये भी पढ़ें: भारत में 1877-1946 के बीच पड़े अकाल की त्रासदी, बेबसी और बेचारगी को बयां कर रही हैं ये तस्वीरें

6. भोपाल गैस त्रासदी (1984)

1984 में भोपाल में वह सर्दियों का एक सामान्य दिन था, जब वो हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. कौन सोच सकता था कि गैस रिसाव दुर्घटना दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा में बदल सकती है? 5,00,000 से थोड़ा अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस और अन्य रसायनों के संपर्क में थे. इस ज़हरीली गैस ने प्लांट के पास स्थित मलिन बस्तियों में और उसके आसपास अपना रास्ता बना लिया. आपदा का ऐसा प्रभाव था कि अनुमानित 1,20,000 से 1,50,000 जीवित बचे लोग अभी भी गंभीर चिकित्सा स्थितियों से जूझ रहे हैं.

7. हिन्द महासागर टीसुनामी (2004)

क़रीब दो दशक पहले, 26 दिसंबर, 2004 को हिंद महासागर के पानी ने अपना जंगली रूप दिखाया. हिंद महासागर के नीचे 9 तीव्रता के भूकंप के साथ, आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों ने पानी के हिंसक आंदोलन को पहले कभी नहीं देखा था. समाचार रिपोर्टों ने इसे इतिहास की सबसे घातक सुनामी कहा था, जिसमें भारत में लगभग 1,55,000 लोग मारे गए और 5,00,000 से अधिक घायल हुए. बुनियादी ढांचे की व्यापक क्षति, भोजन और पानी की कमी और आर्थिक क्षति के कारण मानवीय सहायता का एक बड़ा हिस्सा भेजा गया था. केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के राष्ट्र पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए थे.

8- चक्रवात फ़ैलिन (2013)

11 अक्टूबर 2013 को फ़ैलिन चक्रवात भारत के पूर्वी क्षेत्रों में आया था, जिससे दस लाख लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. लगभग 200 किमी/घंटा से चलने वाली हवाएं देश में प्रवेश कर गईं और ये बताया गया कि ये चक्रवात भारत के इतिहास की सबसे भयानक घटनाओं में से एक थी, जिसमें हर संभव क्षेत्र से भारी राहत कार्य किया जा रहा था. लोगों ने घबराने के बजाय दूसरों की मदद करने के लिए अथक प्रयास किया और इससे होने वाले नुकसान को कम किया.

9- ओडिशा सुपर चक्रवात (1999)

ओडिशा ने एक चक्रवात के रूप में बड़े पैमाने पर तबाही देखी, जो अंडमान द्वीप समूह से लगभग 550 किलोमीटर पूर्व में उत्पन्न हुआ था. अनौपचारिक आंकड़ों के मुताबिक, 50,000 से अधिक लोगों की मौत की हुई थी. लगभग 1,500 बच्चे अनाथ हो गए और 16,50,086 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे. चक्रवात की गति इतनी ज़्यादा थी कि हवा की गति को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण एनीमोमीटर, इसे रिकॉर्ड करने में विफ़ल रहा!

BAPS चैरिटीज़ ने लगभग 700 शवों का अंतिम संस्कार किया, क्योंकि स्थानीय लोग अजनबियों के शवों को छूने के बारे में अंधविश्वासी थे. इतना ही नहीं, तीन गांवों को संस्थाओं ने गोद लिया और उन्होंने कुछ गांवों का पुनर्निर्माण भी किया, जिसका काम चक्रवात आने के ढाई साल बाद पूरा हुआ.

10- मुंबई बाढ़ (2005)

बारिश, एक ऐसी चीज़ है, जो मुंबई को सबसे ज्यादा पसंद है. लेकिन 2005 में आई बारिश ने लोगों की रातों की नींद हराम कर दी. यहां आई बाढ़ 994 मिमी दर्ज की गई, जो 24 घंटे की बारिश के कारण हुई थी. ये अगले 3 दिनों तक जारी रहा और हज़ारों लोग फंसे रहे और बेघर हो गए. सरकार और स्थानीय लोगों ने हरकत में आने में देर नहीं लगाई और शहर जल्द ही सामान्य हो गया. लोगों को नावों और बसों के माध्यम से निकाला गया और सार्वजनिक भवनों में आश्रय दिया गया. सरकार ने मुफ्त अनाज भी दिया और 25,000 से अधिक लोगों को राहत दी गई. बाढ़ ने उस भावना को उजागर किया जिसके लिए मुंबई हमेशा से जाना जाता है – वो है दूसरों की मदद करना.