Jagjit Singh Aurora : बीबीसी के अनुसार, भारत से अलग होने के 24 साल बाद ही पाकिस्तान के अंदर आतंरिक कलह और युद्ध की बन गई थी. वहीं, कहा जाता है कि उस दौरान की पाकिस्तान की सरकारों की विफ़लता थी, जिसकी वजह से बंगालियों के प्रति अलगाव और भेदभाव बढ़ा. इस भेदभाव व अलगाव की वजह से कई पूर्वी पाकिस्तान से नागरिक भारत में दाखिल हो रहे थे. कहा जाता है कि उस दौरान क़रीब 10 लाख लोगों ने भारत में शरण ली थी. इस बीच पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसना शुरू कर दिया था और साथ ही पाकिस्तान भारत को धमकी भी देने लगा था. 

वहीं, पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत पर हमला कर दिया. हमले का जवाब देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा कर डाली. इसके बाद दोनों देशों के बीच जमकर युद्ध हुआ और इस ऐतिहासिक युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. उनके सैनिकों को भारतीय सेना के सामने सरेंडर होना पड़ा. वहीं, भारत-पाक युद्ध में भारत की विजय के फलस्वरूप बाग्लादेश का उदय हुआ.  
इस युद्ध में भारतीय सेना ने जमकर अपनी वीरता का प्रदर्शन दिखाया, वहीं, इसमें एक नाम ऐसा भी शामिल था जिसे पाक सेना के खिलाफ़ ख़ास युद्ध रणनिती और पूर्वी पाकिस्तान को आज़ाद कराने में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है. उनका नाम था लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा. आइये, इस ख़ास लेख में जानते हैं जगजीत सिंह अरोड़ा जी के बारे में. 

आइये, विस्तार से पढ़ते हैं Jagjit Singh Aurora के बारे में. 

लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा 

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Jagjit Singh Aurora : लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के झेलम ज़िले के कल्ले गुज्जरन नामक स्थान में हुआ था. जानकारी के अनुसार, उनके पिता एक इंजीनियर थे. वहीं, 1939 में उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएशन पूरा किया और दूसरी पंजाब रेजिमेंट की पहली बटालियन में भर्ती हुए.

वहीं, 1947 में एक कैप्टन से लेकर 1966 में एक जनरल तक, उनका सैन्य कार्यकाल उन्हें 1962 के भारत-चीन युद्ध में ब्रिगेडियर के रूप में नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) में ले गया. वहीं, वो डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ट्रेनिंग (DGMT) भी रहे. 1971 के युद्ध में ख़ास रणनीति बनाने की ज़िम्मेदारी मिलने से पहले वो और कई जगह पोस्टेड हुए थे.  

1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका 

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Jagjit Singh Aurora : पूर्व फ़िल्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, भले ही 1971 की लड़ाई में मेरी तारीफ़ हुई, लेकिन असली काम तो जग्गी (जगजीत सिंह अरोड़ा) ने किया था. वहीं, बेटर इंडिया वेबसाइट के अनुसार, जब पूर्वी पाकिस्तान की आज़ादी के लिए पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध हुआ, तो उसका नेतृत्व जगजीत सिंह अरोड़ा ने किया था. युद्ध शुरू होते ही, दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बन गई और भारत, पाकिस्तान पर दवाब बनान चाहता था. 

बनाई ख़ास रणनीति  

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Jagjit Singh Aurora : वहीं, भारतीय सेना को ये भी आदेश दिए गए थे कि वो पाक से लड़ाई की नौबत न बने, लेकिन पाकिस्तान आक्रमण पर आक्रमण किए जा रहा था. इस स्थिति को संभालने के लिए लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने ख़ास रणनीति बनाई और सेना को छोटी-छोटी टुकड़ियों में बांटकर पाक की अलग-अलग पोस्ट पर कब्ज़ा करने के लिए भेज दिया. रणनीती इतनी मजबूत थी कि भारतीय सेना कुछ ही दिनों में ढाका तक पहुंच गई थी.

भारतीय सेना के बढ़ते कदमों से खौफ़ खाकर उस समय के पाक लेफ़्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्लाह ख़ान नियाज़ी ने पीछे मुड़ने का फ़ैसला लिया था. इसके लिए पाक लेफ़्टिनेंट जनरल ने जगजीत सिंह अरोड़ा को वायरलेस पर संदेश भेजकर कहा कि हम सरेंडर करने के लिए तैयार हैं. इसपर जगजीत सिंह अरोड़ा ने जवाब दिया था कि अगर ऐसा है, तो भारतीय सेना सीमा से पीछे हट जाएगी.