भारत में मुस्लिम शासकों की जब बात आती है, तो उनके हिंदू विरोधी रूख की चर्चा सबसे ज़्यादा होती है. ऐसे कई मुस्लिम शासक हुए भी हैं, जिन्होंने मंदिरों को नुक़सान पहुंचाया है. मगर कुछ शासक ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने न सिर्फ़ धार्मिक भेदभाव से ख़ुद को दूर रखा, बल्कि, हिंदू मंदिरों को दिल खोलकर दान भी दिया. हैदराबाद के सातवें निज़ाम मीर उस्मान अली (Mir Osman Ali) का नाम इस लिस्ट में सबसे ऊपर है. इन्हें देश के सबसे अमीर शासकों में से एक माना जाता था.

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मीर उस्मान अली (Mir Osman Ali) के रईसी के जितने चर्चे थे, उतने ही कंजूसी के भी. कहते हैं निज़ाम ने कभी भी सिगरेट का पूरा पैकेट नहीं ख़रीदा. इतने कंजूस होने पर भी वो पेपरवेट के लिए 20 करोड़ डॉलर (1340 करोड़ रुपये) की क़ीमत वाले हीरे का इस्तेमाल करते थे. लेकिन, आज हम उनकी रईसी या कंजूसी की नहीं, बल्कि उनकी धर्मनिरपेक्ष दरियादिली की बात करेंगे. हैदराबाद के इस निज़ाम ने कई बार हिंदू मंदिरों को मोटा दान दिया. साथ ही, कई हिंदू प्रबंधन से जुड़े शिक्षा संस्थानों की भी आर्थिक मदद की.

निज़ाम मीर उस्मान अली (Mir Osman Ali) ने प्रसिद्ध तिरुमला बालाजी मंदिर से लेकर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी तक को दिया दान-

भगवान विष्णु का प्रसिद्ध वेंकटेश्वरा मंदिर एक ज़माने में हैदराबाद रियासत में आता था. सातवें निज़ाम ने आज़ादी से पहले तिरुपति के इस प्रसिद्ध तिरुमला बालाजी मंदिर में 8,000 रुपये दान किए थे.

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हैदराबाद के मंगलहाट में 25 एकड़ इलाके में सीताराम बाग मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर को जब जीर्णोद्धार की ज़रूरत थी, तब निज़ाम ने इसके पुर्ननिर्माण के लिए 50,000 रुपये दिए थे.

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श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मंदिर है. भद्राचलम में गोदावरी नदी के किनारे स्थित ये मंदिर भगवान राम और उनकी पत्नी देवी सीता को समर्पित है. इस मंदिर के लिए निज़ाम ने 29,999 रुपये दान किए थे.

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श्री लक्ष्मी नरसिंहा मंदिर तेलंगाना में यादाद्री भुवनगिरी जिले में स्थित है. इस मंदिर के निज़ाम ने 82,225 रुपये दान के रूप में दिए थे.

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महाभारत का प्रकाशन करने वाला पुणे स्थित भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट एक वक़्त आर्थिक परेशानी से गुज़र रहा था. उस वक़्त संस्थान की मदद करने के लिए निज़ाम उस्मान अली आगे आए. उन्होंने लगातार 10 सालों तक इसे 1000 रुपये की सालाना आर्थिक मदद दी. इतना ही नहीं, उन्होंने इस संस्थान के गेस्ट हाउस के निर्माण में 25,000 हजार रुपये की मदद की.

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मंदिरों के अलावा निज़ाम ने कई शिक्षा संस्थानों को भी आर्थिक मदद दी. उन्होंने शांति निकेतन को 1926-27 में 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई, जो बाद में बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दी गई.

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निज़ाम मीर उस्मान अली (Mir Osman Ali) नेसाल 1939 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के लिए भी 1 लाख रुपये डोनेट किए थे.

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वाक़ई, बिना धार्मिक भेदभाव के मंदिरों और शिक्षण संस्थानों के लिए दान करने के लिए निज़ाम मीर उस्मान अली (Mir Osman Ali) की तारीफ़ होनी चाहिए.