बात सन 1992 की है. गुजरात के अहमदाबाद में 94 साल के एक बुज़ुर्ग को उसके मकान मालिक ने किराया न दे पाने की वजह से घर से निकाल दिया था. इस बुज़ुर्ग के पास 1 पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, 1 प्लास्टिक की बाल्टी और 1 मग समेत कुछ टूटा-फूटा सामान था. बुज़ुर्ग ने किराया देने में मकान मालिक से कुछ दिन की मोहलत मांगी. इस दौरान पड़ोसियों को बुज़ुर्ग पर दया आयी और उन्होंने मकान मालिक को किराया चुकाने में कुछ समय देने के लिए मना लिया. आख़िरकार पड़ोसियों के कहने पर मकान मालिक ने बुज़ुर्ग को किराया देने के लिए कुछ समय दे दिया. इसके बाद बुज़ुर्ग अपना सामान अंदर लेकर चले गए.
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Prime Minister Gulzarilal Nanda
इस दौरान वहां से गुजर रहा एक पत्रकार ये सारा नज़ारा देख रहा था. ऐसे में उसने सोचा क्यों न इस ख़बर को मिर्च-मसाला लगाकर अपने समाचार पत्र में प्रकाशित की जाये. इस दौरान पत्रकार महोदय ने उस बुज़ुर्ग की और मकान मालिक की कुछ तस्वीरें भी खींच ली थी. इसके बाद वो इस ख़बर को लेकर सीधे अपने कार्यालय जा पहुंचा और इस खबर का शीर्षक भी सोच लिया ‘क्रूर मकान मालिक ने पैसों की ख़ातिर बुज़ुर्ग को किराएदार को घर से निकाला’.
Prime Minister Gulzarilal Nanda
इसके बाद पत्रकार महोदय इस ख़बर को लेकर प्रेस मालिक के पास जा पहुंचे. सोचा आज तो सर मुझे शाबासी देने वाले हैं. प्रेस मालिक ने पहले तो ख़बर पड़ी लेकिन जब उनकी नज़र तस्वीरों पर पड़ी तो वो हैरान रह गये. इतने में प्रेस मालिक ने पत्रकार से पूछा क्या आप जानते हैं वो बुज़ुर्ग कौन है? पत्रकार महोदय ने कहा, नहीं.
अगले दिन अख़बार के पहले पन्ने पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री गुलज़ारीलाल नंदा दयनीय जीवन जीने को मजबूर शीर्षक के साथ ख़बर छपी. ख़बर में आगे लिखा था कैसे एक पूर्व प्रधानमंत्री किराया नहीं दे पा रहे थे और उन्हें मकान मालिक ने घर से बाहर निकाल दिया है. इसके साथ ही टिप्पणी करते हुए लिखा आजकल एक नया नवेला विधायक भी ख़ूब सारा पैसा कमा लेता है. लेकिन जो शख़्स 2 बार भारत का प्रधानमंत्री और लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री रह चुका हो उसके पास अपना ख़ुद का घर भी नहीं है?
ये ख़बर पूरे देश में आग की तरह फ़ैल गई. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने तुरंत अपने मंत्रियों और अधिकारियों को वाहनों के एक बेड़े के साथ उनके घर भेजा. इस दौरान अपने घर के बाहर VIP वाहनों के बेड़े को देख मकान मालिक दंग रह गया. तब जाकर उसे पता चला कि उसका किराएदार कोई मामूली इंसान नहीं, बल्कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री गुलज़ारीलाल नंदा हैं. इसके बाद मकान मालिक अपने दुर्व्यवहार के लिए गुलज़ारीलाल नंदा के चरणों में लेट गया.
Prime Minister Gulzarilal Nanda
इस दौरान अधिकारियों ने गुलज़ारीलाल नंदा (Gulzarilal Nanda) से सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं को स्वीकार करने का अनुरोध किया. लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ये कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वो इस बुढ़ापे में ऐसी सुविधाओं का क्या करेंगे. ऐसे में वो अंतिम सांस तक एक सामान्य नागरिक की तरह और एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी बन कर जिए.
Prime Minister Gulzarilal Nanda
दरअसल, स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण गुलज़ारीलाल नंदा (Gulzarilal Nanda) को 500 रुपये प्रति माह भत्ता मिलता था. लेकिन उन्होंने ये कहते हुए इस पैसे को मना कर दिया था, कि उन्होंने स्वाधीनता की लड़ाई भत्ते के लिए नहीं, बल्कि देश की आज़ादी के लिए लड़ी थी. ऐसे में उनके करीबियों ने ये कहते हुए उन्हें ये राशि स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया कि उनके पास जीवन यापन का कोई अन्य स्रोत नहीं है. गुलज़ारीलाल नंदा बुढ़ापे में इसी पैसे से अपना किराया देकर गुजारा करते थे.
असल ज़िंदगी में कौन थे गुलज़ारीलाल नंदा?
गुलज़ारीलाल नंदा (Gulzarilal Nanda) का जन्म 4 जुलाई 1898 पाकिस्तान के सियालकोट (तत्कालीन भारत) में हुआ था. वो भारत के एक बड़े राजनेता होने के सात-साथ बेहतरीन अर्थशास्त्री भी थे. वो सन 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद और सन 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद दो बार 13 दिनों के कार्यकाल के लिए भारत के अंतरिम प्रधानमंत्री रहे थे. हालांकि, सत्तारूढ़ ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के संसदीय दल द्वारा नया प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद उनके दोनों कार्यकाल समाप्त हो गये थे. गुलज़ारीलाल नंदा को श्रम मुद्दों में महारत हासिल थी.
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सन 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा के मिले-जुले प्रयासों से उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था.