Queen Elizabeth left Behind Unsolved Questions related to India: महारानी एलिज़ाबेथ के निधन के दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में एक ऐसी परियोजना का उद्घाटन किया जिसे वो ब्रिटिश राज के “उत्पीड़न और गुलामी का प्रतीक” बता चुके हैं. राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक जाने वाली सड़क ‘राजपथ’ को ‘कर्त्तव्य पथ’ का नया नाम देते हुए मोदी ने कहा, “गुलामी का प्रतीक राजपथ आज इतिहास बन गया.”

एलिज़ाबेथ (Queen Elizabeth and India) उसी “औपनिवेशिक सोच” की जीती जागती कड़ी थीं, जिसके निशानों को हटाने की बात मोदी ने 15 अगस्त 2022 को लाल क़िले से दिए अपने भाषण में कही थी. ऐसा ही कुछ उन्होंने पांच सितंबर को भारतीय नौसेना के नए विमान वाहक जहाज आईएनएस विक्रांत को कमीशन करते समय भी कहा था.

उस दिन उन्होंने भारतीय नौसेना के नए झंडे का भी उद्घाटन किया था. उसका उद्घाटन करते हुए भी मोदी ने यही कहा था कि वो देश के “औपनिवेशिक अतीत” को मिटा देगा. एक जीती जागती राजशाही होने की वजह से ब्रिटेन की राजशाही को इसी औपनिवेशिक अतीत का उत्तराधिकारी माना जाता है.

आइये, अब विस्तार से पढ़ते (Queen Elizabeth left Behind Unsolved Questions related to India) हैं आर्टिकल.

औपनिवेशिक अतीत के तार

Former Queen Alizabeth Second with Indira gandhi
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Queen Elizabeth left Behind Unsolved Questions related to India: सबसे लंबे समय तक इस राजशाही की गद्दी संभालने वाली के रूप में महारानी एलिज़ाबेथ का कभी कॉलोनी रहे भारत के साथ एक पहेलीनुमा रिश्ता था. उनके निधन पर भारत में 11 सितंबर को राजकीय शोक मनाने की घोषणा की गई है.

1952 में जब महारानी एलिजाबेथ की ताजपोशी हुई तब भारत एक आजाद देश बन चुका था. लेकिन, उनकी ताजपोशी पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सम्मानित अतिथि के रूप में मौजूद थे. भारत अभी भी राष्ट्रमंडल समूह का सदस्य है, जिसकी मुखिया अपने निधन तक महारानी एलिज़ाबेथ थीं.

अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ दशकों तक संघर्ष करने के बावजूद भारत ने ब्रिटेन और ब्रिटेन की राजशाही के प्रति कटुता का भाव नहीं दिखाया. लेकिन, अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान भारत के ख़िलाफ़ हुए अत्याचार से जुड़े सवालों से वो अनछुई नहीं रहीं.

कई इतिहासकार और राजनीतिक समीक्षक इस बात को मानते हैं कि आधुनिक ब्रिटेन को अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान भारत समेत पूर्वी कॉलोनियों में किए गए “लूट पाट” के लिए माफी मांगनी चाहिए और उसकी कीमत चुकानी चाहिए. लेकिन, भारत सरकार ने इस मांग से अपने आप को आधिकारिक रूप से कभी नहीं जोड़ा.

भारत में विरोध

protest against queen Alizabeth
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Queen Elizabeth and India: जुलाई 2015 में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी एक भाषण में यही बात कही थी. उसके बाद मोदी ने थरूर के भाषण की तारीफ की थी, लेकिन वो इस मांग का समर्थन करते है या नहीं यह नहीं कहा था.

इसके बावजूद इस तरह के सवाल हमेशा बने रहे और दूसरी पूर्व कॉलोनियों की तरह भारत में भी एलिजाबेथ और शाही परिवार के अन्य सदस्यों का पीछा करते रहे. एलिजाबेथ अपने राज के दौरान सिर्फ तीन बार भारत आईं.

वो आखिरी बार भारत 1997 में आई थीं, जिस साल भारत अंग्रेजी हुकूमत से अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था. दिल्ली में उनके आगमन से पहले ब्रिटेन के उच्च आयोग के बाहर उनके खिलाफ इतना भारी प्रदर्शन हो रहा था कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा था.

लोग एलिज़ाबेथ की प्रस्तावित अमृतसर यात्रा को लेकर नाराज थे और प्रदर्शन कर रह थे. 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग में अंग्रेज़ी हुकूमत के अधिकारी जनरल आर डायर के आदेश पर अंग्रेजी सेना के सिपाहियों ने निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी थीं. हमले में कम से कम 379 लोग मारे गए थे.

क्या करेंगे चार्ल्स

Queen Alizabeth
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Queen Elizabeth and India: वो हत्याकांड आज भी दोनों देशों के रिश्तों में एक कांटे की तरह है. एलिज़ाबेथ अपने पति प्रिंस फ़िलिप के साथ जलियांवाला बाग गईं, वहां सिर झुकाया, 30 सेकंड का मौन रखा और शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी, लेकिन माफी नहीं मांगी.

एक अलग कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठिन प्रकरण हुए हैं और जलियांवाला बाग ऐसा ही एक परेशान कर देने वाला उदाहरण है. लेकिन हम कितना भी चाहें, इतिहास को दोबारा लिखा नहीं जा सकता.”

टावर ऑफ लंदन के ज्वेल हाउस में रखे एलिजाबेथ के शाही मुकुट में जड़ा कोहिनूर हीरा भी ब्रिटेन के औपनिवेशिक अतीत की एक कड़ी है. कोहिनूर दुनिया के सबसे बड़े तराशे हुए हीरों में से है और कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले उसकी खोज भारत की ही एक खदान में हुई थी.

अलाउद्दीन खिलजी से लेकर नादिर शाह तक कइयों के हाथों कब्ज़ाए जाने के बाद जब 1849 में अंग्रेजों ने पंजाब पर हुकूमत कायम की, तब इसे एलिज़ाबेथ की पूर्वज महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया. अब कोहिनूर के स्वामित्व पर भारत के अलावा पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान भी दावा करते हैं लेकिन ब्रिटेन इसे सौंपने से आज तक इंकार करता रहा है.

Prince Charles and Camilla Parker
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ताज में जो कोहिनूर जड़ा है उसे एलिजाबेथ के बेटे चार्ल्स की पत्नी कैमिला पहनेंगी. लेकिन कोहिनूर और अंग्रेजी हुकूमत के औपनिवेशिक अतीत के अन्य विवादों का असल भार चार्ल्स के सिर पर ही आएगा. देखना होगा कि वो इस भार का क्या करते हैं.