भारत की सीमाओं पर खींची गई रेखा का ये अंजाम हुआ कि एक देश हमेशा के लिए दो हिस्सों में बंट गया. कुछ हिस्सा नफ़रत का, कुछ प्यार का, कुछ अलगाव का कुछ समानताओं का. भारत और पाकिस्तान विभाजन के बाद दोनों देशों को एक रखने की कई कोशिशों में से एक थी ‘समझौता एक्सप्रेस’.

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1971 में हुए बांग्लादेश युद्ध के परिणामों को उलटने के लिए ‘शिमला समझौता’ किया गया था. इस शांति संधि के तहत ‘समझौता एक्सप्रेस’ की नींव रखी गई थी. एक ऐसी रेल यात्रा जो दोनों देशों को जोड़ कर रखने वाली थी. जिस कारण इस ट्रेन को ‘शांति का संदेश’ भी कहा गया था. दुर्भाग्य से, 8 अगस्त, 2019 को समझौता एक्सप्रेस की सेवा हमेशा के लिए निलंबित कर दी गई थी. इसकी वजह भी आपको आगे बताएंगे मगर पहले जानिए इस ‘समझौते’ के इतिहास का सफ़र कहां से और कैसे शुरू हुआ था. 

समझौता एक्सप्रेस 22 जुलाई, 1976 को ‘शिमला समझौते’ के तहत चलना शुरू हुई थी. शिमला समझौता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के बीच 1972 में हुआ था. समझौता एक्सप्रेस भारत की राजधानी, दिल्ली से सीमा पर अटारी और फिर पाकिस्तान में लाहौर तक चलती थी. 

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शुरुआत में यह ट्रेन अमृतसर से लाहौर तक के लिए चलती थी. हालांकि, 80 के दशक के अंत में पंजाब में तनाव बढ़ने के बाद से भारतीय रेलवे ने अटारी से इसका चलना बंद कर दिया और यह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलने लगी थी. इतना ही नहीं, पहले यह ट्रेन हर रोज़ भारत – पाकिस्तान जाती थी मगर 1994 के बाद से यह हफ़्ते में मात्र 2 दिन चलने लगी थी. लाहौर से ट्रेन सोमवार और गुरुवार को चलती थी तो वहीं दिल्ली से ट्रेन हर बुधवार और रविवार को चलती थी. 

इस एक्सप्रेस में 6 स्लीपर कोच और एक AC 3-टियर कोच शामिल थे. इस ट्रेन सेवा को भारतीय रेलवे और पाकिस्तान रेलवे के बीच एक समझौते के साथ स्थापित किया गया था, जिसमें एक बार में 6 महीने के लिए ट्रेन में भारतीय रेक और लोकोमोटिव (locomotive) का इस्तेमाल किया जाता था और बचे हुए 6 महीने में पाकिस्तान का. इसलिए, छह महीने के लिए यह भारतीय रेलवे द्वारा और छह महीने के लिए पाकिस्तान रेलवे द्वारा चलाई जाती थी.

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क्यों हुई समझौता एक्सप्रेस की सेवाएं निलंबित? 

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद ही पाकिस्तान ने 8 अगस्त, 2019 को समझौता एक्सप्रेस की सेवा को निलंबित कर दिया था. 

“भारत कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन करता रहता है और हम केवल दर्शक नहीं रहेंगे. जब तक मैं रेल मंत्री हूं, समझौता एक्सप्रेस नहीं चलेगी.” तत्कालीन रेल मंत्री, शेख राशिद अहमद.