Shaheed Diwas: भगत सिंह का जब भी ज़िक्र आता है तो एक तस्वीर हमारे ज़ेहन में सबसे पहले उभरती है. वो तस्वीर जिसमें एक नौजवान कैमरा लेंस को ऐसे देख रहा है, मानो अंग्रेज़ी हुकूमत को अपने बेखौफ़ इरादों से वाकिफ़ करा रहा हो. मूंछें इस कदर उठी हुईं जैसे क्रांति का बिगुल बजने को है. स्वदेशी सोच पर विदेशी हैट को ऐसे टेढ़ा कर पहना हुआ है, जैसे कह रहे हों कि भारतीय क्रांतिकारी ईस्ट इंडिया कंपनी का साम्राज्य गिराने को तैयार हैं. (Story Of Bhagat Singh Famous Picture In Hat)

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ये चर्चित तस्वीर (Bhagat Singh Famous Photos) भगत सिंह ने 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने से पहले खिंचवाई थी. मगर क्या आप जानते हैं कि इस तस्वीर के पीछे की कहानी क्या है और आख़िर किस जगह पर उनकी ये फ़ोटो खींची गई थी? आइए जानते हैं-

जब दिल्ली पहुंचे भगत सिंह

अप्रैल 1929 को भगत सिंह और उनके साथी बटुकेशवर दत्त दिल्ली पहुंच चुके थे. आज जो संसद भवन है, वो उस जमाने में काउंसिल हाउस कहलाता था. सेफ़्टी बिल पेश होने से दो दिन पहले यानी 6 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ काउंसिल हाउस के असेंबली हॉल तक गए थे ताकि ये जायजा लिया जा सके कि ऑपरेशन को कहां से अंज़ाम दिया जाएगा.

Story Of Bhagat Singh Famous Picture In Hat

मगर उसके भी दो दिन पहले यानि 4 अप्रैल को भगत सिंह एक स्टूडियों भी गए थे. ये स्टूडियो था दिल्ली के कश्मीरी गेट इलाके में स्थित ‘रामनाथ स्टूडियो’. हैट में उनकी जो फोटो देश-दुनिया में फ़ेमस है, वो रामनाथ स्टूडियो में ही खिंचवाई गई थी. (Bhagat Singh Famous Picture was taken in Ramnath Studios)

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कश्मीरी गेट में सेंट जेम्स चर्च के पास ये स्टूडियो था. तब उनके साथ बटुकेश्वर दत्त ने भी हैट में फोटो खिंचवाई थी. फोटों खिंचवाने के चार दिन बाद यानी 8 अप्रैल 1929 को उन्होंने असेंबली में बम फेंका था.

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपबल्किन आर्मी (HSRA) के जिन सदस्यों ने असेंबली पर बम फेंकने का पूरा प्लान किया था, उन्होंने ही भगत सिंह की स्टूडियो में फ़ोटोग्राफ़ी अरेंज की थी. इनमें से एक जयदेव कपूर भी थे. फ़ोटोग्राफ़र को निर्देश दिया था कि ‘हमारा दोस्त दूर जा रहा है, इसलिए हम उसकी एक अच्छी तस्वीर चाहते हैं.’

हालांकि, ये तस्वीर HSRA सदस्यों को जब तक मिलती, तब भगत सिंह की गिरफ़्तारी हो चुकी थी. क्योंकि, फ़ोटो डेवलेप नहीं हो पाई थी. बम फेंके जाने की घटना के बाद ब्रिटिश पुलिस बार-बार पूछताछ के लिए रामनाथ फोटो स्टूडियो आने लगी थी. हालांकि, जयदेव कपूर ने रामनाथ फोटो स्टूडियो जाकर बाद में तस्वीर और नेगेटिव लिए थे.

तस्वीर प्रकाशित करने से डर रहे थे अख़बार

जयदेव कपूर ने बताया कि भगत सिंह की इच्छा थी कि उनकी गिरफ़्तारी के बाद तस्वीर को जगह-जगह पब्लिश किया जाए. ऐसे में कपूर ने हिंदुस्तानी अख़बारों तक तस्वीर पहुंचाई. HSRA के सदस्य बिमल प्रसाद जैन द्वारा हिंदुस्तान टाइम्स कार्यालय में भी फ़ोटो दी गई. मगर किसी ने छापी नहीं.

अख़बारों को डर था कि तस्वीर छापने पर उन्हें राजद्रोह के तहत बुक किया जा सकता है. ऐसे में सब इंतज़ार कर रहे थे कि पहले कोई दूसरा छाप दे. हालांकि, लाहौर स्थित एक उर्दू दैनिक ‘बंदे मातरम’ ने 12 अप्रैल को तस्वीर प्रकाशित की. बाद में ये तस्वीर बेहद पॉपुलर हो गई.

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ज़ाहिर है, जब ये तस्वीर भगत सिंह ने खिंचवाई थी तो वो जानते थे कि आने वाले वक़्त में वो बाहर ऐसा कुछ नहीं कर पाएंगे. उन्हें अपनी मंज़िल पता थी और वो इस बात से कभी डरे नहीं. 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह और उनके साथ राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी.

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