14 अगस्त, 2022, पूरा देश आज़ादी के जश्न की तैयारियों में जुटा हुआ था. इसी दौरान उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहने वाली 65 साल की शांति देवी को एक फ़ोन कॉल आया. ये एक ऐसा फ़ोन कॉल था जिसका इंतज़ार उन्हें बीते 38 वर्षों से था. दरअसल, ये फ़ोन कॉल उनके शहीद पति लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला (Chandra Shekhar Harbola) से जुड़ा हुआ था. भारतीय सेना (Indian Army) के इस एक फ़ोन कॉल ने पूरे ‘हर्बोला परिवार’ को अचंभे में डाल दिया था.

ये भी पढ़ें: JFR Jacob: इंडियन आर्मी का वो शूरवीर जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के पराजय की पटकथा लिखी

YouTube

दरअसल, 38 साल पहले शांति देवी के पति लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला जब भारतीय सेना (Indian Army) के ऑपरेशन मेघदूत के लिए रवाना हुए थे तो उन्होंने अपनी पत्नी से वादा किया था कि वो जल्द ही लौटकर आएंगे. लेकिन न तो वो वापस आये न ही परिवार को कभी उनके पार्थिव शरीर की कोई जानकारी मिल सकी. लेकिन 14 अगस्त, 2022 को भारतीय सेना के एक फ़ोन कॉल ने इस परिवार वो ख़ुशी दी जिसका वो 38 सालों से इंतज़ार कर रहे थे.

YouTube

भारतीय सेना (Indian Army) के अधिकारियों ने फ़ोन कॉल पर शांति देवी को बताया कि, 38 साल बाद सियाचिन (Siachen) के एक बंकर में उनके पति का पार्थिव शरीर मिला है और 2 दिन बाद उनके पार्थिव शरीर को हल्द्वानी पहुंचाया जा रहा है. ये सूचना पाते ही शांति देवी ने इसकी जानकारी अपनी बेटियों को दी. जब उनकी बेटियों ने भारतीय सेना के अधिकारियों से इस संबंध में फिर से संपर्क कर इसकी पुष्टि की तो पूरा परिवार मानों ख़ुशियों के सागर में डूब गया.

YouTube

38 साल पहले जब चन्द्रशेखर हर्बोला घर से निकले थे तब उनकी बड़ी बेटी की उम्र 4 साल जबकि छोटी बेटी की उम्र सिर्फ़ 1.5 साल थी. अपने पिता की बहादुरी के क़िस्से सुनते हुए बड़ी हुई दोनों बेटियों को ताउम्र ये गम रहा था कि उनके होश संभालने से पहले ही उनके पिता हमेशा के लिए उन्हें छोड़कर चले गये. अब 38 साल बाद उनके पिता का पार्थिव शरीर उनके पास आ रहा था, जिसकी उन्हें कभी उम्मीद ही नहीं थी.  

YouTube

लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजिमेंट के जांबाज़ सिपाही थे. ये वही रेजिमेंट है जिसने सियाचिन (Siachen) को हासिल कर पूरी दुनिया में भारतीय सेना का डंका बजाया था. दरअसल, साल 1984 में जब सियाचिन को हासिल करने के लिए ऑपरेशन मेघदूत की रणनीति बनाई जा रही थी तब ‘कुमाऊं रेजिमेंट’ को ही इस चुनौती के लिए चुना गया था. ये वही रेजीमेंट है जिसने भारतीय सेना का पहला ‘परम वीर चक्र’ हासिल किया था. मेजर सोमनाथ शर्मा ‘परम वीर चक्र’ पाने वाले पहले भारतीय सैनिक थे.

YouTube

बात अप्रैल 1984 की है. सुबह के 5:30 बजे कैप्टन संजय कुलकर्णी ने 1 अन्य सैनिक के साथ बेस कैंप से ‘चीता हेलीकॉप्टर’ पर उड़ान भरी. इसके पीछे 2 हेलीकॉप्टर और थे. इस दौरान कैप्टन संजय कुलकर्णी के अलावा 1 JCO समेत 27 सैनिकों को दोपहर तक 17 उड़ानें भरकर स्क्वॉर्डन लीडर सुरेंद्र बैंस और रोहित राय ने सियाचिन के Bilafond La पर उतारा. लेकिन उस दिन विज़िबिलिटी बेहद कम थी और तापमान भी माइनस 30 डिग्री के क़रीब था.

YouTube

ये भी पढ़ें: मोहम्मद उस्मान: भारतीय सेना का वो अधिकारी, जिन्होंने ठुकरा दिया था मोहम्मद अली जिन्ना का ऑफ़र

दरअसल, लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला उन 20 जवानों के दल में शामिल थे, जो एक एवलांस (Avalanche) की चपेट में आ गए थे. इस दौरान 15 जवानों की मौके पर ही मौत हो गयी थी, जिनके शव भारतीय सेना के बचाव दल को मिल गए थे, लेकिन 5 शव बरामद नहीं हो पाए थे. इनमें लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला भी शामिल थे. लेकिन 38 साल बाद भारतीय सेना की एक सर्च टीम को सियाचिन के एक बंकर में चन्द्रशेखर हर्बोला का शव सही सलामत मिला था.

YouTube

इस दौरान हैरानी की बात ये थी कि 38 साल भी भारतीय सेना (Indian Army) के वीर जवान लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला पार्थिव शरीर काफ़ी हद तक ठीक था. ये अपने आप में हैरानी की बात है. आख़िरकार 17 अगस्त, 2014 को शहीद लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर उनके प्रतीक शहर हल्द्वानी पहुंचा. इस दौरान रानीबाग के ‘चित्रशिला घाट’ पर उनका पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. भारत के सियाचिन पर कब्ज़े के इसी ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन मेघदूत’ कहा जाता है.

YouTube

पूर्व भारतीय एयर वाइस मार्शल अर्जुन सुब्रमण्यम ने अपनी किताब Full Spectrum: India’s Wars में भी ‘ऑपरेशन मेघदूत’ की इस घटना का ज़िक्र किया है. जिनमें वो लिखते हैं 1983 में पाकिस्तान ने सियाचिन के Bilafond La पर नियंत्रण करने के लिए मशीन गन और मोर्टार से लेस अपने सैनिकों का एक छोटा दल भेजा था. लेकिन मौसम इतना ख़राब हुआ कि पाकिस्तान का ये दल सफल नहीं हो पाया. भारतीय सेना की एक टुकड़ी भी इसी ख़राब मौसम का शिकार हुई थी. 

ये भी पढ़ें: भारतीय सेना के जवानों की कही वो 11 प्रेरणादायक बातें, जिनमें देशप्रेम का जज़्बा कूट कूटकर भरा है