Sewa Singh who Defused Pakistani Bomb With Bare Hand: 1971 की जंग भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक लड़ाई थी, जो 3 दिसंबर 1971 से (पूर्वी पाकिस्तान में Bangladesh Liberation War के दौरान) 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी आत्मसमर्पण तक चली थी. 13 दिनों तक चली इस लड़ाई में पाकिस्तान कई मोर्चों पर हारा. पूरी सेक्टर से लेकर पश्चिमी सेक्टर में भी पाकिस्तान को कड़ी मात मिली थी.


1971 की जंग में पाकिस्तान को धूल चटाने में सुबेदार सेवा सिंह भी शामिल थे, जिन्होंने नंगों हाथों से ही पाक बमों को डिफ्यूज़ कर दिया था. आइये, जानते हैं भारत के इस बहादुर सिपाही के बारे में.    

विस्तार से जानते हैं सूबेदार सेवा सिंह (Sewa Singh who Defused Pakistani Bomb With Bare Hand) के बारे में. 

शौर्य चक्र से सम्मानित

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Sewa Singh who Defused Pakistani Bomb With Bare Hand: 1971 की लड़ाई में शामिल सूबेदार सेवा सिंह को जंग में उनकी बहादुरी के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. वो पुणे के किरकी में सेना के Bombay Engineer Group के बम निरोधक प्लाटून में थे. सेवा सिंह का जन्म अप्रैल 1929 को अंबाला के शहजादपुर गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वहीं ली और 18 वर्ष की आयु में वो भारतीय सेना में शामिल (1947) हो गए थे. सेना में ही उन्होंने पहले डिवीज़न से ‘आर्मी स्पेशल’ की पढ़ाई पूरी की.

बमों को डिफ़्यूज़ करने की ज़िम्मेदारी   

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एक मीडिया से बात करते हुए ख़ुद सेवा सिंह ने बताया था कि उस दौरान पाकिस्तान ने ज़ीरा गांव (फ़िरोज़पुर में) कई बम गिराए थे. उनमें से 6 नहीं फटे और एक फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के गोदाम में अनाज की बोरियों के ढर पर गिरा. ये बम भारी नुकसान पहुंचा सकते थे. सेवा सिंह बताते हैं कि उन बमों ने हमारे यूनिट का काम मुश्किल कर दिया था, जो या तो ख़राब थे या जो जिनमें टाइमर लगे हुए थे और हम उनसे परीचित नहीं थे. 


दिसंबर 3 से 17 के बीच पाकिस्तानियों ने हज़ार पाउंड के क़रीब बम पंजाब, जम्मू-कश्मीर की सीमा और सैन्य ठिकानों और नागरिकों पर गिराये थे. इनमें कई ब्रिटिश या अमेरिकी बम थे, जबकि कई पाकिस्तानी थे, जिनमें विस्फोट नहीं हुआ. सेवा सिंह की प्लाटून को उन बमों को डिफ़्यूज़ करने के लिए बुलाया गया था.

बिना प्रोटेक्टिव सूट के डिफ़्यूज़ किए बम   

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Sewa Singh who Defused Pakistani Bomb With Bare Hand: सेवा सिंह ने मीडिया को बताया था कि उन्हें फिरोज़पुर के ज़ीरा गांव पर गिरे बमों को डिफ़्यूज़ करने और एफ़सीआई के गोदाम को बचाने का काम सौंपा गया था. इस पर सेवा सिंह ने कहा था कि, “भगवान की दुआ से मैंने बिना डरे अपना काम किया. हमारी एक बढ़िया टीम थी और मैंने अकेले 5 बमों को नंगे हाथों से और बिना प्रोटेक्टिव सूट के डिफ़्यूज़ किया था.”    

चार पीढ़ी आर्मी में   

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Sewa Singh who Defused Pakistani Bomb With Bare Hand: सेवा सिंह के दादा और उनके पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे. उनके तीन बेटे हैं, जिनमें दो नेवी में थे. फिलहाल, सेवा सिंह अपने बेटे के साथ अंबाला कैंटोनमेंट में रहते हैं. सेवा सिंह के बारे में जानकर आपको कैसा लगा हमें कमेंट में बताना न भूलें.