उत्तर भारत का हरियाणा राज्य हमेशा से ही हिंदी भाषी राज्य रहा है. हरियाणा में आज भी मुख्य रूप में हरियाणवी भाषा बोली जाती है. लेकिन 1969 के दशक में एक दौर ऐसा भी आया जब हरियाणा ने तमिल भाषा (Tamil language) को राज्य में दूसरी भाषा का दर्जा मिला था. ये फ़ैसला हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल के पहले कार्यकाल में लिया गया था. उस समय केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी. इस दौरान बंसीलाल सरकार ने ये तर्क दिया गया था कि जब पूरा देश एक है तो हमें हर भाषा को अपनाना चाहिए.

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आख़िर ‘तमिल भाषा’ को हरियाणा में दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा क्यों दिया गया था. इसके पीछे की असल वजह क्या थी?

दरअसल, इसके पीछे की असल वजह है पंजाब और हरियाणा का बंटवारा. 1 नवम्बर, 1966 को पंजाब और हरियाणा एक दूसरे से अलग हो गये थे. लेकिन बंटवारे के बावजूद इन दोनों राज्यों के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद चलता रहता है. इनमें जल बंटवारा, हवाई अड्डा का मुद्दा अहम था. इसी विवाद ने हरियाणा को दक्षिण भारत की भाषाओं के क़रीब ला दिया था. तमिल भाषा (Tamil language).

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हरियाणा ऑफ़िशियल लैंग्वेज एक्ट 1969

पंजाब और हरियाणा के बंटवारे के बावजूद हरियाणा में ‘पंजाब ऑफ़िशियल लैंग्वेज एक्ट 1960’ के तहत ही काम-काज चल रहा था और पंजाबी ही दोनों राज्यों की आधिकारिक भाषा हुआ करती थी. लेकिन लगातार बढ़ते विवाद के चलते हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल इतने गुस्से में आ गये कि उन्होंने हरियाणा ऑफ़िशियल लैंग्वेज एक्ट 1969 के तहत ‘पंजाबी भाषा’ के बजाय किसी भी अन्य भाषा को राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा घोषित करने का कड़ा फ़ैसला ले लिया. हालांकि, हरियाणा पहले ही ‘पंजाबी भाषा’ की जगह ‘हिंदी भाषा’ को अपना चुका था.  

तमिल भाषा (Tamil language)

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आख़िरकार सन 1969 में पंजाब को सबक सिखाने के लिए हरियाणा ने अपनी दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में ‘पंजाबी भाषा’ के बजाय ‘तमिल भाषा’ को चुनने का फ़ैसला किया. लेकिन हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल के इस निर्णय के पीछे एक उद्देश्य और था. दरअसल, बंसीलाल हरियाणा के छात्रों को कम से कम दो भारतीय भाषाओं को सीखने का अवसर देना चाहते थे, जिनमें से एक उत्तर (हिंदी) और दक्षिण (तमिल) से थी. सरकार दक्षिण भारतीय भाषा को बढ़ावा देना चाहती थी क्योंकि उन दिनों दक्षिण में हिंदी विरोधी आंदोलन चल रहे थे. ऐसे में बंसीलाल दिखाना चाहते थे कि अगर उत्तर भारतीय राज्य दक्षिण भारतीय भाषा को अपना सकते हैं, तो उन्हें हिंदी का विरोध नहीं करना चाहिए.

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सन 1970 के दशक की शुरुआत में राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में तेलुगु पढ़ाने के लिए लगभग 100 शिक्षकों की नियुक्ति भी की थी. लेकिन सही मायने में ‘तमिल’ हरियाणा की दूसरी अधिकारिक भाषा कभी बन ही नहीं पायी. क्योंकि लोगों का इसे पूरी तरह से अपनाया ही नहीं. हरियाणा के भाषा से जुड़े कानून का तीन बार संशोधन किया जा चुका है पर तमिल भाषा (Tamil language) का कहीं पर जिक्र नहीं किया गया.

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साल 2004 ओमप्रकाश चौटाला शासनकाल में तमिल भाषा (Tamil language) को मिले इस दर्जे को हटा दिया गया और ‘पंजाबी भाषा’ को हरियाणा में दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा मिला. इस दौरान चौटाला सरकार ने अपने फ़ैसले को लेकर तर्क दिया था कि हरियाणा में ‘पंजाबी भाषी’ लोगों की संख्या काफ़ी अधिक है, जबकि ‘तमिल भाषा’ न तो बोली जाती हैं न ही पढ़ाई जाती है.

साल 2019 में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘पोंगल’ के मौके पर ‘तमिल भाषा’ में भाषण देकर सबको चौंका दिया.

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