भारत समेत विश्व के कई देशों में आज भी महिलाओं की स्थिति काफ़ी निम्न बनी हुई है. हालांकि, धीरे-धीरे महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पकड़ मज़बूत कर रही हैं. वहीं, राजनीति के क्षेत्र में भी महिलाएं अपना हाथ आजमा रही हैं, लेकिन फिर भी घर से बाहर निकलते ही एक डर अंदर ज़रूर बना रहता है, जिससे महिलाएं आज तक उबर नहीं पाई हैं. 

अगर आप इतिहास की कुछ प्रसिद्ध महिलाओं के बारे में जानें, तो आपको पता चलेगा कि कितनी तकलीफ़ें और जद्दोजहद के बाद उन्हें वो बड़ा मक़ाम मिल पाया. उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री का जीवन भी कुछ ऐसा ही था. कहते हैं कि वो अपने साथ ‘सायनाइड’ लेकर चला करती थीं. आइये, जानते हैं क्या थी वो वजह.

उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री

कई लोगों को लगता होगा कि उत्तर प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री मायवती थीं, लेकिन बता दें कि यूपी की पहली चीफ़ मिनिस्टर सुचेता कृपलानी थीं. 25 जून 1908 को अंबाला में जन्मी सुचेता कृपलानी ने 1963 से लेकर 1967 तक उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी. कहते हैं कि उन्होंने 1952 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. वहीं, 1957 में सुचेता कांग्रेस में शामिल हो गई थीं.  

कैसे बनीं कृपलानी? 

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सुचेता ने इंद्रप्रस्थ और सेंट स्टीफे़ेंस कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की और इसके बाद इन्हें बनारस विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाने का का मौका मिला. वहीं, आगे चलकर उन्होंने 1936 में जे.बी कृपलानी से विवाह रचा लिया, जो कि एक सोसलिस्ट लीडर थे.  

एक स्वंत्रता सेनानी 

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सुचेता कृपलानी एक स्वतंत्रता सेनानी भी थीं. उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था. वहीं, कहते हैं कि उन्होंने नोआखाली में हुए दंगों के वक़्त महात्मा गांधी के साथ मोर्चा भी संभाला था. वहीं, अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज उठाने की कारण वो कई बार जेल भी जा चुकी हैं

‘सायनाइड’ साथ रखती थीं  

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कहते हैं कि सुचेता कृपलानी के जीवन में एक ऐसा भी वक़्त आया जब उन्हें अपने साथ सायनाइड (एक ख़तरनाक ज़हर) लेकर घूमना पड़ता था. ‘ग्रेट वुमन ऑफ़ मॉडर्न इंडिया’ नाम की एख किताब में इस बात का ज़िक्र मिलता है कि जब सुचेता कृपलानी ने नोआखाली में हुए दंगों के वक़्त मोर्चा संभाला था, तब उन्हें वहां कई जगहों पर जाना पड़ता था. इस दौरान वो अपने साथ सायनाइड रखा करती थीं. दरअसल, उस दौरान दंगाई लोग औरतों के साथ कुछ भी कर रहे थे और ये डर सुचेता कृपलानी को भी था. वहीं, कहते हैं कि सीएम बनने के बाद भी उनके अंदर असुरक्षा का भाव बना रहा था.