जैसा कि आपको पता होगा कि इंडियन आर्मी, नेवी व एयरफ़ोर्स के अलावा भी देश और देशवासियों की सुरक्षा के लिए कई अन्य फ़ोर्स व एजेंसियां काम कर रही हैं. इनमें से कुछ एक के नाम अधिकतर लोग जानते हैं जैसे आईबी, रॉ, एनएसजी व एसपीजी. वहीं, कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनके विषय में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं. इसमें एक नाम Special Frontier Force का भी है. इस ख़ास लेख में हम जानेंगे कि Special Frontier Force क्या है, ये कैसे काम करती है और इसक गठन कब और क्यों किया गया था? इसके अलावा और भी बहुत-सी बातें इस लेख में बताई जाएंगी. 

आगे जानिए क्या है Special Frontier Force और ये कैसे काम करती है. 

Special Frontier Force 

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Special Frontier Force भारत की एक ख़ास ऑपरेशन यूनिट है. ये यूनिट चीनी सीमा पर अपने ख़ुफ़िया ऑपरेशन और ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने के लिए जानी जाती है. ये कई ख़ास ख़ुफ़िया ऑपरेशन मे हिस्सा ले चुकी है, जिसके बारे में नीचे बताएंगे. आगे जानिए क्यों इसका गठन किया गया था और ये कैसे काम करती है. 

कब और क्यों किया गया था Special Frontier Force का गठन?  

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Special Frontier Force का गठन 14 नंवबर 1962 में किया गया था. इसके गठन का इतिहास काफी दिलचस्प है. जैसा कि आप जानते होंगे कि चीन की हमेशा से ही सीमा पर उत्पात मचाने की कोशिश करता रहा है. वहीं, 1962 के भारत-चीन युद्ध में हम हार गये थे. इस हार के बाद भारत ने सेना को मजबूत करने पर ज़ोर दिया ताकि अगर चीन से अगली मुठभेड़ हो, तो भारत उसे मुंहतोड़ जवाब दे सके. इस तैयारी का मुख्य हिस्सा सेना की उन लड़ाकों को बनाना था जो आसानी से पहाड़ी इलाक़ों में युद्ध के लिए सक्षम हो. 

 द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह की ख़ास फ़ोर्स बनाने के लिये तत्कालीन आईबी चीफ़ B.N. Mullik ने एक प्लान तैयार किया था जिसमें तिब्बती लड़ाकों को ट्रेनिंग दिया जाना था. इस प्लान को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने रखा गया था. वहीं, मंज़ूरी के बाद मेज़र जनरल सुजान सिंह को इस इस ख़ास टुकड़ी या फ़ोर्स को बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. जनरल सुजान सिंह ने World War II के दौरान 22 Mountain Regiment को कमांड किया था. 1962 के दौरान तिब्बती लड़ाकों को चुना गया और उन्हें एक पुराने Gorkha Training Centre में प्रशिक्षण दिया गया. इस यूनिट का नाम पहले Establishment 22 रखा गया था लेकिन बाद में यानी 1967 में इसका नाम बदलकर SFF यानी Special Frontier Force रखा गया था.  

कैसे काम करती है SFF  

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Special Frontier Force का काम करने का तरीक़ा थोड़ा अलग है. ये आम फ़ोर्स न होकर एक ख़ुफ़िया यूनिट है. ये इंडियन आर्मी का हिस्सा तो नहीं है, लेकिन उसके कंट्रोल में काम करती है. ये सीधा भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी RAW के ज़रिए सीधा प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है. ये डायरेक्ट एक्शन से लेकर ख़ुफ़िया ऑपरेशन को अंजाम देती है. वहीं, उनके अपने रैंक होते हैं और इस फ़ोर्स को Inspector General लीड करते हैं, जो Major General रैंक के होते हैं. जानकारी के अनुसार, एसएफ़एफ़ की 6 बटालियन होती हैं और हर बटालियन में क़रीब 800 जवान होते हैं. 

SFF में भर्ती और ट्रेनिंग  

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लेख में अब तक आप समझ गए होंगे कि इस ख़ास स्पेशल यूनिट में भारत में रह रहे तिब्बती लड़ाकों को हो लिया जाता है, जो मजबूत कद-काठी के होते हैं और आसानी से पहाड़ी इलाक़ों में ख़ुफ़िया ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं. इसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल होती हैं. वहीं, इनकी ट्रेनिंग भी ख़ास होती है. 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उत्तराखंड के चकराता में SFF का ट्रेनिंग सेंटर है, जो कि राजधानी देहरादून से लगभग 100 किमी की दूरी पर है. यहां RAW के तत्वावधान से इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. इन्हें चीनी सेना से हर तरह से लड़ने का गुर सिखाया जाता है और तकनीकी जानकारी भी दी जाती है. 

कौन-कौन से ऑपरेशन में SFF हिस्सा ले चुकी है

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Special Frontier Force कई ऑपरेशन में हिस्सा ले चुकी है, जिसमें अमृतसर का ऑपरेशन ब्लू स्टार, कारगिल, व 1971 की लड़ाई में भी एसएफ़एफ़ ने भारतीय सेना की मदद की थी.