UPSC Success Story: कदमों से मंज़िलें मिलती हैं, जबकि हौसलों से मुक़ाम. इस बात की जीती-जागती मिसाल मैनपुरी (Mainpuri) के सूरज तिवारी (Suraj Tiwari) हैं. UPSC 2022 की परीक्षा में भले उनकी रैंक 917 आई है, मगर जिन हालातों में उन्होंने ये सफ़लता हासिल की, उसे जानकर आप भी उन्हें सलाम करेंगे. आज हम आपको सूरज के संघर्ष से सफ़लता की ओर बढ़ने की कहानी बताएंगे. (Suraj Tiwari UPSC Success Story)

हादसे में गंवाए दोनों पैर और हाथ

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी के दोनों पैर नहीं हैं. एक हाथ भी नहीं है. और दूसरे हाथ में सिर्फ़ 3 उंगलियां हैं. जनवरी 2017 में हुए एक हादसे ने उन्हें व्हीलचेयर पर ला दिया था. दरअसल, 6 साल पहले जब वो ट्रेन में सफ़र कर रहे थे तो उन्हें एक लड़के ने धक्का दे दिया था. जिसके चलते उन्हें 4 महीने AIIMS में रहना पड़ा.

Suraj Tiwari UPSC Success Story

हालांकि, अभी सूरज की ज़िंदगी में और भी ग़म आने थे. क्योंकि, कुछ ही समय बाद सूरज के भाई की भी मौत हो गई. पहले सूरज के साथ ये हादसा और फिर दूसरे लड़के की मौत के सदमे ने परिवार को तोड़ कर रख दिया. पेशे से टेलर पिता के लिए ये सदमा झेलना बेहद मुश्किल था. मगर सूरज ने उन्हें कभी निराश नहीं होने दिया.

इस हादसे के बाद जहां लोगों की ज़िंदगी अंधेरे में गुम हो जाती है. वहीं, सूरज अपने नाम की तरह चमके. उन्होंने UPSC की तैयारी करने का फ़ैसला किया.

बिना कोचिंग के पास किया UPSC

सूरज तिवारी ने 12वीं के बाद बीएससी की पढ़ाई शुरू की थी. उसी दौरान गाज़ियाबाद में उनके साथ ट्रेन हादसा हुआ. जिससे उनके दोनों पैर कट गए और एक हाथ भी कट गया. जबकि दूसरे हाथ की दो उंगली कट गई थी. लेकिन सूरज ने पढ़ने के अपने जज़्बे को ज़िंदा रखा. 2021 में उन्होंने दिल्ली के जेएनयू से बीए किया. फिर बाद में एमए की भी डिग्री ली. इसी दौरान उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी भी की थी.

राजेश के पिता ने बताया कि उनके पास पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे. सरकार ने ही कॉलेज की पढ़ाई का ख़र्चा उठाया. वो हर रोज़ 18 घंटे पढ़ता था. पैसे नहीं थे तो कोचिंग और एक्स्ट्रा क्लास भी नहीं ली. सिर्फ़ अपनी मेहनत और हौसले के दम पर सूरज ने ये सफ़लता हासिल की.

सूरज ने अपने पिता से कहा था, ‘चिंता मत करो, अभी तो तीन उंगली है, अगर एक उंगली भी होती, तो भी हम आपका नाम नीचे नहीं गिराएंगे.’

सूरज ने अपने पिता से किया वादा पूरा कर दिया. आज उनके परिवार में जश्न का महौल है. सूरज के परिवार में मां-बाप के साथ एक बहन और दो भाई हैं. सब के चेहरे पर ख़ुशी है कि उनके सपूत ने ना सिर्फ़ घर वालों का नाम रौशन किया है, बल्क़ि अब वो बहुत से बच्चों के लिए प्रेरणा बन गया है.