हम भारतीयों की एक अपनी अलमस्त पहचान है. दुनिया से बेफ़िक्र अपनी ही मौज में चले पड़े हैं. हमारी हरकतों का दूसरों पर क्या असर पड़ रहा है, हमें घंटा फ़र्क नहीं पड़ता. अगर ग़लती से हमें किसी ने टोक दिया तो सिर्फ़ दो ही बातें होती हैं. पहली, सामने वाला हमें टोके और फिर गाली खाए. दूसरी, वो गाली खाने के डर से दोबारा हमें टोके ही नहीं. काहे कि दुनिया को भले ही हमारी हरकतें अजीब लगेंं, मगर हमारे लिए वो सब नॉर्मल हैं.

तो आइए देखते हैं उन हरकतों को जो हमारे लिए तो आम हैं, मगर दुनियाभर इन्हें बवाल से कम नहीं समझती. 

1. लाइन में एक-दूसरे के घुसकर खड़े होना

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एक तो जब से ‘कालिया’ फ़िल्म आई है, हम भारतीयों ने लाइन लगना ही छोड़ दिया. उस पर भी अगर लग गए, तो ऐसा चपक के खड़े होते हैं मानो दूसरे आदमी की चार्जिंग हमसे ही हो रही हो. ऊपर से कोई चचा अगर पीछे खड़े होकर अपना तोंद खुजलाने लग जाएं, तब तो और नरक समझिए.

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2. पूरी दुनिया की शादी कराने की तड़प

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आप 25 की उम्र में घुसे नहीं कि पच्चीसों चिहाड़ी अंकल-आंटी अचानक प्रकट हो जाएंगे. उनका एक ही मकसद होता है कि आपको किसी भी तरह क़ुबूल है क़ुबूल है बुलवाकर, ज़िंदगी में बबूल थमा दें. कहीं, शादी कर ली होगी, तो भी चैन नहीं. अगला सवाल बच्चे पर होगा. मानो पूरा देश आपकी औलाद का नहीं, बल्कि भविष्य के प्रधानमंत्री का इंतज़ार कर रहा हो. 

3. दूसरों की जाति जानने की चुल्ल

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इस देश में नाम से काम नहीं चलता. हर आदमी आपका सरनेम जानना चाहता है. किसी को भी नाम बताइए वो आपको पूछ लेगा, ‘अच्छा आगे क्या लगाते? ओह हो, आप कायस्थ हैं. फिर तो मांस-मछली ख़ूब चलती होगी. शराब तो उम्म्म्म… अरे अपने बच्चन जी भी कायस्थ हैं…’ 

अरे हां, अमिताभ ताऊ लगता है हमारा. वो लंबा भी इसीलिए हुआ कि हमें कंधे पर बैठाकर कुंभ मेला दिखा सके.

4. बिन मांगे सलाह बांटना

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हमारे देश में ज्ञानपेलू बहुत हैं. इसलिए बिना मांगे धकापेल सलाह बांटी जाती है. लौंडा निकम्मा है, तो बहन शादी करा दो ठीक हो जाएगा. शादी के बाद लौंडा और बवाली हो गया. तो बिटिया एक ठोर बच्चा कर लो, ज़िम्मेदारी सिर पे आएगी तो सुधर जाएगा. फिर भी न सही हो, तो भगवान पर ठीकरा फोड़ दो. काहे कि जोड़िया तो आसमान में बनती है. 

5. कहीं भी थूकने और पेशाब करने की आदत

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समंदर से इतनी लहरें बाहर नहीं आती होंगी, जितना हम भारतीयों के मुंह से थूक आता है. जहां-तहां पिच-पिच किया करते हैं. उस पर से गुटखा और चार-चांद लगा देता है. मतलब दुनियाभर के देशों में चेकिंग होती है कि कोई मेट्रो या सिनेमाहॉल में बम तो नहीं ले जा रहा. मगर हमारे यहांं चिंता ये है कि कोई ससुरा गुटखा तो नहीं ले जा रहा. सिर्फ़ थूकने से भी चैन नहीं पड़ता, इसलिए कहींं भी खड़े होकर पेशाब कर देते. ये एकलौता देश है, जहां लोग सुलभ शौचालय के बगल में खड़े होकर पेशाब करते हैं. 

6. फर्ज़ी हॉर्न बजाना और इंटीकेटर के बावजूद हाथ देना

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हम भारतीयों को फर्जी हॉर्न बजाने में एक अलग ही किस्म का मज़ा आता है. जाम में तो हम दूसरों के चरस बोते ही हैं, मगर रात के 3 बजे जब कोई कुत्ता तक सड़क पर न लोट रहा हो, फिर भी हॉर्न बजाए बिना गाड़ी चल नहीं सकती. ऐसे लोगों के लिए अपने मिर्जापुर का गुड्डू पंडित ही सही रहता है. 

वहीं, इंटीकेटर के बावजूद हाथ देने की हमारी कलाकारी तो दुनिया में सबसे न्यारी है. मज़ेदार ये भी है कि अगर आपने हाथ नहीं दिया और कोई पीछे से लड़ा, तो आपको इंडिकेटर देने के बावजूद गरियाएगा. काहे कि आपको हाथ देना चाहिए था. 

7. राजनेताओं के होर्डिंग्स

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आप कहीं भी सिर उठाकर देख लीजिए, राजनेताओं के होर्डिंग्स और पोस्टर दिख जाएंगे. ‘आपका अपना रमेश उर्फ़ सोनू. विकास के लिए सदा तत्पर.’ देश के प्रधानमंत्री से लेकर मोहल्ला छाप लखैरे नेताओं तक इस काम में आगे रहते हैं. सबके होर्डिंग्स सड़कों पर टंगे दिख जाएंगे. फिर दीवाली से लेकर होली और ईद तक की शुभकामनाएं उसी पर दी जाएंगी. 

8. ‘ग’ से ग़रीब को ‘गा’ से गाली दो

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हमारे देश में ग़रीब आदमी को लोग छूटते ही कंटाप मारते हैं. आप सड़कों पर देख लीजिए. कार वाला बाइक वाले को गरियाएगा, बाइक वाला साइकिल वाले को. और कहीं रिक्शेवाला हुआ तो सिर्फ़ गाली से काम नहीं चलेगा. उतरकर चार कंटाप भी जड़ दिये जाएंगे. पैदल चलने वालों को तो हमने कोई जगह ही नहीं दी है. पहले तो फ़ुटपाथ है नहीं. जो हैं, उन पर दुकाने लगी हैं. दुनियाभर के देशों में पैदल चलने वालों को रोड क्रॉस करने दी जाती हैं, लेकिन हमारे यहां आपको चलती गाड़ियों के बीच ख़तरों का खिलाड़ी बनना ही पड़ेगा. 

9. कितना कमा लेते हो?

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ये बीमारी ख़ासतौर से आपके मोहल्ले और रिश्तेदारों में पाई जाती है. काहे कि उन्होंने आपको ताउम्र निकम्मागिरी करते देखा है. ऐसे में वो ये नहीं जानना चाहते हैं कि आप लाख रुपये कमा रहे हैं. बल्कि वो ये सुनना चाहते हैं कि ससुरे तुम कहीं बंधुआ मज़दूर बनाए गए या नहीं. भले ही ख़ुद वो बीड़ी उधार मांग कर पी रहे हों, लेकिन आपकी सुलगाने का वो कोई मौक़ा नहीं छोड़ेंगे.

10. विदेशियों के साथ फ़ोटो लेना.

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ये वो ख़ुराफ़ात है, जिसे देखकर सिर्फ़ हंसी आती है. किसी भी टूरिस्ट प्लेस चले जाइए, आपको भारतीय विदेशियों के साथ फ़ोटो खिंंचाते दिख जाएंगे. दिलचस्प ये है कि अच्छे-खासे पढ़े-लिखे लोग भी इसमें आगे रहते हैं. हां, हम बस इस बात का ख़्याल रखते हैं कि विदेशी मतलब कोई गोरे रंग वाला ही होना चाहिए. 

वैसे हम भारतीयों की बहुत सी ऐसी हरकतें हैं, जो दुनियाभर के लोगों को अजीब लगती है. फिर चाहें सड़कों पर लोगों को घूरना हो, अंग्रेज़ी न जानने वालों को गंवार समझना हो या फिर गला फाड़-फाड़कर सड़कों पर बात करना हो. अगर आपने भी अपने आसपास कुछ ऐसी चीज़ें नोटिस की हों, तो हमसे शेयर करें.