एक बात से तो दुनिया का हर एक कामकाजी व्यक्ति सहमत होगा. वो ये कि काम के 8-9 घंटे में मुश्किल से 30 मिनट ही काम पर ध्यान होता है. अगर राइटर का पूछो तो सुबह रास्ते में चाय कौन सी पी जाएगी, पंच-इन करते हुए नाश्ते में क्या खाएंगे, नाश्ता करते हुए लंच का क्या करेंगे, ये मेरा डेस्क इतना साफ़ कैसे है जैसी ही चीज़ें घूमती हैं.


कड़वी हक़ीक़त तो यही है कि नौकरी भी ज़रूरी है और नौकरी कितनी भी अच्छी हो उसमें मन लगा रहना तो आर्ट है आर्ट. 

हां तो दिनभर कैसी-कैसी बातें आती हैं दिमाग़ में उसमें से 13 छांटकर लिखी हैं, हंस लो- 

1. कहां फंस गया यार, इससे अच्छा तो सरकारी नौकरी कर लेते. 

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2. कैसा बॉस है यार, ख़ुद जब मन छुट्टी लेता है मुझे फ़ाइलें पकड़ा देता है. 

Tenor

3. आज लंच में ऐसा क्या मंगाया जाये, जिसे खाने में पूरा 1 घंटा लगे? 

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4. ये बॉस ख़ुद तो लेटलतीफ़ है और हम 1 मिनट लेट हो जाएं तो काटने दौड़ता है 

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5. 8 घंटे से 1 मिनट ज़्यादा नहीं देना है इस ऑफ़िस को. 

Tenor

6. पापा झूठ बोलते थे कि 12वीं के बाद आराम ही आराम होता है. 

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7. थोड़ी देर Memes देख लेते हैं, काम तो बाद में भी हो जायेगा. 

Tenor

8. इस ऑफ़िस में रोमांस की जगह है कहां? 

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9. इसको किस बात का प्रमोशन मिल गया, काम तो सारा मैं किया था! 

Tenor

10. बस बहुत हुआ, पैसे बचाकर अब अपना कैफ़े खोलेंगे, नहीं करनी ये सड़ी सी नौकरी. 

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11. एक दिन बॉस के सामने ‘साड्डा हक़’ गाना गाएंगे और नौकरी छोड़ वर्ल्ड टूर पर जाएंगे. 

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12. ये ऑफ़िसवाले OffSite कब देंगे यार, काम तो गधों की तरह लेते हैं. 

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13. 8 घंटे से 1 मिनट पहले निकल जाऊं तो सब घूरते हैं, 2-2 घंटे का ओवरटाइम किसी को नहीं दिखता. 

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इसके अलावा कुछ आता हो तो कमेंट बॉक्स में लिख दो. ऑफ़िस तो कल भी जाना है, भड़ास निकालकर तुम्हें अच्छा लगेगा.