21वीं सदी में ‘जुगाड़’ को ही ‘क्रिएटिविटी’ कहा जाता है. हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि ‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’. ये बात सौ फ़ीसदी सच भी है, क्योंकि अक्सर वैज्ञानिक ही आविष्कार में जुटे रहते हैं, लेकिन असल में सबसे बड़े आविष्कारक, तो वो लोग हैं, जिन्हें दुनिया ‘आलसियों’ के नाम से जानती है. आलसपन में ऐसे लोग जो आविष्कार करते हैं भारत में उन्हें ‘जुगाड़ू’ कहते हैं. रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हमें कहीं न कहीं, कोई न कोई जुगाड़ देखने को मिल ही जाता है. मौका मिलने पर हम ख़ुद भी जुगाड़ बनाने से चूकते नहीं हैं. आलसपने की भी एक लिमिट होती है, लेकिन कुछ लोगों ने तो इस लिमिट को ही क्रॉस कर दिया है.
आज हम आपके लिए आलसपन और जुगाड़ का मज़ेदार कॉम्बो लेकर आये हैं-
1- कसम से इसने तो हद ही पार कर दी.
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2- इतना Lazy इंसान मैंने आज तक नहीं देखा.
3- ये बहुत बड़े वाले खिलाड़ी हैं.
4- गिरे हुए कपड़े उठाने की निंजा तकनीक.
5- चियर बाद में निकाल लेंगे, अभी बॉक्स से काम चला लेते हैं.
6- ये जनाब कूड़ा फेंकने के लिए भी कार से जाते हैं
7- वाह! क्या जुगाड़ भिड़ाया है.
8- मम्मी ने कहा टीवी देखने से आंखें कमज़ोर होती हैं.
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9- साला कौन ‘हॉल’ में जाकर टीवी देखे.
10- What an Idea Sir Ji.
11- कसम से.. चचा ने तो कमाल ही कर दिया.
12- इसे कहते हैं Doorstop का सही इस्तेमाल करना.
13- इतनी छोटी एस्कलेटर कौन बनता है भाई.
14- ये भी सही जुगाड़ है भाई.
15- मतलब हर किसी को एस्कलेटर से ही जाना है.
बताइये इनमें से आपको सबसे बढ़िया जुगाड़ कौन सा लगा?
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