2020 चला गया. एक दिन कोरोना भी चल जायेगा. अगर कुछ नहीं जायेगा, तो वो है हमारे भारतीय नेताओं का गु़रूर. क्यों कुछ ग़लत कहा क्या? वैसे ग़लत हम हमारे नेता जी बोलते हैं. समझ नहीं आता हम इन्हें वोट देश की तरक्क़ी के लिये देते हैं या सिर्फ़ बयान बाज़ी करने के लिये.  

2020 की विदाई पर सोचा था कि चलो अच्छा है एक बुरा साल चला गया. अब 2021 में सब कुछ अच्छा सुनने को मिलेगा. पर जब तक हमारे नेता जी हैं, भला ये कैसे मुमकिन हो सकता है. अभी साल की शुरूआत ही हुई है और नेताओं के अंट-शंट बयान आने लगे. अब हमसे ये मत पूछना कि क्यों? अरे हम क्या बतायेंगे, क्यों?  

हमारे नेता लोग कब, क्या और क्यों बोलते हैं ये तो सिर्फ़ वही बता सकते हैं. हम तो बस आप तक उनके अजीबो-ग़रीब बयान पहुंचा सकते हैं. हो सकता है कि इनमें से एक-आधे बयान ऐसे हों, जिन्हें पढ़ कर आपको हंसी आये. ख़ैर, वो बाद की बातें हैं. पहले इन बयानों पर ग़ौर करते हैं. 

1. हिमंत बिस्वा सरमा

हिमंत बिस्वा सरमा असम के वरिष्ठ मंत्री हैं और हाल ही में उन्होंने अजीबो-ग़रीब बयान देकर सबका ध्यान खींचा. बिस्वा कहते हैं कि ‘अगर आप भरत और गीता के बीच हुई झड़प में गीता भरत के साथ खड़ें हैं, तो आप हिंदू हैं.’

हमने इस बयान का मतलब ढूंढने की बहुत कोशिश, लेकिन कुछ समझ नहीं आया कि उन्होंने ऐसा कहा ही क्यों?

2. मदन दिलावर

मदन दिलावर राजस्थान में बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और विधायक हैं. जनवरी महीने में मदन दिलावर का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा था. नेता जी का कहना है, ‘किसानों को देश की चिंता नहीं है. देश के लोगों की चिंता भी नहीं है. ये आंदोलन नहीं पिकनिक है. वे चिकन बिरयानी खा रहे हैं. काजू-बादाम खा रहे हैं, सब प्रकार के ऐशो आराम कर रहे हैं. ये बर्ड फ़्लू फैलाने का षडयंत्र है.’

3. रामदास अठावले 

ये वही रामदास अठावले हैं, जिन्होंने पिछले साल ‘गो कोरोना गो’ का नारा दिया था. रामदास कब क्या बोलेंगे, इन्हें कुछ पता नहीं होता है. कुछ दिन पहले ये राहुल गांधी को फ़ैमिली प्लानिंग के बारे में समझा रहे थे. एक कार्यक्रम में रांची गये रामदास कहते हैं कि महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिये राहुल गांधी को दलित की बेटी से शादी करनी चाहिये. इसके अलावा ये भी कहा कि ‘हम दो, हमारे दो’ के लिए पहले शादी तो कर लीजिये.

4. नारायण प्रसाद

बढ़ती महंगाई आम जनता के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, लेकिन इससे बिहार के पर्यटन मंत्री को कोई फ़र्क नहीं. एक इंटरव्यू के दौरान मंत्री जी कहते हैं कि आम जनता को मंहगाई की आदत है. इसलिये वो इससे परेशान नहीं हैं.   

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5. विद्या रानी

हरियाणा कांग्रेस की नेता विद्या रानी किसान आंदोलन का समर्थन करने गईं थीं. वहां वो कुछ ऐसा बोल गईं कि सुनने वालों को कान खड़े हो गये. विद्या रानी कहती हैं कि पार्टी कार्यकर्ता अपनी स्वेच्छा से किसानों को कुछ भी दान कर सकते हैं. सब्ज़ियां, पैसा या फिर शराब. मैडम अगर थोड़ा आराम से बात करती, तो शायद ये शब्द मुंह से न निकलता. 

6. महेंद्र सिंह सोलंकी

बढ़ती मंहगाई पर लगाम लगाने की बजाये बीजेपी सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी कहते हैं कि अगर पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं, तो आम आदमी की आमदनी भी तो बढ़ रही है. सही कह रहे हैं मंत्रीजी आप आमदनी तो बढ़ रही है हमारी, लेकिन सिर्फ़ आपके सपनों में.

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7. बैजनाथ कुशवाह

कोरोना वैक्सीन भले ही लगनी शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक महामारी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है. ऐसे हम सभी को सावधान रहने की ज़रूरत है, पर लगता है कि ये बात मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक बैजनाथ कुशवाह को समझ नहीं आ रही है. कुछ समय पहले ही उन्हें बिना मास्क के देखा गया है. जब उनसे इस पर सवाल पूछा गया, तो जवाब में कहते हैं कि ‘मैं बाजरे की रोटी खाता हूं, मुझे कोरोना कैसे हो सकता है.’  

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8. उमा भारती

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने नशामुक्ति अभियान के लिये कमर कस ली है. उमा भारती का कहना है कि शराबबंदी का उनका सपना जल्द ही पूरा होगा. यही नहीं, उन्होंने बयान देते हुए ये भी साफ़ कर दिया है कि ‘राजस्व गया भाड़ में शराबी भले ही भूखे मर जायें, लेकिन मध्य प्रदेश में शराब बंद हो.’

उमा भारती जी शराबबंदी अभियान तो ठीक है, लेकिन भाई साहब आपकी जु़बान से इतनी गंदी भाषा सुनकर बहुत बुरा लगा.  

newindianexpress

यार सच्ची नेताओं के ये बयान सुन कर बड़ा दुख होता है. कुछ भी बोलते हैं मतलब कुछ है. हम तो यही कहेंगे नेता जी बयानों से ज़्यादा काम पर फ़ोकस करें, तो अच्छा होगा.