एक ऐसी सब्ज़ी, जिससे आप मोहब्बत कर सकते हैं, नफ़रत कर सकते हैं लेकिन उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.
एक ऐसी सब्ज़ी, जो अमीरों की थाली में भी नज़र आती है और ग़रीबों के थाली में भी.
एक ऐसी सब्ज़ी, जो बर्गर से लेकर पानीपुरी तक में जान डाल देती है.
वो सब्ज़ी है आलू…
दुनिया में कुछ लोगों को तोरी, लौकी, करेला पसंद नहीं आता. कुछ लोग टिंडे के नाम सुनते ही मुंह बनाने लगते हैं. शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे आलू से नफ़रत हो.
बैचलर्स की नैया पार लगाता है आलू.
चखने(फ़्रेंच फ़्राइज़) के रूप में महफ़िल में जान डालता है आलू.
परांठे के स्वाद में चार चांद लगा देता है आलू.
क्या नहीं कर सकता आलू?
क्या आलू से भी ज़्यादा मिलनसार कोई सकता है?
आलू-मटर, आलू-पालक, आलू-भिंडी, आलू-बीन्स, आलू-परवल, आलू-सोयाबीन, आलू-लौकी, आलू-चना. मतलब आलू को कहीं भी मिला दो, वो आसानी से मिक्स हो जाता है.
मैं तो कहती हूं, किसी रेस्टोरेंट का नाम सिर्फ़ आलू भी रख दोगे न, तो भी लोग दौड़ चले आएंगे!
आलु का करिश्मा ऐसा है कि राहुल जी ने मोदी जी की पॉलिसीज़ पर चुटकी लेते हुए, भावनाओं में बहकर कहा था, ‘इस साइड से आलु घुसेगा, उस साइड से सोना निकलेगा.’
हमें तो लगता है कि आलू के मिलनसार व्यवहार के लिए उसे ‘सब्ज़ियों के राजा’ का ताज दे ही देना चाहिए.
और अंत में प्रपोज़ करने का एक धांसु तरीका भी है आलू-
Will you be the potato to my vegetables?