मोदी है तो मुमकिन है… 

काश! ये कहावत 100 साल पहले होती तो शायद भारत अंग्रेज़ों का गुलाम ही नहीं होता. अंग्रेज़ बिना कुछ बोले ही सॉरी मोदी जी बोलकर वापस लौट जाते. मोदी जी ब्रिटिश काल में होते तो न भगत सिंह क्रांतिकारी बनते, न ही गांधी जी सत्य और अहिंसा की बात करते. 

काश! सोशल मीडिया पर पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर कही जा रही ये बातें सच होती. अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले मोदी जी सोशल मीडिया पर एक बार फिर से छा गए हैं. इस बार ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ का नारा नहीं, बल्कि ‘बाल नरेंद्र’ फेमस हुए जा रहे हैं. 

बाल नरेंद्र जब पैदा हुए.. तो नर्स ने कहा था… मुबारक हो… विकास के पापा हुए हैं. 

बचपन में बाल नरेन्द्र 4-5 व्हेल मछलियों को एक साथ पकड़ लेते थे और तल कर खा जाते थे. 

एक बार बाल नरेन्द्र से गुल्लक गिर कर फूट गयी, उन पैसों से एक स्मारक बना जिसे अब स्विस बैंक के नाम से जाना जाता है. 

जैसे-जैसे बाल नरेन्द्र का सीना 14 से 56 इंच तक बढ़ने लगा, वैसे-वैसे एलसीडी टीवी की स्क्रीन भी 14 से 56 इंच होती गयी. 

ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी बाल नरेन्द्र के प्रवचन, 5 रुपये का टिकट लेकर सुनने जाया करते थे. 

रावण, कंस और दुर्योधन भी समय-समय पर बाल नरेंद्र से सलाह लिया करते थे. 

एक बार बाल नरेंद्र ने पीसा की मीनार पर हाथ रख दिया था, तब से वो एक तरफ़ झुकती जा रही है. 

द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काट इसलिए काट दिया था, क्योंकि उसने बाल नरेन्द्र को वोट देने से इनकार किया था.