पता नहीं लोग कैसे कह देते हैं कि उन्हें राजनीति में इंटरेस्ट नहीं आता. अबे इंटरेस्ट लो बे! बड़ी मज़ेदार चीज़ें होती हैं यहां. अब कल ही की सुनो, भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल इकाई के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि केवल देसी गाय ही माता के बराबर हैं, विदेशी नस्ल की गाय आन्टी लगेंगी, हमे उन गायों की पूजा नहीं करनी चाहिए, ये देश के लिए अच्छा नहीं होगा. 

ABP Live

इनकी ही बातों से शुरू करते हैं, दिलीप घोष के परिवार को सतर्क हो जाना चाहिए, उनकी बातों से मुझे आन्टियों के लिए पॉज़िटिव वाइब्स नहीं आ रहे. मतलब आन्टी को मां का दर्जा नहीं दे रहे समझ आता है, लेकिन रिस्पेपक्ट तो दे सकते हैं. ये कब तय हो गया कि चाची की पूजा करना देशहित में नहीं है, चाची भी राष्ट्रविरोधी हो गईं! 

और ये कैसा पुरुषवाद है! सारी बातें मां और चाची को लेकर ही क्यों होती है, राष्ट्र के पिता और चाचा के बारे में कोई कुछ क्यों नहीं बोलता? सॉरी सारी महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के बारे में तो ज़रूरत से ज़्यादा ही बातें होती हैं. 

भाजपा के घोष बाबू इतना कह कर ही नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि देसी गाय के दूध में सोना पाया जाता है, इसलिए उसके दूध का रंग सुनहरा होता है. मेरा कहना है कि रंग के हिसाब से जाए तो गौमूत्र का रंग सोने के ज़्यादा करीब है. अगला नंबर आता है गोबर का, दूध तो बहुत बाद में है. 

ऊपर से नेता जी को सोचना चाहिए कि सरकार पहले ही बढ़ी हुई महंगाई से परेशान है. ऊपर से आप बता दें कि गाय के दूध में सोना होता है तो कंपनियां दूध के दाम भी बढ़ा देंगी फिर उसे लीटर के बजाए तोले के हिसाब से बेचना शुरू कर देंगे. नेती जी की बात सुन मुझे थ्री इडियट्स फ़िल्म की वो मां याद आ गई, जब वो कहती हैं कि वो दिन दूर नहीं जब पनीर सुनार के दुकानों पर मिलेगा, चाची विज़नरी थीं! 

ऑन अ सीरियस नोट! कोई घोष बाबू को बताए कि आज कल दूध में सोना क्या कैल्शियम तक नहीं मिल रहा, मिलावट के ज़माने में वो दूध में सोना ढूंढ रहे हैं, बड़े मासूम हैं.