सुनो, सुनो, सुनो,
वो सभी लोगों सुनो, जो गाली का विरोध करते रहते हैं, जिन्हें गालियों से समस्या है. अरे आप लोगों ने कभी सोचा है कि जिस दिन गाली को बैन कर दोगे उस दिन बेचारे मेरे दोस्तों का या इस दुनिया के बाकी लड़कों का क्या होगा. वो तो चुप और शांत हो जाएंगे? न बोलेंगे न बतियायेंगे, उनकी ये हालत देखकर अच्छा लगेगा?
भाई, मुझे तो नहीं अच्छा लगेगा. जो लड़के चम्मच से लेकर जूते तक और गाड़ी से लेकर घोड़े तक सब पर अपना प्यार गाली से बरसाते हैं. उस प्यार से ये सब वंचित रह जाएंगे. कोई नहीं सोचता है इनके बारे में तो सोचा मैं ही सोच लूं और इन्हें इनकी महबूबा से अलग न होने दूं, तो क्या हुआ हर एक गाली फ़ीमेल है. वो किसी को कुछ कह नहीं रहे हैं बस अपने प्रेम की वर्षा कर रहे हैं. गाली के साथ गुस्सा दिखाने से सामने वाला डरे या न डरे एक कॉम्प्टीशन ज़रूर शुरू हो जाता है.
अरे, एक दिन क्या हुआ? मैं एक चाय की टपरी पर थी, उस टपरी पर 4-5 लड़कों का जमघट था. फिर वो जो तरह-तरह से गालियों का इस्तेमाल कर रहे थे, उनका टैलेंट देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए, ख़ुशी के. बस वहीं से ये आइडिया आया कि मेरे पड़ोस में रहने वाले अंकल जी से मैं कह दूंगी गाली नहीं बैन हो सकती और अगर हुई तो मैं अनशन पर बैठ जाऊंगी.
ये तो हो गया गाली का सपोर्ट, अब बताती हूं इस सपोर्ट और गाली के प्रति प्रेम की वजह क्या है?
वो लड़के कोचिंग से सीधा टपरी पर आए थे, जिस तरह वो बात कर रहे थे उससे लग रहा था उनका टेस्ट था शायद उस दिन. तभी एक लड़का ख़ुशी में बोला बहन#$% क्या पेपर था? दूसरा थोड़ा सा दुखी था बोला बहन#$% ये कोई पेपर था? तीसरे की बात पर तो हंसी ही आ गई उसने जो गाली इंवेंट की न वो सुनकर, वो बोला साला मास्टर भी न कतई चू#$%नंदन था, ये सरप्राइज़ टेस्ट का आइडिया ही मुझे बिलकुल चू#$%पंती लगती है. उनकी बातों में गाली ज़्यादा थी, लेकिन उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था और वो अपने गुरू को धड़ाधड़ गाली दिए जा रहे थे. उनमें से एक महाशय बोले टीचर को गाली देना अच्छी बात नहीं है, लेकिन क्या करें गुस्सा आ जाता है. सही कह रहा था वो टीचर की इतनी हिम्मत की उन दिग्गजों का सरप्राइज़ टेस्ट ले लिया. गुस्सा तो आएगा ही उनको. उनके टीचर से तो नहीं मिल पाई.
मगर मुझे अपने पड़ोस वाले अंकल की बात याद आई कि साला गाली पर बैन लगना चाहिए, तो अंकल जी ‘साला’ भी गाली है. अगर बैन लग गया तो अपना गुस्सा कैसे दिखाओगे? ख़ैर, अंकल जी बहुत बड़े हैं उन्हें कैसे समझाऊं? मगर उनसे दरख़्वास्त है कि क्यों बेचारे लड़कों से उनका प्रेम छीन रहे हो?
अपने दोस्तों से क्या बकवास कर रहा है बोलते अच्छे लगेंगे, जो आदर उनकी बकचो#$ में है. जो भाईचारा चू@#% में आता है, वो बेवकूफ़ में कहां? रही सही कमी इन वेबसीरीज़ ने पूरी कर दी, जिन्होंने लड़कों की भाषा में सुधार करते हुए, उन्हें गां#, गां% मारना और न जाने कितने हैल्पिंग वर्ब दे दिए.
पिछले साल आई वेबसीरीज़ का कॉलेज सीन याद है, जिसमें बबलू भइया, गुड्डू भइया को बताते हैं कि मास्टर जी ने उन्हें लं# नहीं लंठ कहा है जिसका मतलब मूर्ख होता है. अब सोचिए वेबसीरीज़ वाले मास्टर जी मूर्ख बोलते, तो बबलू भइया को उन्हें समझाने का मौका मिलता, नहीं मिलता. और उनसे स्क्रीन पर दिखने का एक सीन छिन जाता.
फिर मैं अपने अंकल जी से कहूंगी क्यों किसी के पेट पर लात मार रहे हैं? क्या हुआ अगर बेचारे लड़कों ने पेपर को बहन$% बोल दिया? अब पेपर की बहन तो होती नहीं है. वो तो उस पेपर के लिए उनका प्यार जताने का तरीका था, है न लड़कों!