तेल लेने गया वैलेंटाइन्स डे!

सख़्त लौंडों से लेकर आसक्त लौंडों तक हर कोई ये ही बोल रहा है कि छोड़ो, क्यों मना रहे हो वैलेंटाइन्स डे. साल में एक दिन आने वाले इस ‘बवंडर’ को इतना तूल क्यों दे रहे हो? वैसे इनकी बात इतनी भी ग़लत नहीं लगती. लेकिन एक प्रॉब्लम है… ये दिन न मनाओ, ये ज्ञान देने वाले किलो के हिसाब से मिल जाएंगे, लेकिन इसकी जगह क्या मनाओ, ये कोई नहीं बताएगा.

चलो कोई नहीं, ये ज़िम्मेदारी हमारी.

पेश हैं, वो ‘दिवस’ जो आप जब मूड करे, तब मना लेना  

इस दिन कसम खा लें कि आप लोगों की बड़ाई करते रहेंगे. सवेरे उठ कर टूथ पेस्ट से नहीं मक्खन से मुंह धोएं. खाने में मक्खन लें और पीने भी मक्खन लें और सामने जो भी मिलें उनको मक्खन लगा दें और कहें Happy Makkhan Day.

भौतिक जीवन में आपका बहुतों से पाला पड़ता होगा. कोई आपका मज़ाक उड़ा देता होगा, कभी आप किसी का मज़ाक उड़ा देते होंगे. ख़ैर, सुविधानुसार आप अपनी भड़ास निकालने के लिए जगह और तिथि का चयन कर लेवें और लोगों को पकाना शुरु कर देवें. मैन इटर का मतलब होबे है दिमाग चाटने वाला इंसान. रास्ते में उन बुजुर्गों को ज़रुर पकड़ें, जो सुबह-सुबह समाज के नाम पर आपका सामाजिक जीवन ख़राब करते हों.

कॉलेज, घर या दूसरे के घरों में आए दिन हमारे दोस्त, भाई और चचेरा/मौसेरा/फुफेरा/ममेरा भाई हमारी चीज़ों को बगैर हमारी इजाज़त के पहन कर बाहर निकल लेता है. इतना ही नहीं, ये लोग बदले में शुक्रिया भी अदा नहीं करते हैं. ऐसे लोगों के लिए आप एक ख़ास दिन मनाए. उस दिन चड्डी से लेकर उनकी गड्डी तक हड़प लेवें. ये ऐसा दिन होगा, जब लोग आपसे कांपेंगे. आई बात समझ में.

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. इस शब्द ने हमारी ज़िंदगी को झंड बना कर रख दिया है. साल में आप एक ‘मेरी मर्ज़ी दिवस’ मनाएं. इस दिन आप किसी की ना सुनें. कोई दाएं कहता हो, तो आप सीधा निकलें. कोई हेलो कहे, तो आप आदाब कह दें. कहने का तात्पर्य है कि उस दिन आपकी जो इच्छा होगी वही करेंगे.

हमारे पड़ोसी या घरवाले हमारी हरेक हरकत पर नज़र रखते हैं. वे हमें ऐसे देखते हैं, मानों हमने कोई गुनाह कर दिया हो. ऐसे लोगों के लिए आप एक ख़ास दिन मनावें और उन्हें एक जासूस की तरह घूरें. आप उन्हें ऐसे देखें, मानो वो अमेरिका के ख़िलाफ़ कुछ साजिश रच रहा हो. वायदा है मेरा, आपसे वो बंदा कभी नहीं मिलना चाहेगा.

सोशल मीडिया के समय में आप इस शब्द से तो वाकिफ़ होंगे ही. इस दिन आप दिन-भर लोगों की पोस्ट्स पर उल-जुलूल कमेंट करें. हां… इसमें अपनी मर्यादा का ज़रुर ध्यान रखें. ऐसा करने से लोग आपको पागल समझेंगे, मगर ज़िंदगी के रोमांच में यह दिन ऐतिहासिक होगा.

एक कहावत है ‘आप रुपी भोजन और पर रुपी शृंगार’. हालांकि, आप अपनी ज़िंदगी के एक दिन को इसके उलट रख सकते हैं. इस दिन आप अपनी पसंद के कपड़े पहने. जो मन में आए वो करें. जैसे आप ब्लाउज के साथ धोती और जींस के साश जनेऊ भी पहन सकते हैं. आप चाहें, तो नागा बाबा भी बन सकते हैं. हां… इसमें दुनिया की परवाह नहीं करनी है.

हम बचपन में ख़ूब बदमाशी किया करते थे. बिना किसी की परवाह किए हम लोगों को तंग करते थे. जैसे- बच्चों की टॉफ़ी छीन लेना, दादाजी का चश्मा छिपा देना. घर की नमकीनों पर धावा बोल देना. एक दिन इसे भी याद के तौर पर रखा जाए.

आज बड़े-बुजुर्गों को हमसे सिर्फ़ एक ही शिकायत रहती है कि हम उनकी तरह संस्कारी नहीं हैं. अपनी ज़िंदगी का एक दिन उनके लिए समर्पित कर दीजिए. आप एक दिन संस्कारी बन जाइए, इतना ही सड़क के कुत्तों को भी प्यार DOG साहब बुलाइए. इस दिन आप इतने संस्कारी बन जाइए कि पूरे साल आपसे किसी को शिकायत ना रहे.

सोशल मीडिया हो या हमारी ऑरिजनल दुनिया हो, कोई ना कोई ऐसा मिल जाता है, जो बकचोदी करता है. ऐसे बकचोदों से निपटने के लिए आप अपनी ज़िंदगी में एक बकचोदी दिवस मनाएं. इस दिन आप हर बात पर ज्ञान झाड़ें, बिना मतलब के लोगों को राय दें. होटल में शेफ़ को खाना बनाना सिखाए. ध्यान रहे कि ये फ़ॉर्मूला आपके लिए मुसीबत ना बन जाए.

फेंकू एक ऐसा शब्द है, जिसका मतलब शेखी बघारना होता है. इस शब्द को देश के नेता पीएम के लिए प्रयोग करते हैं. ख़ैर, इसी से प्रेरित होकर आप फेंकू दिवस भी मना सकते हैं. इस दिन आप अपने दोस्तों, सहयात्रियों, गर्लफ्रेंड और जो भी रिश्तेदार हों, उन्हें लंबा ख़्वाब दिखाएं. इतना फेंके, इतना फेंके कि लोग लपेट न पाएं. इससे आपको अच्छा लगेगा.

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