हिंदुस्तान में किसी भी बच्चे की परवरिश तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक मां के हाथों से उसकी पिटाई न हो जाए. इसे हिंदुस्तानी बच्चों का डीएनए ही कहिये कि वो भी बिना पिटे सुधरने का नाम ही नहीं लेते. ऐसे में निरुपमा राव जैसी बेचारी हिंदुस्तानी मां को भी मदर इंडिया की नरगिस बन कर अपना ब्रह्मास्त्र निकालना पड़ता है. आज हम आपको हिंदुस्तानी मां के कुछ ऐसी ही हथियारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल करके वो बच्चों को लाइन पर ले आती है.

चप्पल/ जूते

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चप्पल वो अचूक हथियार है, जिसका ज़िक्र भले ही शास्त्रों में नहीं मिलता, पर ज़्यादातर भारतीय मां के हथियारों की लिस्ट में चप्पल किसी मिसाइल की तरह काम करता है. इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि इसका इस्तेमाल करके मां दूर से भी बच्चे तक अपनी बात पहुंचा सकती है.

बेलन

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पता नहीं कितने बच्चों को ये सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि वो रोटी को गोल करने वाले इस अद्भुत हथियार की भेंट चढ़े हैं. मम्मी के खाना बनाते समय किसी शरारत को करना, तो जैसे रोटी के साथ-साथ पिटाई को दावत देना है.

बैट

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ग्राउंड में बॉलर्स के छक्के छुड़ाने वाला यही बैट जब मम्मी के हाथों में आता है, तो इंद्र का वज्र बन जाता है.

बोतल

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अपनी आप बीती में कुछ लोगों ने Fridge में रखी पानी की बोतल से पीटने का ज़िक्र किया है.

आंख दिखाना

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रिश्तेदारों की मौजूदगी में पिटाई का काम मां की आंखें ही कर दिया करती थीं.

मेलोड्रामा

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मेलोड्रामा एक ऐसा हथियार है, जिसका इस्तेमाल मां आज भी अच्छे से करना जानती है. अब जैसे हर दिन घर में शादी के लिए होने वाले मेलोड्रामे को ही याद कर लीजिये.

जो करना है करो

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इस ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल मां उस समय करती है, जब सभी तरह के हथियार नाकाम हो जाते हैं. आंखों से निकलने वाले आंसू इस ब्रह्मास्त्र की शक्ति को और भी ज़्यादा बढ़ा देते हैं.

हर पिटाई के साथ एक प्यारी सी याद जुड़ी हुई. ऐसी ही कोई याद आपके पास भी हो, तो शेयर कर दो यार. हमें भी पता लगे कि मांओं के पास और कौन-कौन से हथियार हैं.