पहली बार Internet चलाने का अनुभव आज भी गुदगुदाता है, सबका अनुभव अलग-अलग होता है. पर हमने जितने भी लोगों से भी बातें कीं, सबके Experiences में मीठी-मीठी यादें छुपी हुई थी.

1. अरमान

जब मैंने पहली बार Internet चलाया, मुझे अच्छी तरह याद है कि मैंने अपना फ़ेवरेट हीरो Search किया था, उसके बाद मेरे होश उड़ गए, क्योंकि मैंने अपने पापा के फ़ोन का 200 रुपये का बैलेंस उड़ा दिया. इसके बाद मैंने भोजपुरिया सुपर स्टार मनोज तिवारी का गाना, ‘ऊपरवाली के चक्कर में लईका खूब पिटाइलबा’ डाउनलोड किया. ओहो क्या मज़ा आया मानो दुनिया मुट्ठी में आ गई हो.  फिर जो खुराफ़ाती दिमाग चला, तो अन्तर्वासना पर ही जाकर रुका, कुछ वैसा सा Youtube में भी ढूंढने की कोशिश भी की थी,लेकिन पता नहीं था कि Youtube में वो सब नहीं मिलता है.

2.सतीश 

 पूरे 20 रुपये दिए थे 1 घंटे के उस ज़माने के फेसबुक, Orkut में Id बनाने के लिए,  फिर मानो मार्क ज़ुकरबर्ग बन गए थे हम. अब पूरे 20 रुपये लगाये थे तो जो कन्याओं को ले कर  मन में भड़ास थी वो भी पूरी करनी थी, फिर क्या एंजेल प्रिया ,शीतल वर्मा, कविता भाभी ,सबको फ्रेंड रिक्वेस्ट दे मारी.

3. रेखा

 बड़ा  Excited थी, Computer क्लास के लिए, बड़े मन से गई थी कि पढ़ाई करूंगी, पर मन तो फेसबुक पर लगा था. बस जैसे ही मौका मिला, Id बना डाली. फिर क्या था जितनी भी हिरोइन थी, सबकी हॉट फ़ोटोज़ सर्च कर मारी. इधर Computer की क्लास, उधर हमारी नेट की पहली क्लास बराबर चल रही थी.

4. बीनू

 कुछ लड़कियां होती हैं पढ़ाकू टाइप की, मैं भी उन में से ही थी. जब पहली बार सायबर कैफ़े गई, उस वक़्त मैं 10th में थी, तो मेरे आसपास जितने भी DPS School थे सब खोज मारे, क्या करूं पढ़ाकू टाइप की हूं ना.

5. धीरज

 Nokia का छोटा सा मोबाइल था, बस फिर क्या शर्मा जी के लड़के से सुना था कि नेट नाम का कोई जीव आजकल गांव में खूब चल रहा है. हमने भी पिताजी का मोबाइल चुपके से उठाया और गेम डाउनलोड कर मारा. लेकिन हमें नहीं पता था कि उसमें पैसे भी लगते हैं. पूरे 175 रुपये उड़ाये थे पिताजी के, बस फिर क्या था, इधर Game Download, उधर हमारी कई हड्डी टूटी. हम फिर भी नहीं माने,  www.sex.com Search कर के ही राहत की सांस ली.

6. कविता

  Ringtone का बड़ा Craze था उन दिनों, मैं अकबर के ज़माने की बात नहीं कर रही हूं , 2008 की बात कर रही हूं, आपने भी सुना होगा ‘वादी-ए- इश्क़ से आया है मेरा शहज़ादा’, वो Ringtone Download की थी मैंने. उसके बाद मानो मेरे कमरे में लडकियों की लाइन लग गई. बहन Ringtone दे दे, बहन Ringtone दे दे. अनामिका ने तो Ringtone के चक्कर में होस्टल में पहली बार बात की थी, मुझसे. 

7. अनामिका 

मैंने सुना था कि फेसबुक ही Internet है, और Internet ही फेसबुक है. बस पहली बार सहेली से Id बनवाई और दिन रात, जब भी मौका मिले, Facebook-Facebook खेलना शुरू. उसी चक्कर में 12th में नंबर भी कम आये.

8. विकास

हमको तो नेट चलाने का सौभाग्य बहुत देर से प्राप्त हुआ. हमने बहुत कुछ सुन रखा था नेट के बारे में, बड़े अरमान ले कर गए थे हम सायबर कैफ़े, लेकिन हमारी किस्मत ही फूटी थी. हमारे बिलकुल बगल में कॉलोनी की एक लड़की बैठी थी, सो भगवान जी के Wallpaper से ही काम चलाना पड़ा. जैसे गये थे वैसे अरमानों के साथ वापस आ गए, अपनी इज्ज़त अपने हाथ.

9. देवलाल

 मैं उस समय हाई स्कूल में पढ़ता था, पहली बार स्कूल से भाग कर गया था साइबर कैफ़े, और सबसे पहले वही किया, जो सब करते थे. फेसबुक पर Id बनाई और फिर जिन-जिन लड़कियों के Profile अच्छे लगे, सबको Request भेज दी. फिर महीनों ये भूत चला. कई बार उधारी भी लेनी पड़ी दोस्त से.

10. शीतल

सबके Experiences अलग-अलग होतें हैं, पर मेरा अनुभव अलग नहीं था. वही घिसी-पिटी मेरी भी शुरुआत Orkut से ही हुई, हालांकि, किसी ने कोई मदद मांगी थी, Gail नाम की चिड़िया पर. मैं तो बहुत बुरी तरह से डर गई थी क्योंकि उस वक़्त मुझे पता ही नहीं था कि ये किस बला का नाम था. बाप रे, बड़ी मुश्किल से जान बची थी.यादें जितनी पुरानी होती जातीं हैं, उतनी ही मीठी होती जातीं हैं, चाहे वो अच्छी हों या बुरी हों.

जब हम बीते वक़्त के डायरी के पन्ने उलटते हैं, तो उन्हीं खट्टे-मिट्ठे गुज़रे लम्हों को याद करके हंस पड़ते हैं. अगर आप भी चटपटी यादों से लबरेज़ हैं, तो कमेंट बॉक्स पर अपनी यादों की डायरी शेयर कीजिए और किसी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लाइए. 

Art by: Ashish kumar