नया साल आते ही आदमी एकदम बौरा उठता है. मानो पुराना साल कोई कब्ज़ हो और नया साल इन्हें कायम चूर्ण माफ़िक राहत पहुंचा देगा. मने फ़ालतू कि अंट-संट हरकतें शुरू हो जाती है.

रेज़ोल्यूशन तो ऐसे लेते हैं, जैसे इनके बाप वसीयत में लिखवा गए थे कि ससुरा हमारी औलाद ये न करिस तो जायदाद से बेदखल कर देना. हद तो ये है कि जो लोग संडास जाने में भी आलस करते हैं, वो भी नए साल से सुबह 4 बजे उठने का रेज़ोल्यूशन ले बैठते हैं.
मगर नादान भूल जाते हैं कि नया साल जनवरी की थर्र-थर्राती ठंड में आता है. सुबह-सुबह रजाई के बाहर जैसे ही मुंडी निकाली रेज़ोल्यूशन मुंह से भाप बन ग़ायब.
मतलब तारीख़ बदलने से आख़िर क्या ही नया हो जाएगा. सोशल मीडिया पर अशुभ-चिंतक पहले की तरह ही ढेर सारी शुभकामनाओं की बमबारी करेंगे. व्हाट्सएप पर साल मुबारक की चरस बोएंगे. सड़कों पर लखैरे नेताओं का हैप्पी न्यू ईयर टंगा दिखाई देगा, बाद में उसी नए साल से अलाव जलेंगी. सब वही पुराना ही रहने वाला है.

ये इस साल का हाल नहीं है बल्कि मानव सभ्यता की शुरुआत से ही ये परंपरा चालू है और राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने तक कायम रहेगी. ऐसे में हम आज उन बातों का ज़िक्र करेंगे, जो हर साल हमें न्यू ईयर पर देखने-सुनने को मिलती हैं.
1.साल का पहला दिन है नहा लो, नहीं तो पूरा साल बिना नहाए घूमोगे

गर्मियों में दिन में तीन बार नहाने वाला शख़्स सर्दियों में तीन दिन छोड़कर नहाने पर मजबूर हो जाता है. पूरे दिसंबर तक तो ये तपस्या पूरी शिद्दत से जारी रहती है, लेकिन नए साल के पहले दिन घर वाले मेनिका बन बैठते हैं. वही पुरानी घिसी-पिटी थ्योरी, ‘अरे लल्ला साल का पहला दिन है, आज नहा ले नहीं तो पूरा साल बिना नहाए गुज़रेगा.’
ये वो झूठ है, जिसे घर वाले बीच गंगा में खड़े होकर बोल सकते हैं.
2. आज तो मंदिर हो ले, नहीं तो भगवान नाराज़ हो जाएंगे

मतलब हम क्या कोई कॉन्ट्रैक्ट किए थे. इत्ती बड़ी दुनिया में भगवान खाली हमारे ही दर्शन करना चाह रहे. मतलब सोचिए, 75 ठोर आदमी मंदिर पहुंचा और भगवान वहां मुंह बनाए बैठे हैं. काहे के लिए कि हम उनसे वहां मिलने नहीं पहुंचे.
हद है प्रभु! ये सब सुनकर एकदिन भगवान ख़ुद मेरे घरवालों को समझाने आ जाएंगे, कि देखो तुम्हारे लौंडे की पनौती जैसी शक्ल देखने को हमें कोई शौक नहीं है, नए साल के पहले दिन तो कतई नहीं. फ़ालतू उसको मंदिर भेजकर हमारा साल मनहूस मत बनाया करो.
3. 31 दिसंबर को अगले साल मिलते हैं का जोक

हा हा… क्या मस्त जोक है. मारे अभी जूता उतार के. ये हर बार की कलाकारी है. ग्रुप के सबसे निठल्ले और लबरे दोस्तों की ये फ़ेवरेट लाइन है. मतलब सुनते ही गुम्मा जड़ देने का मन करता है. हाथ एकदम कसमसा के रह जाते, समझ नहीं आता कि उसकी खोपड़ी फ़ोड़ें या अपनी ही दीवार पे दे मारे.
4. पेपर की हेडलाइन्स

‘नए साल पर करोड़ों की शराब गटक गए लोग.’ आप चाहें कुछ कर लें ये हेडलाइन हर नए साल पर छपनी ही छपनी है. फलाने राज्य में लोगों ने एक दिन में इतने करोड़ की शराब पी ली. इतने करोड़ की बीयर. सड़कों पर मचाया हंगामा, शर्मा जी के लौंडा नाली में मुंह डाले मिला और पता नहीं क्या-क्या ख़बरें छपती हैं.
सबसे दिलचस्प तो ये ख़बर होती है कि ‘नए साल में जन्मे इतने बच्चे, भारतीयों ने मारी बाज़ी.’ ये लखैरे यूनिसेफ़ वालों को कोई दारू पार्टी के लिए तो बुलाता नहीं है, इसलिए ये साल के पहले दिन लोगों के बच्चे ही गिनते हैं. न यकीन हो तो पहली जनवरी का अख़बार खोल लीजिएगा, शर्तिया ख़बर मिलेगी.
5. हे भगवान! आज सुला दो, कल से न सिगरेट पीऊंगा न दारू

ये वाला मामला पर्सनली फ़ील किया हुआ है. जब फ़्री की दारू मिल जाए, तो आदमी रायता खाता नहीं बल्कि निकालता है. हचक के उल्टी पेली जाती है. इस बीच कोई सिगरेट दिखा दे, तो आत्मा घबराहट में शरीर छोड़ने पर उतारू हो जाती है. उल्टी करके जैसे ही लेटो तो पूरा कमरा सिर पर गिरता मालूम होता है. तकिया पर सिर जाते ही शरीर उल्टी करने को उठ खड़ा होता है. पूरी रात यही बड़बड़ाते हैं, ‘हे भगवान! बस आज सुला दो, कल से न सिगरेट पिएंगे न दारू.’
6- व्हाट्सएप पर शायरियां चेपना

‘डिब्बे में डिब्बा डिब्बे में केक
नहीं हो पाएगा भाई… नहीं हो पाएगा. जिसने ये शायरियां भेजी हैं, वो सिर्फ़ नरक ही जाने वाला है.
7. हैपी न्यू ईयर इन एडवांस
ये कौन सी बेचैनी है, जो नए साल का इंतज़ार भी नहीं करती. मतलब क्या खुजली है बे, जो पहले से ही चरस बोने लगते हो. अगले साल से पहले ही टिकट कटा लिए हो का, जो एडवांस में शुभकामनाएं पेल रहे. नहीं, अगर वाकई में तुम्हें नए साल में ख़ुद के रहने पर विश्वास नहीं है तो साला हमको बताओ. हम ख़ुद तुम्हारे पास आकर गले मिलकर शुभकामनाएं देंगे.
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