अमा हां, जंगल में नदी किनारे कोई एकदम परेशान मुद्रा में बैठा था. उसका एक हाथ माथे पर, दूसरा कमर पर, तीसरे से पीठ खजुआ रहा था और चौथे से नदी में कंकण फेंकता हुआ. सच बता रहे, एक बार तो मेरा कलेजा धकधका गया. अपने को लगा कहीं गोदी मीडिया को देख एलियन बेवकूफ़ तो नहीं बन गए. भारत को अमेरिका से ज़्यादा विकसित समझ अटैक करने आ गए हों!

God In Trouble: एक बार की बात है अपन बहुत दुखी थे. काहे कि हफ़्ते में तो हर बार मंगल आता था, मगर जीवन में कभी नहीं. समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करूं. आख़िरकार तय किया कि अब दुनियादारी में पड़ना ही नहीं. अपन तो अब जंगल में रहेंगे. मगर मुझे क्या पता था कि ये जंगल मुझे सीधा भगवान के पास पहुंचा देगा. वो भी बिना यमराज से अपॉइन्मेंट लिए.   
tumblr

बड़ी हिम्मत करते मैंने पूछा ‘भाई कौन हो?’ सामने से जवाब आया, ‘आइ एम गॉड ब्रो.’ ओह तेरी! भगवान वो भी अंग्रेज़ी मीडियम से. कहने लगे ‘वत्स! मेरा बिज़नेस इंटरनेशनल लेवल का है तो हर भाषा सीखनी पड़ती है.’

अच्छा पर आप यहां, और इतने दुखी क्यों लग रहे? बस मेरा ये पूछना ही था कि प्रभु की आंखें डबडबा गईं. एकदम रुआसा फ़ील करने लगे. बोले, थक चुका हूं यार तुम इंसानों की अंट-शंट डिमांड सुनकर. अब मुझे ख़ुदा टाइप फ़ील ही नहीं होता.

God In Trouble

gifer

अभी चंद दिन पुरानी बात है. हम एक भक्त के सपने में सरप्राइज़ विज़िट को गए. सोचे थे कि हमें देख कर बंदा मुक्ति-वुक्ति का मार्ग पूछेगा. मगर नहीं, कह रहा ‘भगवान मेरी भक्ति में अगर थोड़ी भी शक्ति है तो पड़ोस वाली रेशमा से सेटिंग करवा दो.’

बताओ, कैसी अश्लील बात कर रहा लड़का. ‘यार, मैं गॉड हूं, टिंडर नहीं…’ मन तो किया, गला दबा दूं. मगर यमराज का प्रोटोकॉल तोड़ नहीं सकता था, इसलिए छोड़ना पड़ा.

वहीं, कुछ बैल बुद्धि अलग मरे रहते हैं. जब से पैदा हुए हैं, तब से एक ही चीज़ रट रहे. भगवान एग्ज़ाम पास करवा दो. मतलब अब हम साला बैठकर इनकी कॉपी जांचे. हद मुंहपेलई है. (God In Trouble)

giphy

जहां देखो वहां रोंधड़ू इंसानों की फ़ौज तैयार है. ऑफ़िस वाले बोलते हैं बॉस को जुलाब लगवा दो, रोज़ मीटिंग करता है. नेता बोलते हैं वोट दिलवा दो, दूसरा वाला हमसे ज़्यादा चीटिंग करता है. कुछ तो इतने बड़े वाले हैं कि अगर दारू में 10 रुपये भी कम पड़ जाए तो मुझे याद करने लगते.

मम्मी कसम एक दिन की छुट्टी नसीब नहीं है. साल का पहला दिन दुनिया मौज करती है, मगर मैं मनहूस चेहरों से घिरा रहता हूं. सुबह से ही भगवान…भगवान… बोल छाती पर मूंग दलते हैं. ऊपर से ये पता नहीं कौन ससुरा इन्हें सिखा दीहिस है कि भगवान जो करेगा, अच्छा ही करेगा. काहे बे? तेरी उधारी खाए बैठे हैं.

दुनिया कहती है बच्चे मासूम होते हैं. तो हम सोचे चलो स्कूल जाकर उन्हीं की कुछ प्रार्थना सुन लें. मगर ऐसी चंट खोपड़ी वाले बच्चों की तो मैंने उम्मीद ही नहीं की थी. एक नसुड्डा बालक बोल रहा, ‘भगवान यमराज को बोलकर प्रिंसिपल का कोई रिश्तेदार उठवा लो, बहुत दिनों से कंडोलंस की छुट्टी नहीं मिली.’

कसम से बता रहे, ख़ुद मेरे मुंह से हे प्रभु निकल गया! अब तो मेरा जी बिल्ला गया है. पर क्या करें, न तो अपने पास छुट्टी लेने का ऑप्शन है और न ही किसी दूसरी जॉब में जाने का. यू नो, आई हैव ए वेरी लॉन्ग एक्सपीरियंस इन दिस फ़ील्ड. (God In Trouble)

ये भी पढ़ें: Real Summer Problems: ये हैं वो 7 असल परेशानियां जिनसे गर्मी में हर शख़्स को गुज़रना ही पड़ता है

भगवान की व्यथा-कथा सुन मैं बोला, हे प्रभु! आपकी तकलीफ़ों के आगे तो मेरा दुख कुछ भी नहीं है. मगर मेरी बदनसीबी तो देखिए, आपको ये भी नहीं कह सकता कि ‘चिंता मत करो, ऊपर वाला सब ठीक कर देगा!’