फ़िल्म इंडस्ट्री के AK47, यानी अनुराग कश्यप और ’47’ इसलिए क्योंकि आज पूरे 47 साल के हो गए हैं. आज बर्थ डे है तो मनाया भी जाएगा अनुराग कश्यप स्टाइल में. ऐसे बर्थ डे बंप्स पड़ेंगे कि अगले का फट के फलावर हो जाएगा.
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अनुराग कश्यप की पहचान फ़्लॉप/ खींच के हिट फ़िल्म देने वाले निर्देशक और गुस्से से भरे इंसान की है. दोनों पहचान एक दूसरे की पूरक हैं. सोशल मीडिया पर बंदे का भौकाल ऐसा है कि बॉलीवुड में उससे ज़्यादा टैलैंटेड दूसरा डायरेक्टर नहीं है और अभी तक एक सुपर हिट फ़िल्म नहीं बन पाई है, ऐसे में ख़ून तो खौलेगा ही.
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गुस्से में होते हैं इसलिए डार्क फ़िल्में बनाते हैं या फ़िल्मों के डार्क बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन देख गुस्से में रहते हैं, ये पहेली सुलझाने की ज़रूरत है. गुस्सा सिर्फ़ फ़िल्मों तक सीमित नहीं रहता. अनुराग हर जगह AK47 मोड में ही पाए जाते हैं. ट्विटर और क्रेंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड तो उनके ऑल टाइम फ़ेवरेट हैं.
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‘उड़ता पंजाब’ के रिलीज़िंग के व़क्त पूरी तरह से भसड़ मच गया था, ऐसा लग रहा था कि तब कि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी और अनुराग कहीं आमने-सामने पड़ जाए तो हाथापाई की नौबत आ जाती. ‘उड़ता पंजाब’ के टाइम अनुराग के भीतर का लावा फट के बाहर आ गया था, आग तो पहली फ़िल्म से सुलग रही थी. सेंसर बोर्ड की मेहरबानी से अनुराग की पहली फ़िल्म ‘पांच’ ‘बैन-मौत’ मारी गई. दूसरी फ़िल्म ‘ब्लैक फ़्राइडे’ कोर्ट से गुहार लगा कर रिलीज़ करवानी पड़ी. 2004 में बन कर तैयार फ़िल्म 2007 में जा कर रिलीज़ हुई, तब तक टोरेंट पर वायरल हो चुकी थी, थियेटर कौन जाता! तीसरी फ़िल्म ‘नो स्मोकिंग’, भयंकर फ़्लॉप. आखिर में अनुराग कश्यप जैसे डायरेक्टर को बच्चों की फ़िल्म Return Of Hanuman बनानी पड़ी.
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ट्विटर पर अनुराग ट्रोल्स के पसंदीदा शिकार हुआ करते थे. एक ट्वीट करने पर सारे ट्रोल्स इनको बांस लिए चहेंट देते थे. अनुराग भी कम चंट नहीं थे, मार-मार कर रेल बना देते थे. आज चार गाली खाई तीन सुनाई, मामला ठंडा हुआ, फिर अगले दिन की यही कहानी. आख़िर में कुछ दिनों पहले अनुराग कश्यप ने ये कह के ट्विटर छोड़ दिया कि बहुत हो गया मुझे अब खेलना ही नहीं है, ट्रोल्स मां-बहन पर चले जाते हैं.
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अनुराग मीडिया से भी खार खाए रहते हैं, एक बार तो उन्होंने अपने गुस्से को जायज़ भी ठहरा दिया था. आंख पर पट्टी लगा कर अनुराग ने एक फ़ोटो ट्विटर पर अपलोड कर दिया. कैप्शन में लिखा था कि उनकी लड़ाई एक MMA Fighter से हुई थी. अधिकतर मीडिया हाउस ने उस ट्वीट के ऊपर अपनी कहानी चिपका कर स्टोरी छाप दी, किसी ने अनुराग से बात करने की कोशिश तक नहीं की. बाद में पता चला कि यह एक प्रैंक था और ये मीडिया के बर्ताव को साबित करने के लिए ही किया गया था.