एक होते हैं मनहूस, दूसरे होते हैं बहुत मनहूस और तीसरे होते हैं ‘मलाई’ पसंद करने वाले. कई बार मैंने लोगों को बड़े ही चाव से मलाई खाते हुए देखा हैं, उन्हें देख कर बस दिल से एक ही आवाज़ आती है कि ‘कहां से आते हैं ऐसे लोग’. ख़ैर, मैं उन लोगों में से हूं, जिन्हें मलाई बिल्कुल पसंद नहीं होती. यार मतलब ये तो हद ही है मलाई भी भला कोई खाने वाली चीज़ है.

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मलाई का नाम सुनते ही मुंह से बस छी….छी… और छी… ही निकलता है. ये मलाई उन बिन बुलाई मेहमानों की तरह होती है, जिन्हें किसी से कोई मतलब नहीं होता वो तो बस आ जाते हैं, दूसरों का दिमाग़ ख़राब करने के लिए.

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भाई साहब दुनिया में कई लोग ऐसे हैं, जो मलाई में चीनी मिला कर खाते हैं, तो कुछ ब्रेड पर मलाई लगा कर. यही नहीं,  कई बार मम्मी इस वाहियात सी मलाई के फ़ायदे गिना कर उसे खिलाने की कोशिश करती हैं. 

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एक मैं हूं जो चाय में पड़ी मलाई तक को पसंद नहीं करती. ये मलाई न मुझे मेरे और मेरी चाय के बीच सबसे बड़ी दुश्मन नज़र आती है. चाय अच्छी ख़ासी कप में रखी होती है और ये पता नहीं कहां से आ जाती है. नज़र पड़ जाती है, तो हाथ से हटा देती हूं. लेकिन कई दफ़ा ऐसा होता है कि चाय पीते-पीते अचानक से मुंह में आ जाती है और सारा मूड ही ख़राब हो जाता है.

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कसम से अगर मलाई, मलाई न हो कर इंसान होती, तो मैं तो उसका ख़ून ही कर देती. ऐसा नहीं है कि मुझे दूध से प्रॉब्लम है, वो तो मुझे पसंद है आखिर उससे शरीर को शक्ति जो मिलती है. मुझे दिक्कत है, तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मलाई से. मलाई को देख कर मन में अजीब सी चिढ़ होती है. समझ नहीं आता इतनी गंदी सी मलाई के लिए लोग इतना पागल क्यों रहते हैं.

I Hate It. वैसे अगर आप भी मलाई के लिए ख़िलाफ़ आवाज़ उठा कर अपना विरोध जताना चाहते हैं, तो कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं.