हम सब 90’s Kids करण जौहर की फ़िल्में देखकर बड़े हुए हैं. उनकी फ़िल्मों में सॉन्ग्स से लेकर बास्केटबॉल और राहुल-अंजली के झगड़े तक, सब कुछ कितना अच्छा होता है. लेकिन इन सब में मुझे सबसे ज़्यादा अट्रैक्ट किया करण जौहर की फ़िल्मों के कॉलेज ने. करण की फ़िल्मों के कॉलेज इतने चार्मिंग होते हैं कि ज़िन्दगी में कभी ऐसे कॉलेज देखे ही नहीं By God. किसी ख़ूबसूरत ड्रीम जैसे लगते हैं वो कॉलेज और ये तो आप और हम जानते ही हैं कि ऐसा ड्रीम कभी पूरा नहीं होगा.
ख़ैर सपना ही सही, लेकिन मैं करण की फ़िल्मों में कॉलेज को देखकर ये ज़रूर सोचती हूं कि काश! मेरा कॉलेज भी ऐसा होता…तो आखिर क्या चीज़ें मुझे ऐसा सोचने के लिए मजबूर करती है, मैं आपको बताती हूं…
काश! मैं भी शॉर्ट ड्रेसेज़ पहनकर एक्ट्रेसेज़ की तरह कॉलेज जा पाती
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करण जौहर की फ़िल्मों के कॉलेज में लड़कियां हॉट पैंट्स से लेकर शॉर्ट ड्रेसेज़ तक, हर तरह की ग्लैमरस आउटफिट्स पहनती हैं. मैं यही सोचती हूं कि आखिर ऐसे कॉलेज हैं कहां?
काश! मैं भी एक क्यूट प्रोफे़सर से फ़्लर्ट कर पाती
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करण की फ़िल्म में स्टूडेंट्स अपने प्रोफे़सर से फ्लर्टिंग करने में भी पीछे नहीं रहते हैं या ऐसा कहें कि वो ये करने के आदी हैं. हमारे यहां तो ऐसा कोई था ही नहीं, जिससे फ्लर्ट कर सकें.
काश! मेरा कॉलेज भी ऐसा होता, जहां पढ़ाई के अलावा सब कुछ होता
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करण की फ़िल्मों में स्टूडेंट्स या तो पढ़ाई करते ही नहीं हैं, या कभी-कभी शौक में कुछ पढ़ते हुए दिखाए जाते हैं. बाकी वक़्त वो कुछ और ही करने में बिज़ी रहते हैं. मुझे समझ नहीं आता, हमारे प्रोफे़सर हमें इतना पढ़ा कर क्या बनाना चाहते थे. पॉपुलर तो आज भी करण के स्टूडेंट्स ही हैं.
काश! कॉलेज के प्रिंसिपल मेरे बेस्ट फ्रेंड होते
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करण की फ़िल्में कितनी अच्छी होती हैं, हर कोई बहुत फ्रेंडली होता है, चाहे वो स्टूडेंट्स हो या प्रिंसिपल. यहां तक कि प्रिंसिपल तो स्टूडेंट के बेस्ट फ्रेंड भी होते हैं. पर मेरे कॉलेज में तो प्रिंसिपल को डांटने के अलावा कुछ आता ही नहीं था. शायद उन्होंने करण की फ़िल्में नहीं देखी.
काश! कॉलेज के फेस्ट इतने ग्लैमरस होते
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कॉलेज फेस्ट हो तो करण जौहर की फ़िल्मों जैसा, वरना न हो. ‘डिस्को दीवाने’ गाने के बिना भी कोई फेस्ट हुआ भला? हमारे यहां तो पता नहीं कौन से स्टेट के कौन से डांस फॉर्म परफॉर्म किए जाते थे.
काश! मेरे कॉलेज कैम्प्स में भी म्यूज़िक सेशन होते, जहां सब बिना प्रेक्टिस के मेरे स्टेप्स फॉलो करते
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करण की फ़िल्मों में स्टूडेंट्स इतने टैलेंटेड होते हैं कि वो बिना प्रेक्टिस के कॉलेज के बीचो-बीच एक जैसे स्टेप्स करते हुए नाच-गाने लगते हैं. हमारे यहां तो स्टूडेंट्स एक जैसे एक्सप्रेशन्स सिर्फ़ सरप्राइज़ टेस्ट में ही दे पाते थे.
काश! मेरे कॉलेज में भी Hot Boys की बरसात होती
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हाय! करण की फ़िल्मों के कॉलेज में कितने हॉट लड़के होते हैं. ये लड़के स्टूडेंट कम और मॉडल ज़्यादा लगते हैं और कॉलेज में भी शर्ट उतार कर अपनी ऐब्स दिखाने लगते हैं. मेरे कॉलेज में तो लड़के नहा कर आ जाएं, वो ही बड़ी बात थी.
काश! मेरे कॉलेज में भी हर रोज़ ऐसी ही पार्टीज़ होती
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ये करण जौहर की फिल्मों में कितनी हैपनिंग पार्टीज़ होती हैं. जब मन किया तब पार्टी होने लगती है और एक मेरा कॉलेज था, जहां हम रात को बैठ कर ग्रुप स्टडीज़ किया करते थे.
काश! मैं भी मेट्रो की बजाए अपनी लक्ज़री कार में कॉलेज जाती
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करण की फ़िल्मों में फैंसी कार से उतरते हुए स्टूडेंट्स की एंट्री किसी हीरो से कम नहीं होती है. एक मेरा कॉलेज था, जहां कार तो दूर, ऑटो से मेट्रो और फिर मेट्रो से साइकिल रिक्शा से पहुंचना पड़ता था.
काश! मेरा कॉलेज कैंपस भी किसी महल की तरह होता
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करण जौहर की फ़िल्मों में कॉलेज कैंपस बिल्कुल महलों जैसा होता है. बड़े-बड़े लॉन्स, पूल, स्पोर्ट्स एरिया और पता नहीं क्या-क्या. ऐसा लगता था अंदर घूमने के लिए भी स्कूटी की ज़रूरत पड़ेगी. और मेरे कॉलेज में तो क्या, कैंटीन की चाय पीकर लोगों का पेट ख़राब हो जाता था.
काश! मुझे कॉलेज में अपने करियर की टेंशन ना होती
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करण जौहर की फ़िल्मों में सारे स्टूडेंट्स कॉलेज में इतने खुश रहते हैं, आखिर वो सब आज में जो जीते हैं. कल की टेंशन उन्हें कहां. लेकिन ये बात मुझे मेरे कॉलेज के वक्त समझ नहीं आई न. हम तो हमेशा अपने नंबर्स और कैंपस प्लेसमेंट को लेकर टेंशन में रहते थे.
अगर मेरा कॉलेज भी करण जौहर की फ़िल्मों जैसा होता न तो मैं भी कहीं फिल्मों में नाम कमा रही होती, यहां बैठकर सिर्फ सपने नहीं बुन रही होती.
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