भारतीय रेलवे के बाथरूम में अगर आपको ‘बाबा बंगाली खान’ के विज्ञापन की जगह किसी फ़िल्म का पोस्टर चिपका मिले, तो आप ये मत समझ बैठिएगा कि आप ग़लत जगह आ गए हैं. वो रेलवे की पैसा कमाने की नई तरक़ीब होगी. भारतीय रेलवे पैसे कमाने की नई-नई तरक़ीबें लेकर आ रही है, नई वाली है ट्रेन में इवेंट ऑर्गनाइज़ करना. 

Money Control

हाल ही में फ़िल्म हाउसफ़ुल 4 के प्रमोशन के लिए रेलवे ने अपनी एक ट्रेन उन्हें किराये पर दे दी. ट्रेन का नाम रखा गया- ‘हाउसफ़ुल एक्स्प्रेस’ (कल ‘हादसा’ नाम से कोई फ़िल्म आएगी, तो उसका नाम ‘हादसा एक्स्प्रेस’ नहीं रखना है). आठ डब्बों की ये स्पेशल ट्रेन मुंबई से दिल्ली तक चली और इस सफ़र को हाउसफ़ुल एक्स्प्रेस ने लगभग 17 घंटे में पूरा किया. ट्रेन के भीतर फ़िल्म के मुख्य अभिनेताओं के अलावा निर्माण से जुड़े लोग भी थे. 

Dainik Bhaskar

संदिग्ध सुत्रों से पता चला कि यात्रा ख़त्म होने के बाद ट्रेन के टॉयलेट से 4 मग्गे, 6 बेडशीट और 2 टॉवल लापता थीं. साथ ही साथ ये भी पता चला कि बॉबी देओल और चंकी पांडे का बैग थोड़ा भारी हो गया था! 

जिस तरह पैसे कमाने के लिए रेलवे ने आठ डब्बों की एक ट्रेन दे दी, उसी तरह हम उम्मीद करते हैं कि जब कहीं परीक्षा आयोजित होगी तो परिक्षार्थियों के लिए एक्स्ट्रा ट्रेन चलवा देगी और वो सामान्य यात्रियों को उसके सीट से नहीं उठाएंगे. और जैसे लगभग 30-40 लोगों के लिए आठ डब्बों के ट्रेन चलाई गई वैसे ही त्योहारों में घर जानों वालो के लिए भी ट्रेन की व्यवस्था कर दी जाएगी ताकि लोग शौचालय में सो कर न जाएं. ओ! ये सुविधा पैसों वालों के लिए है और हम तो ग़रीब देश के नागरिक हैं. सॉरी भारतीय रेलवे, कैरी ऑन! 

Trip Savvy

फिर जब आपके पास पैसा है तो आप सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर ट्रेन किराये पर ले सकते हैं. अब आप उस ट्रेन में फ़िल्म प्रमोट करें या बच्चे का मुंडन कराएं, सब सांस्कृतिक कार्यक्रम है. लोग यहां सीट कंफ़र्म होने की टेंशन में दो महीने पहले टिकट करा लेते हैं और जिनके पास पैसे होते हैं वो सप्ताह के भीतर ट्रेन कंफ़र्म कर लेंगे. 

अच्छी बात है! पैसे कमाने के लिए रेलवे अलग-अलग रास्ते निकाल रही है. लेकिन यहां बात पैसों के अलावा नीयत की भी है. जिस ट्रेन में फ़िल्मी सितारे बैठे थे, क्या उनके शौचालय उतने ही साफ़ होंगे जितने आम ट्रेनों के होते हैं? क्या उनकी ट्रेन लेट हुई? क्या उन्हें वैसे ही चादर दिए गए जैसे हमे मिलते हैं. आप भी सोच कर देखिए, क्या सवाल सिर्फ़ पैसों का है!