गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष. गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटे न दोष.

कहते हैं एक गुरु के बिना इंसान का जीवन अधूरा है. हमें जीवन के हर मोड़ पर गुरु की ज़रूरत पड़ती है. हांलाकि, स्कूल के दिनों में शैतान बच्चों को अध्यापक किसी विलेन से कम नहीं लगते थे. बदमाशियों के चलते जब टीचर्स इनके कान खींचते, तो भला ये भी कहां पीछे रहने वाले थे. टीचर्स को मज़ा चखाने के लिए कर बैठे उनके साथ ये छोटे-मोटे Prank.

इन शरारती बच्चों के Prank के उन्हीं की ज़ुबानी:

1. हमारी क्लास में मैथ्स के टीचर से सब खौफ़ खाते थे. आधा डर तो इस बात का था कि कहीं फ़ेल न कर दें. ख़ैर, एक दिन क्लास में किसी ने पता नहीं कब पंखे के ऊपर ईंटें रख दीं और सर के आने से पहले चुपचाप बैठ गए. क्लास में आने पर सर ने देखा कि पंखा नहीं चल रहा है. जिन लड़कों ने ये काम किया था उनको लगा कि सर पंखा चलाएंगे और डर जाएंगे. इसे बचपना ही कहेंगे कि उन्होंने ये नहीं सोचा था कि ईंट उन पर गिरी तो क्या होगा.

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सर ने उनके प्लान पर पानी फेरते हुए कहा, पंखा काफ़ी गंदा है, इसे साफ़ करवा देते हैं, आज बाहर बैठ कर पढ़ेंगे. बेचारे किसी हाउसकीपिंग वाले ने जब पंखा साफ़ किया, तो उसके सिर पर ईंट गिरते-गिरते बची. Prank का पता नहीं पर पूरी क्लास को ग्राउंड के 4 चक्कर लगाने पड़े. आकांक्षा थपलियाल

2. हमारे मैथ्स के टीचर पूरी क्लास में घूम-घूम कर पढ़ाते थे. एक दिन जब वो मेरे दोस्त की डेस्क को क्रास कर रहे थे, उसने उनकी शर्ट पर पीछे इंक पेन से इंक छिड़क दी. दूसरे दिन उसकी फ़ट रही थी कि सर को पता चल जाएगा. मगर जब वो क्लास में रोज़ की तरह पढ़ाने लगे, तो उसने दोबारा से उनकी शर्ट पर इंक फेंक दी. ऐसा करीब हफ़्ते भर तक चलता रहा, हर दिन जब वो क्लास में आते और मेरे दोस्त की डेस्क क्रास करते, तो वो उनकी शर्ट पर इंक छिड़क देता. हांलाकि, मैंने उससे कहा भी कि साले पकड़ा जाएगा, मत कर, ये ज़्यादा हो रहा है.

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वहीं एक दिन मैं स्कूल के Corridor में था कि अचानक मुझे मैथ्स टीचर ने बुलाया और बोले कि इशान पिछले कई दिनों से मेरी शर्ट पर कोई इंक फेंक रहा है. मुझे लगा वो तुम हो. ये सुनते ही मेरी हालत पतली हो गई, मैंने कहा सर मैं नहीं हूं. इसके बाद उन्होंने कहा अगर तुम नहीं हो, तो कौन है. मैंने कहा मुझे नहीं पता. इसके बाद उन्होंने मुझे डबल अजेंट बनने के लिए कहा, साथ ही प्रिसिंपल से शिकायत न करने का वादा भी किया. पर मैं दोस्तों का दोस्त था, मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया, लेकिन हां उस दिन के बाद से मेरे दोस्ते ने उनकी शर्ट पर इंक फेंकना बंद कर दिया. इशान रतनम

3. मेरे इंग्लिश टीचर काफ़ी ख़डूस थे और बात-बात पर हम लोगों की पिटाई कर देता थे. एक दिन जब वो बाथरुम में थे, तो मैंने अंदर बम फोड़ दिया और डर की वजह से वो आधी खुली हुई पैंट में ही बाहर आ गए. ये देख कर सभी बच्चे ख़ूब हंसे, लेकिन इसके बाद प्रिसिंपल से डांट भी ख़ूब पड़ी. शुभम आशीष

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4. एक दिन साइंस वाले सर को घर जल्दी जाना था. ये ख़बर क्लास के बच्चों तक पहुंची, तो हम सबने प्लान किया कि आज इन्हें जल्दी नहीं जाने देंगे और हमने स्कूल पार्किंग में जा कर उनकी स्कूटर की हवा निकाल दी. सुधांशु तिवारी

5. बात उन दिनों की है जब मैं 11वीं क्लास में था, तब हमारे एक टीचर हुआ करते थे अकाउंट्स के. बड़े ही गोलू-मोलू. उनका हमेशा मन करता था कि आज बच्चे ख़ुद ही बोल दें कि आज पढ़ने का मन नहीं कर रहा, तो इस चीज़ की वजह से काफ़ी बच्चे उनसे फ़्रैंक हो गए थे. ऐसा लगता था कि ये अपन लौंडों की तरह ही हैं. 

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एक बार दिवाली के टाइम पर हम स्कूल में बम फोड़ रहे थे. स्कूल के वॉशरुम से लेकर, कूड़े के डस्टबिन हर जगह हमने बम लगाए थे. आधी छुट्टी के बाद हमारा पांचवा पीरियड हुआ करता था, अकाउंट्स का, तो जैसे ही सर क्लास में एंट्री ले रहे थे, उनकी कुर्सी के जस्ट नीचे हमने नाज़ी बम लगा दिया, जैसे ही सर कुर्सी पर बैठे वो बम फट गया और सर कुर्सी पर उछल पड़े, उस दिन पहली बार उनका गुस्सा देखा था हमने. रवि

6. हमें संस्कृत पढ़ना अच्छा नहीं लगता था और संस्कृत वाले सर हर रोज़ श्लोक सुनाने के लिए कहते थे. बस इसी चीज़ से तंग आ कर एक दिन हमने उनकी चेयर पर च्युइंगम चिपका दिया, इसके बाद जैसे ही वो कुर्सी पर बैठे च्युइंगम उनकी पैंट पर चिपक गया. ये देख उनको ख़ूब गुस्सा आया और हमें मज़ा. हर्ष बवारी

7. मैथ्स वाले सर की चेयर आधी फ़ोल्ड कर के रख दी थी, जैसे ही वो चेयर पर बैठे धड़ाम से नीचे गिर गए. इसके बाद हमारी डांट ज़रूरी पड़ी, लेकिन सर दो दिन की छुट्टी पर थे. रोहित पवार

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8. एक दिन बायो की मैम ने मुझे होमवर्क न करने पर क्लास के बाहर हाथ ऊपर करके खड़ा रहने की सज़ा दी, मैंने कुछ देर के लिए हाथ नीचे किये उन्होंने ये देख लिया. इसके बाद उन्होंने मुझे बोला अब हाथों में बैग लेकर खड़े रहो. मैंने वो भी किया, पर जैसे ही वो मेरी तरफ़ बढ़ने लगी मैंने बैग उनके मुंह पर फेंक दिया और क्लास से भाग गया. इस हादसे के बाद मुझे स्कूल और घर पर काफ़ी डांट पड़ी, लेकिन हां उस टीचर ने मुझे सज़ा देना छोड़ दिया. अनूप

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अगर आपने भी अपने टीचर्स के साथ कुछ इस तरह के Prank किये हैं, तो कमेंट में बता दीजिए और हां Sorry भी कह सकते हैं.

इसी के साथ Happy Teacher’s Day.