देश का नक्शा तो देखा होगा आपने? ऊपर कोने में एक राज्य है त्रिपुरा, सेवन सिस्टर्स में से एक. त्रिपुरा के एक मुख्यमंत्री प्रकट हुए हैं- श्री बिप्लब देब. ‘प्रकट’ इसलिए, क्योंकि इनके पास दिव्य ज्ञान है. ऐसा ज्ञान, जो किसी के भी ज्ञान चक्षु खोल दे. इनकी पकड़ सिर्फ़ एक विषय पर नहीं है. समाज से जुड़ा कोई भी मुद्दा हो, उसका समाधान वो एक भाषण में कर देते हैं. माननीय की बातें सुनने वाले को अंदर तक झकझोर देती हैं.

महाभारत काल से इस कथा की शुरुआत होती है. महाकाव्य महाभारत के बारे में श्री बिप्लब देब ने जो बात अपने श्रीमुख से कही, उससे इंटरनेट कांप उठा. Trolls इधर-उधर भागने लगे. जो मीम पेज कॉन्टेंट की कमी के कारण मरणावस्था में थे, उनमें जान आ गई. ट्विटर पर भगदड़ मच गई.

चाहे हमारे इर्द-गिर्द हज़ारों की संख्या में इंजीनियर्स तैयार खड़े हैं, लेकिन ये सच है कि उनको अभी तक ये Clarity नहीं कि आख़िर उनको ज़िंदगी में करना क्या है. कंप्युटर इंजीनियर बैंक का फ़ॉर्म भर देते हैं, मेकैनिकल इंजीनियर एमबीए की तैयारी में लगे हैं. श्री बिप्लब ने कृष्ण के माफ़िक Job के युद्ध में फंसे इंजीनियर्स को पथप्रदर्षित किया. उन्होंने कहा, सिविल इंजीनियर्स को सिविल लाइन में ही जाना चाहिए. श्री बिप्लब देब के इस कथन के कई अर्थ फूट पड़े. मैकेनिकल इंजीनियर्स समझ गए कि उन्हें मैकेनिक बनना चाहिए, कैमिक्ल इंजीनियर्स कैमिस्ट बनने की राह पर चल पड़े… फिर धीरे-धीरे ये समस्या पृथ्वी से विलुप्त हो गई.

देश में बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या है. सिर्फ़ देश ही क्यों, बेरोज़गारी विश्व की तमाम सरकारों के लिए गले की हड्डी बन गई है. श्री बिप्लब देब ने इस समस्या का इलाज चुटकी बजाते ही ढूंढ निकाला. उन्होंने बताया कि आप वर्तमान की वजह से बेरोज़गार नहीं हैं, आप अपने अतीत की वजह से बेरोजगार हैं. अगर दस साल पहले आपने एक सही फै़सला लिया होता, तो आज आप बेरोज़गार नहीं होते. अतीत में लिए गए फै़सले ही भविष्य का निर्माण करते हैं. अब भी देर नहीं हुई है, श्री बिप्लब देब की द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण कीजिए. कृपा वहीं रुकी है.

श्री बिप्ल्ब देब की इस बात को सुन कर देश-दुनिया के महान अर्थशास्त्रियों ने अपनी पोथियां जला डाली. उन ढोंगियों के सिद्धांत आज तक दुनिया को गुमराह कर रहे थे. चाणक्य के बाद श्री बिप्लब देब ही हुए, जिन्हें ये विद्या प्राप्त है.

ये कहा गया है कि सुंदरता देखने वालों के आखों में होती है. बस इस वजह से दुनिया में कितने फ़साद खड़े हो गए हैं. एक इंसान किसी के लिए ख़ूबसूरत है, किसी के लिए नहीं है. ऐसे में कौन ख़ूबसूरत है और कौन नहीं, इस पर बहस समाप्त ही नहीं होगी और हम कभी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाएंगे. इस समस्या को श्री बिप्लब देब ने एक झटके में समाप्त कर दिया. उन्हें पता था कि मुख्य समस्या है ख़ूबसूरती का प्रभाषित न होना. एक उदाहरण से श्री बिप्ल्ब ने ख़ूबसूरती की नई परिभाषा रखी. सौंदर्य जगत उनके इस उपकार के लिए सदा ऋणी रहेगा.

अभी तो इनके कार्यकाल की शुरुआत है, पांच साल होते-होते भारत की सभी समस्याओं का निवारण इनके पास होगा.