मनुष्य एक ऐसी प्रजाति है जिसका बिना मनोरंजन के जीवन व्यतीत करना असंभव है. मानव प्रजाति के लिए जितना ज़रूरी जल, वायु और खाद्य वस्तु है उतना ही ज़रूरी है मनोरंजन. फिर चाहे वो इसके लिए पब्जी के द्वार पर जाए या किसी वेब सीरिज़ के दर्शन करे.
राइटर बैठे-बैठे ऊब रही थी सो इस अजर-अमर, ‘विशेषणों के भंडार’ वेब सीरिज़ को अलग आयाम पर पहुंचाने के लिए कुछ चुनींदा संवादों को शुद्ध हिन्दी में लिखने की चेष्टा की-
1. अभी तेरा-मेरा हो गया, अभी देखने का नहीं मेरेको, वरना बिना पानी के विसर्जन कर देगा

2. अपुन बंबई के लिए खड़े लं* के माफिक तड़प रेला था और बंबई अपुन को भूल रेली थी

3. वो बोला हम सब अपनी गां* पे अपना अपना ब्रह्मांड लेकर चलते हैं

4. मछली से घड़ियाल, घड़ियाल से शेर और शेर से बंदर तो हम बन गए, लेकिन बंदर से इंसान हम तब बने जब हमें धर्म मिला

5. दुश्मनी रखनी हो तो रखो, लेकिन दुश्मन की इज़्ज़त तो करो

6. दिमाग़ में बदला लेने की इतनी गर्मी थी कि अपुन ठंडे पानी में भी तैरने लगा

7. मा*@चो! अश्वत्थामा है मैं मज़दूर नहीं, अश्वत्थामा है मैं

8. आजकल चो!@ को हेल्प करना कहते हैं

9. कितने सालों बाद नमक चखा, मुंह में दिवाली हो रेला था साला

10. वो बोला इंसान अपनी लालच और हवस के चलते अपनी ही गां* मारा और सतयुग से कलयुग में आ गया

11. मकर संक्रांति के दिन पैदा हुई थी, सबका काटती है

12. अपुन किधर था मालुम नहीं, अपुन को बस गा# मारनी थी

13. अपुन इधर कैरम खेल रहा है और भाई चांद पर पहुंच गए

इस लेख को पढ़कर आपके हृदय, मस्तिष्क, मानस पटल पर क्या प्रभाव पड़ा ये कमेंट डब्बे में अनिवार्य रूप से बताएं.
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