जिस खु़शी को मैं ढूंढ रही थी हर तरफ़, वो तो मेरे पास ही थी…

खु़शियों की दरकार किसे नहीं होती? हम अपनी पूरी ज़िंदगी निकाल देते हैं सिर्फ़ खु़शियां पाने के लिए… लेकिन ख़ुशी तलाशने के लिए हमें बहुत पैसों या बड़े घरों की ज़रूरत नहीं है, ये तो हमें रोज़मर्रा की छोटी-छोटी बातों में मिल जाती है. जी हां, आपको सुनकर भले ही थोड़ा अजीब लगे, पर ये सच है. तो आज हम आपको बताते हैं, ऐसी कुछ बातें जो जाने-अनजाने आपके चेहरे पर मुस्कान ला ही देती है.
फ़्री WiFi मिलना

आपने वो तो सुना ही होगा कि जहां मुझे फ़्री WiFi मिल जाता है, मैं बस वहीं रुक जाता हूं. हमारा हाल भी कुछ ऐसा ही है. मॉल हो या कोई रेस्टॉरेंट, फ़्री WiFi के लिए हम हमेशा तैयार हैं.
एक ही बार में पेन ड्राइव लग जाना

ऐसा बहुत कम ही होता है जब पहली ही कोशिश में पेन ड्राइव सही से लैपटॉप में कनेक्ट हो जाए. लेकिन जब ऐसा होता है, तो उसकी खु़शी कुछ अलग ही होती है.
ज़रूरत पड़ने पर मोबाइल चार्ज होना

अब दिन भर मोबाइल पर लगे रहेंगे, तो बैट्री तो लो होनी ही है, लेकिन कभी ज़रूरत पड़े और मोबाइल में बैट्री हो तो लगता है जैसे दुनिया-जहान की सारी खु़शी मिल गई है.
एक ही बार में IRCTC पर टिकट बुक कर लेना

हमारी आदत ही है कि हम सब कुछ Last टाइम पर करते हैं. ऐसे में जब टिकट बुक करानी हो और IRCTC की साइट बार-बार क्रैश होने लगे, तो बेहद गुस्सा आता है. वहीं जब एक ही ट्राय में IRCTC पर टिकट बुक हो जाए, तो दिल खु़शी से झूम उठता है.
फ़्री लिफ्ट मिलना

अब हर रोज़ मेट्रो के धक्के खाना किसे पसंद हैं, लेकिन क्या करें मजबूरी है. पर जब कभी कोई कलीग घर तक की लिफ़्ट ऑफ़र कर दे, तो मन करता है कि उसे अपना बेस्ट फ्रेंड बना लूं.
बेस्ट फ्रेंड के साथ गॉसिप और गर्मागर्म चाय

डेली की बिज़ी लाइफ में हम अपने बेस्ट फ्रेंड से नहीं मिल पाते हैं, लेकिन जब उनसे मिलकर गर्मागर्म चाय के साथ घंटों बाते करते हैं तो वक्त का पता ही नहीं चलता है. इस खुशी से बढ़कर कुछ नहीं.
फ़ोटो डालते ही उस पर धड़ाधड़ Likes और Comments आने लगें

अब रियल लाइफ़ से ज़्यादा तो हम सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. और उस वक्त खु़शी का ठिकाना नहीं रहता, जब कोई फ़ोटो डालते ही उस पर Likes और Comments की बरसात होने लगे. सेलेब्रिटी जैसी फ़ीलिंग आती है.
दोस्तों को प्यार से गाली देकर बुलाना

दोस्ती के रिश्ते खुन से जुड़े नहीं होते हैं, इन्हें हम खु़द बनाते हैं. ये दोस्त हमारी जान होते हैं और इन्हें गाली देकर बुलाना हमारा हक है.
अपने तिरंगे को विदेश में लहराते हुए देखना

हमारी देशभक्ति भले ही सिर्फ़ 15 अगस्त और 26 जनवरी पर जागती हो, लेकिन हमारा तिरंगा हमारे दिलों में बसता है. और यही तिरंगा जब विदेश में लहराते हुए दिख जाए, तो कसम से सिर फ़क्र से ऊंचा हो जाता है.
मेट्रो या बस में जगह मिल जाना

मेट्रो हो या बस, हर रोज़ ऑफ़िस या कॉलेज खड़े होकर जाना पड़ता है. लेकिन जिस दिन बैठने की जगह मिल जाए, दिल बाग-बाग हो जाता है.
पुरानी जींस की पॉकेट में पैसे मिल जाना

भले ही आपके पास बहुत पैसा हो, लेकिन पुरानी जींस की पॉकेट में से निकले उस 100 रुपए की खु़शी ही अलग है.
हाय! कहीं खु़शी से मैं मर ना जाऊं….
