आज के दौर में हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन सिर्फ़ एक ही जगह मिलता है और वो जगह है गूगल. यहां करियर से लेकर हर बीमारी का सॉल्यूशन है. ऐसा मैं सबसे सुनती रहती हूं.
एक फ़्रेंड का कॉल आया, जो बहुत रो रही थी. हमने पूछा क्या हुआ? क्यों रो रही है? तब उसने बताया मेरे न पेट में बहुत दर्द हो रहा है. अगर वो अपनी मम्मी के पास होती तो वो घरेलू दवाइयों से उसे ठीक कर देतीं.
हम ठहरे 21वीं शताब्दी के लोग, कैसे मम्मी की बात को मान लें? मैंने उसको रुकने को बोला और तुरंत अपना लैपटॉप ऑन किया और उसके पेट दर्द का इलाज गूगल पर ढूंढने लग गई.
पहले तो वही घरेलू नुस्खे आए. जैसे,
जहां बात डॉक्टर की आई, तो मैं थोड़ा और सर्च करने लग गई, साथ ही थोड़ी डॉक्टर भी बन गई, जैसे-जैसे गूगल में आ रहा था, मैं उससे पूछने लग गई, तो दुर्भाग्यवश उसके द्वारा बताए गए लक्षण के अनुसार गूगल ने उस पेट दर्द को एक भयानक बीमारी में बदल दिया. इसे देख कर मेरी तो हवाइयां उड़ गईं, जैसे-तैसे उसे चूरन और पेन किलर खाने को बोल दिया और वो खाकर सो गई.
मगर गूगल ने मेरी नींद की लंका लगा दी, जानना चाहेंगे क्यों? क्योंकि जो बीमारी सर्च हुई थी, वो कोई मामूली बीमारी नहीं, बल्कि कैंसर था. उसको बताए बिना जब सुबह हम डॉक्टर के पास गए. मुझे तो गूगल ने बता दिया था, मैं तो बहुत हमदर्दी दिखा रही थी. तभी वो बोली पेट दर्द है बहन, इतना क्यों ड्रामा फ़ैला रही है?
मैं जैसे ही कुछ बोलती तभी डॉक्टर आ गईं, उन्होंने चेक-अप करने के बाद बताया कि मामूली सी एसिडिटी थी, ये दवाइयां ले लीजिए ठीक हो जाएंगी. फिर हम वापस आ गए.
डॉक्टर भी कैंसर तब तक नहीं बताते जब तक पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हो जाते और ये गूगल कुछ मिनटों में ही बता देता है कि आपको कैंसर हो सकता है. बस, तभी मैंने डिसाइड किया गूगल पर सबकुछ सर्च करूंगी, लेकिन कभी किसी बीमारी के लिए सर्च नहीं करूंगी.
वही आप लोगों से भी कहूंगी गूगल पर सर्च करिए, किसी चीज़ की जानकारी लेना ग़लत नहीं है. मगर वो कहां तक आपके लिए सही है, ये तय आपको करना है.