फेसबुक धरती की सबसे लोकप्रिय बकर जगह बन चुकी है. दुनिया भर के लगभग दो अरब लोग हर रोज़ इस सोशल साइट पर लॉग इन करते हैं और अपनी भावनाओं को अलग अलग माध्यमों से व्यक्त करने की कोशिश करते हैं. हालांकि आभासी दुनिया और वास्तविकता की दूरी को बेहद कम करने वाले फेसबुक पर कई बार लोग ऐसे पोस्ट्स भी डालते हैं कि उन्हें देखकर बजाए खीझने के आप कुछ नहीं कर पाते.  

टैग वाले पोस्ट्स

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फेसबुक पर ऐसे लोग सबसे ज्यादा ख़तरनाक होते हैं. अपनी हर गतिविधि, हर पोस्ट्स में सैंकड़ों लोगों को टैग करने वाले ये लोग आपकी मन की शांति के लिए नुकसानदायक हैं क्योंकि एक बार टैग होने के बाद बेवजह नोटिफिकेशंस का जो खेल शुरु होता है, वो फिर आपका भेजा फ्राई करके ही दम लेता है. कई बार तो पोस्ट्स से अनटैग कर देने के बावजूद, आपको दोबारा टैग कर दिया जाता है ताकि कहीं आप बेहद जरूरी नोटिफिकेशंस से महरूम न रह जाएं.  

शातिर पोस्ट्स

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फेसबुक पर कुछ ऐसे लोग भी आपको मिलेंगे जिनकी पोस्ट्स का मकसद केवल ध्यान आकर्षित करना होता है. ये लोग बड़े शातिराना किस्म के होते हैं और आमतौर पर एक लाइन के पोस्ट डालकर ये लोग अपनी भावनाएं तो बयां कर देते है मगर जानकारी एकदम कम उपलब्ध कराते है जिससे सामने वाले इंसान इन पोस्ट्स को लेकर उत्सुक होने के बजाए Irritate हो जाता है. मसलन, “ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ” या “आज का दिन शानदार रहा” जैसे कई Tease करने वाले पोस्ट्स देखने के बाद कुछ लोग कमेंट बॉक्स में “क्या, क्यों,  कैसे” सवालों के साथ कूद पड़ते हैं लेकिन जब फेसबुक ने खुल कर अपनी बात रखने का प्लेटफॉर्म उपलब्ध आपको कराया है तो क्यों अपने Cheap Thrills के लिए दूसरों का वक्त ज़ाया करते हैं सर? 

भूकंप वाले पोस्ट्स

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अभी पिछले कुछ सालों में जब भी भूकंप के झटके दिल्ली में महसूस किए गए, तो लोगों में एक खास तरह की प्रवृति देखने को मिली है. ये प्रवृत्ति है, सबसे पहले फेसबुक पर लोगों को सूचना पहुंचाने की. जान पर खेल कर ही सही, लेकिन भूकंप आने पर लोग फेसबुक पर अपडेट करने को पिल पड़ते हैं. 

चूंकि जीवन में भूकंप बार-बार नहीं आते, इसलिए लोग अलग-अलग किस्म के स्टेट्स डालकर इसे यादगार बनाने की पूरी कोशिश करते हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ की इस अंधी दौड़ में लोग कई बार भूकंप से पहले ही पोस्ट्स भी करने में सफलता हासिल कर चुके हैं.  

ये पोस्ट इसलिए भी Irritating होते हैं क्योंकि देश भर के न्यूज़ चैनल वैसे भी ऐसी किसी भी आपदा का भूगोल निकाल कर आपकी फ़ेसबुक टाइमलाइन को भर ही देते हैं. फिर अपने “Wow, भूकंप आया, झटका लगा, मज़ा आया” जैसे पोस्ट्स का मतलब क्या है जेनाब?

वेल्ले पोस्ट्स

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फेसबुक पर एक तबका ऐसे लोगों का है जो आपको अपने जीवन की पल-पल की जानकारियां उपलब्ध कराता है. इन लोगों के पोस्ट्स में आपको शहर के हर कूचे, हर नुक्कड़ पर एक न एक दिन चेकइन जरूर मिलेगा. फेसबुक पर बिना चेक इन किए भी ट्रेन या प्लेन में यात्रा करना ये अपनी शान के खिलाफ मानते हैं. सोशल मीडिया पर लाइक्स बटोरने की चाह में कई लोग तो फाइव स्टार रेस्टोरेंट में चेक इन कर जाते है, फिर वे भले ही नंदू ढाबे के सामने बैठ कर दाल फ्राई का मज़ा क्यों न ले रहे हों.

ज्ञानी पोस्ट्स

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फेसबुक पर कई ऐसे ज्ञानी भी पाए जाते हैं, जो दूसरों के स्टेट्स चुराकर उन्हें अपना बना लेते हैं और लोगों के सामने ऐसे शेखी बघारते हैं जैसे उनसे बड़ा तीस मार खां तो कोई पैदा ही नहीं हुआ. हालांकि लोगों को अपने विचारों से अवगत कराने में फेसबुक एक शानदार प्लेटफॉर्म है लेकिन इन ज्ञानी बंधुओं को समझना चाहिए कि महज दूसरों के पोस्ट चुरा लेने या किसी दूसरे का पोस्ट शेयर कर देने से कोई निर्वाण प्राप्त नहीं कर लेता और जब तक आप अपने ओरिजिनल कंटेंट के साथ पेश नहीं आते तब तक तो कम से कम ऐसे लोगों को अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने से बाज़ आना चाहिए.

पॉलिटिकल पोस्ट्स

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सोशल मीडिया और राजनीति ने साथ में एक लंबा सफर तय किया है. अन्ना आंदोलन हो या लोकसभा में बीजेपी की जीत, हाल ही में हुए कई चुनावों में सोशल मीडिया की प्रासंगिकता का सहज ही अंदाजा हो जाता है और शायद यही कारण है कि पिछले कुछ अंतराल में फेसबुक पर कई ऐसे लोगों कुकुरमुत्ते की तरह उगने शुरु हो गए हैं जो आज से पहले तक राजनीति का ककहरा तक नहीं जानते थे. 

अपनी पसंदीदा पार्टी का समर्थन और प्रचार यूं तो हर इंसान करता ही है लेकिन फेसबुक पर कुछ महाशय तो पार्टी के हर अनाप-शनाप काम को पूरी मुस्तैदी के साथ समर्थन करते हुए ऐसे स्टेटस डालते हैं जिसे देख कर ही मूड खराब हो जाता है.

आत्मग्रस्त पोस्ट्स

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माना फेसबुक एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है लेकिन आप ब्रेकफ़ास्ट में क्या खा रहे हैं, जिम में कौन सी एक्सरसाइज कर रहे हैं, कब वॉशरूम से आ रहे हैं या टीवी पर कौन सी फ़िल्म देख रहे हैं, इन बातों से ज़्यादातर लोगों को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है. हो सकता है कि इन बेहतरीन पोस्ट्स के पीछे आपका अकेलापन हो, या आपकी आत्मलिप्तता हो या फिर सिर्फ ये विचारों की कमी हो लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि आपकी निहायती पर्सनल चीज़ों के पोस्ट पर सिवाए इक्का-दुक्का लोगों के किसी को दिलचस्पी नहीं होती और शायद फेसबुक पर पोस्ट करने की जगह आप यहीं अपडेट व्हाट्सऐप पर अपने करीबी दोस्तों को दे दें तो वह थोड़ा बेहतर प्रतीत होता है.

शराबी पोस्ट्स

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कुछ लोगों को फेसबुक की आभासी दुनिया से कोई फर्क नहीं पड़ता और ये केवल कभी-कभार ही सोशल मीडिया पर एक्टिव पाए जाते हैं लेकिन अक्सर रात में जाम के आगोश में आकर ये लोग एक ही रात में दिल का सारा गुबार निकाल देते हैं. दिल टूटा हो तो आपको एक से बढ़कर एक गाने सिलेसिलेवार तरीके से इनकी टाइमलाइन पर मिल जाएंगे, देश के राजनीतिक हालातों से परेशान हैं तो सरकार को कोसते स्टेट्स आपको मिल जाएंगे.  

कहने का मतलब है कि इन लोगों की टाइमलाइन या तो हफ्तों तक सूनी पड़ी रहती है या एक ही रात में गुलज़ार हो जाती है लेकिन ईद के चांद की तरह ही इन लोगों का ये तेवर आपको कभी कभार ही दिखता है और हो सकता है कि अगली सुबह तक आपको ये सभी स्टेट्स भी डिलीट मिलें. 

जाहिर है, ऐसे बहुत से लोग होंगे जिन्हें फेसबुक पर ऊपर दिए गए पोस्ट्स से किसी तरह की परेशानी नहीं होती होगी लेकिन शायद आपके मन में ये सवाल जरूर कौंध रहा होगा कि “अब पोस्ट करने को बचा क्या?” इसका जवाब तो देना मुश्किल है लेकिन कई रिसर्च के द्वारा ये सामने जरूर आया है कि फेसबुक पर समय बिताने से आपका मूड ज्यादा खराब ही होता है.

एक स्टडी के अनुसार तो फेसबुक का अकाउंट डिलीट करने के बाद आप कहीं ज्यादा खुशहाल जीवन बिता सकते हैं. हालांकि हम आपको अकाउंट डिलीट करने के लिए नहीं कह रहे लेकिन अगर पोस्ट्स में थोड़ा बैलेंस बना कर चले तो शायद फेसबुक एक बेहतर आभासी दुनिया साबित हो और अगर आप भी इस दुनिया में मग्न होकर वास्तविकता को भुलाने की भूल करने वाले है तो मोदी जी केवल एक प्रयास से आपको वापस रियेल्टी में ला सकते हैं.