साल 2020 जब आया था, तब एकदम नए-नवेले दुल्हे की तरह दिखाई दिया था. मस्त सफ़ेद घोड़ी पे सवार. लेकिन ससुरा पता ही नहीं चला कब कोरोना घोड़ी पर सहबाला बन चढ़ बैठा और पूरे साल का बैंड बज गया. ख़ैर, ये तो भला हो हमारे क्रांतिकारी पत्रकारों का जो पूरे साल घोड़ी के आगे नागिन डांस करते रहे, नहीं तो 2020 के साथ अपनी शादी झेली न जाती.
अमा हां, मतलब इस साल घर पर बैठे एक दिन ऐसा नहीं गया, जब बोरियत लगी हो. इधर मन उदास हुआ और उधर तड़ से ‘गणतंत्र’ देख लिए, मस्त सर्कस का मज़ा. शंका हुई तो प्राइम टाइम देख लिए, यहां एंकर खुले में चौड़िया कर दीर्घशंका करते हैं.
लेकिन बताइए इसके बाद भी लोग इन्हें गरियाते हैं. बोलते हैं कि ये पत्रकार जानबूझ कर ‘आम’ जनता को पका रहे हैं ताकि फिर साहब उन्हें चूसकर खा लें. तौबा..तौबा.. ज़रा भी शर्म नहीं ऐसे लोगों को. अब इसमें बेचारे हमारे मासूम पत्रकार क्या करें. इन लोगों को कौन समझाए कि जब मुंह में भरा हो गोबर, तो आदमी गुलाब थोड़े ही थूकेगा.
ख़ैर, यही ख़ातिर हम लोकतंत्र के चौथे कंधे, सॉरी…सॉरी…सॉरी… मतलब चौथे स्तंभ के कुछ मशहूर कारनामें पेश करने जा रिये हैं, जिन्होंने 2020 के बोरिंग साल को मज़ेदार और यादगार बना दिया.
1. निसर्ग तूफ़ान में हिलोरे खाता ‘मासूम पत्रकार’
‘जान पर खेलने’ और ‘जान के खेलने’ में बड़ा अंतर है. मुंबई में इस साल आए निसर्ग तूफ़ान के दौरान क्रांतिकारी पत्रकारिता ने इसे एक बार फिर साबित कर दिया. दरअसल, एक रिपोर्टर को इस तूफ़ान ने साजिशन अपनी चपेट में ले लिया.
Peeche ek banda normally kaam kar raha hai, lekin brave reporter ekdum kati patang bana hua hai. 🤷♂️ #mumbaicyclone pic.twitter.com/JSOYNJNXXf
— Rofl Gandhi 2.0🏹 (@RoflGandhi_) June 3, 2020
बाकी दुनिया तो तूफ़ान में मजे से टहलती रही, बस बेचारा हमारा चहेता रिपोर्टर ही झूम बराबर झूम हो गया. हालांकि, संवाददाता से ज़्यादा तारीफ़ का हक़दार जांबाज़ कैमरामैन निकला. काहे कि ऐसे ख़तरनाकर हालात में भी मजाल थी कि कैमरा तनिक भी हिल जाता.
2. रिपोर्टर के मुंह से निकला ‘F ** k Ma ** rch * d’
कथित तौर पर रिपब्लिक टीवी के एक रिपोर्टर ने ग़ुस्से में नेशनल टीवी पर ‘F ** k Ma ** rch * d’ कह डाला. ये घटना सदी के सबसे बड़े मामले की कवरेज के दौरान हुई. रिपोर्टर साहब रिया चक्रवर्ती के घर पर छापेमारी करने वाले अधिकारियों की गाड़ी का पीछा कर रहे थे.
Guys @republic are good at captioning.
— Rahul Mukherji (@RahulMukherji5) September 4, 2020
RISE at very end. Apt! pic.twitter.com/t6Vthey9iQ
तब ही उन्हें इतनी ग़ुस्सा आई कि नेशनल टेलीविज़न पर ‘F ** k Ma ** rch * d’ कह बैठे. ख़ैर, ससुरी ज़बान ही तो है, फ़िसल जाती है. जान दो.
3. ड्रग दो…ड्रग दो…मुझे ड्रग्स दो
अर्नब अपना शेर आदमी है. हमारी तरह नहीं कि सिगरेट भी पीनी है तो गली में छिपकर. भाई अपना ड्रग्स और गांजा चरस भी लाइव टीवी डिबेट में मांगता है, वो भी छाती ठोककर. डिबेट-विबेट गई भाड़ में, तलब लगी तो भाई फ़ौरन चीख पड़ता है, ‘ड्रग दो…ड्रग दो…ड्रग दो…ड्रग दो… मुझे ड्रग्स दो…मुझे ड्रग्स दो…ड्रग्स दो. मेरे लिए गांजा लाओ, चरस लाओ.’
तन की बात with गोबरस्वामी #ड्रगदो pic.twitter.com/1u8MG7nMu3
— Sushant Mehta (@SushantNMehta) August 30, 2020
मतलब एक बार को मेरा दिल भी इतना पसीज गया कि अपन ने ड्रग डिलिवर करने का भी सोच लिया था. ख़ैर फिर यूपी पुलिस का गाड़ी पलटाना याद आ गया.
4. दीपिका क्या आप ड्रग लेती हैं?
इधर अर्नब बाबू ड्रग्स मांगते हैं तो उधर उनकी रिपोर्टर चलती गाड़ी में दीपिका से ड्रग लेने के बारे में सवाल करती है. लाइव रिपोर्टिंग के दौरान वो दीपिका की गाड़ी का पीछा करते हुए चिल्लाने लगती है कि दीपिक क्या आप ड्रग लेती हैं?
“मुझे ड्रग दो, मुझे ड्रग दो”
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) September 25, 2020
के बाद पेश है
“ब्लैक वाली गाड़ी, ब्लैक वाली गाड़ी” 😜 pic.twitter.com/4ce8QaAlDm
ख़लिहर लोग इस बात का मज़ाक बनाने लगे, लेकिन हमें लगता है कि हो न हो, रिपोर्टर साहबा शायद कंपनी देने के लिए उनसे ये सवाल कर रही थीं.
5. लाइव डिबेट में जीडी बख़्शी ने पैनलिस्ट को दी मां की गाली
भारत-चीन विवाद पर लाइव डिबेट चल रही थी. किलो के भाव में गुथमगुत्था करने के लिए आदरणीय गेस्ट बुलाए गए थे. इस बीच, आदरणीय रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी साहब एकाएक गुर्राने लगे.
Is Republic TV the first channel to officially have a panelist say M****C****? who else but @GeneralBakshi bringing great honour to the army.
— Dushyant (@atti_cus) July 4, 2020
pic.twitter.com/fRVSuD0T5y
‘अरे नीच आदमी, बदतमीज़, वाहियात, मैंने 36 साल फ़ौज में झक्क नहीं मारी थी… मादर***.’ बस जैसे ही ये सुनहरा शब्द जीडी बख्शी के मुंह से पुदका, तथाकथित पत्रकारिता के स्वर्णिम अध्याय में एक और चमचमाता क़िस्सा जुड़ गया.
6. कभी टैक्सी की छत तो कभी साइकिल की गद्दी पर सवार हुए रिपोर्टर साहब
सुशांत सिंह राजपूत की सुसाइड का केस जितना संवेदनशील था, उतनी ही असंवेदनशील पत्रकारिता देखने को मिली. रिपब्लिक टीवी के एक रिपोर्टर साहब ने तो इस दौरान चमचमाती रिपोर्टिंग का कीर्तिमान ही स्थापित कर दिया.
भाईसाहब, टैक्सी की छत पर चढ़ बैठे और ख़बर बताने लगे.
Rocking @pradip103 reporting from roof of taxi 🚕 #PradipBhandari #SSRAIIMSReport @Republic_Bharat @sucherita_k pic.twitter.com/jVBFa4QXpH
— #justiceforssr (@EnthuGot) September 30, 2020
इत्ते से दिल नहीं भरा तो अपना भाई साइकिल पर सवार हो गया. लोग भले ही तफ़री लें, लेकिन मुझे मालूम है कि भाई साइकिल पर पर्यावरण बचाने के संदेश दे रहा था.
Have you ever witnessed such level of reporting if not then tune in to @Republic_Bharat & @republic . Pradeep Bhandari is there at Ground Zero to dig out the truth.@pradip103 #DishaSalian #SushantSinghRajputcase pic.twitter.com/vMnTIbDQBE
— Pradeep Bhandari Fanclub🇮🇳 (@PradeepBfanclub) September 18, 2020
7. कबड्डी… कबड्डी… कबड्डी
एक अच्छे पत्रकार काम होता है कि पूरे में घूम-घूम कर ख़बर लाना. लेकिन कुछ रिपोर्टर इस बात को एकदम दिल पे लगा बैठते हैं. न यकीन आए तो ये वीडियो देख लो और सिर फ़ोड़ लो. मतलब एकदम ही सुसाइड…
बेचारा कैमरामैन. pic.twitter.com/1DavULc0L1
— Awanish Sharan (@AwanishSharan) October 2, 2020
8. फ़र्जी ही पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक करा दी
ये मामला एकदम ताज़ा है. अचानक मीडिया में ख़बर चलने लगी कि POK में भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक कर दी.
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा धारक सारे पत्रकार तड़ा-तड़ा ट्वीट पेलना शुरू कर दिए. अंजना ओम मोदी सॉरी कश्यप, दीपिक चौरसिया, रुबिका लियाकत समेत कई रक्षा विशेषज्ञ पत्रकारों ने साफ़ कर दिया कि अब तो बारूद से होगा स्वागत.
लेकिन महज़ 10-15 मिनट में ही इनके जज़्बातों के साथ खेल हो गया. काहे कि भारतीय सेना को ख़ुद ही कहना पड़ा कि भइया काहे फ़ालतू में बैठे-बैठे लड़वाए डाल रहे. आज तो सीमा पर एक ठोर गोली भी नहीं चली है.
तो भइया, ये थीं वो शानदार और जानदार पत्रकारिता जो हमारे लपेटे में आई. अगर कुछ छूट गई हो तो आप लोग कमेंट बॉक्स में अपनी पसंदीदा रिपोर्टिंग का ज़िक्र करें.