हम घर पर पार्टी की तैयारी करते हैं, तो गेस्ट लिस्ट बनती है. इनमें कुछ बस एक मैसेज भेजने से आ जाते हैं. कुछ को पार्टी वाले दिन तक मनाना पड़ता है. और कुछ ऐसे होते हैं, जो तभी आते हैं जब तक हम उनको कोई अवार्ड देने का वादा नहीं करते.
इसके पीछे उनका तर्क है कि, ‘Filmfare Awards’ में भी एक्टर्स तब तक नहीं जाते जब तक उन्हें अवार्ड नहीं मिलता. बिना किसी सन्दर्भ के मेरी ये बातें आपको थोड़ी अटपटी लग रही होंगी, लेकिन थोड़ी देर में यही बातें आपको बेहद चटपटी लगेंगी.
अब आते हैं मुद्दे पर:
मुद्दा है 2016 के Filmfare Awards , सॉरी ‘The 66th Britannia Filmfare Awards 2016′ का.
हॉलीवुड के ऑस्कर्स से मुक़ाबला करते हमारे ‘Filmfare Awards’ के बारे में कहा जा रहा है कि इस बार यहां कुछ गड़बड़ हुई. मैं पूछती हूं, भैय्या ग़लत क्या हुआ? तो, लोगों ने कहा कि बेस्ट फ़िल्म का अवार्ड बाजीराव मस्तानी को नहीं, बल्कि ‘मसान’ को मिलना चाहिए. ‘हीरो’ के लिए सूरज पंचोली को अवार्ड क्यों मिला, जबकि Best New Comer का अवार्ड ‘मसान’ के विक्की को मिलना चाहिए था. सोनम कपूर को ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री’ के लिए क्यों नॉमिनेट किया गया, जबकि ऋचा चड्ढा के सामने उनकी एक्टिंग कहीं नहीं है?
इतने सवालों का मेरे पास एक सीधा ही जवाब था. जब आप सल्लू भाई की फिल्मों को बॉक्स ऑफिस हिट क़रार देते हैं. जब आप शाहरुख़ ख़ान के रुतबे के आगे ‘तितली’ जैसी कहानी को छोटा कर देते हैं. जब आप ये भूल जाते हैं कि ‘मार्गरीटा विद अ स्ट्रॉ’ में कल्कि कोचलिन ने क्या दमदार अभिनय किया था. जब आपको ये नहीं पता चला कि ‘क़िस्सा’ नाम की फ़िल्म कब आई-गयी?
तो आप हमारे प्यारे ‘Filmfare Awards’ को ग़लत नहीं कह सकते.
वैसे नाइंसाफी से याद आया, साल 1997 में धरम पाजी को अपना पहला Filmfare, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला, तो उन्होंने कहा कि ‘मैं हर साल Filmfare के लिए एक नया सूट और मैचिंग टाई ख़रीदा करता था कि मुझे ट्रॉफी लेने के लिए बुलाया जाएगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. फिर मैंने इस बारे में सोचना ही छोड़ दिया. और सोचा कि अब मैं टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनूंगा या कच्छा पहन के ही चला जाया करूंगा’.
पहले अवार्ड् न मिलने को कलाकार इसलिए इतनी गंभीरता से लेते थे क्योंकि उस वक़्त उनकी प्रतिभा को सराहने वाला Filmfare एकमात्र अवार्ड हुआ करता था, लेकिन अब हर दूसरे दिन एक नया अवार्ड शो होता है और हर एक्टर को अवार्ड मिलता है. सच्चाई ये भी है, कि अब कलाकार रह कहां गए हैं, आजकल स्टार्स का ज़माना है.
अवार्ड्स एक ज़रिया हैं कलाकारों को अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहित करने का… या शायद ज़रिया थे. आजकल अवार्ड्स वो रिटर्न गिफ्ट हैं, जो हम लोगों को अपने बच्चे की बर्थडे पार्टी में आने के लिए देते हैं. है न?