Dear मम्मी पापा,

मेरी हिसाब से तो आपको मेरे रूप में एक बेहद सुंदर, मासूम, शरीफ़, आज्ञाकारी, ईमानदार, भोला, बुद्धिमान बच्चा मिला है. फिर भी न जाने क्यों, आपके दिल-ओ-दिमाग़ से होते हुए आपकी ज़ुबां से आये दिन एक ही बात क्यों निकलती है ‘हे भगवान, ऐसा बच्चा क्यों दे दिया मुझे?’

पहले मुझे लगता था कि मैं ही इकलौता ऐसा बेटा हूं, जो इससे पीड़ित है पर जब मैंने अपने Friend Circle में बात छेड़ी, तो पता चला ये तो हर घर की कहानी है.

तो हम सब दोस्तों ने मिल कर ये तय किया है कि हम सभी बच्चे 3 Days 2 Nights का पैकेज ले कर किसी Hill Station पर जाएंगे. वहीं विचार-विमर्श करेंगे कि ऐसा क्या सुधार ला सकते हैं हम अपने में, ताकि हमारे मम्मी-पापा को ऐसा फिर कभी नहीं बोलना पड़े. क्या इसके लिए आप मुझे 8000 रुपये दे सकते हैं ? आना-जाना, खाना-पीना, रहना, सब कुछ इसी में कर लूंगा किसी तरह.

नहीं ?

अरे, अपने बेहतर कल के लिए आप क्या इतना भी नहीं कर सकते ?

अच्छा सुनिए तो…

7000 में भी हो जायेगा…

आपका अपना,

वही सुंदर, मासूम, शरीफ़, आज्ञाकारी, ईमानदार, भोला, बुद्धिमान बच्चा.

‘हे भगवान, ऐसा बच्चा क्यों दे दिया मुझे’

अगर आपने भी ये डायलॉग सुना है तो आपको अपनी ये हरकतें भी याद आ जाएंगी !